अगर आप भारत में हैं, तो आपके और आपके परिवार की सुरक्षा किसके हाथ में है? प्रशासनिक व्यवस्था के या आपके हाथ में?

मित्रों, पडोसी देश पाकिस्तान, बन्दूक बनाने वाले कारीगरों को पश्चिम बंगाल में भेज रहा है, ताकि स्थानीय कट्टर पंथी समुदाय विशेष को बन्दूक बनाना सिखाया जा सके !!! 

समाचार के लिए देखें http://bit.ly/2iRXhGz
इधर नेताओं एवं उनके भक्त गण बन्दूक चलाने और बन्दूक बनाने का प्रशिक्षण देने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे है और परोक्ष में 'आ बैल मुझे मार' को चरितार्थ कर रहे हैं.
कुछ महीनो पहले ये भी घोषणा की गयी थी कि अब भाला-इत्यादि भी रखने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता पड़ेगी.


इस तरह की स्थिति में जहाँ राज्यों में होने वाले प्रायोजित नरसंहारों को रोक पाने के लिए सरकारें असक्षम हैं एवं साथ में सामान्य उपयोगी हथियारों के लिए लाइसेंस आवश्यक बना दिया गया है, सामान्य लोगों के लिए अपनी एवं परिवार इत्यादि की रक्षा कर पाना अत्यंत कठिन कार्य हो गया है.
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राईट टू रिकॉल पार्टी(अ-पंजीकृत) देश में एक मात्र संगठन है जिसने यह प्रस्ताव किया है कि भारत के सभी नागरिको के बन्दुक रखना अनिवार्य किया जाना चाहिए.
अपने सुरक्षा के लिए हथियार रखने के इस अत्यावश्यक कानूनी ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने की मांग रखकर नेताओं/मंत्रियों को जनांदोलन से प्रभावित / प्रेरित कर क़ानून लाने को बाध्य कर के ही छोडें.
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हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट का लिंक- https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809737552477816
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इस अत्यधिक आवश्यक समाधान के लिए उपरोक्त लिंक में दिए गए क़ानून के ड्राफ्ट्स को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने की मांग सभी नागरिक करें.
मांग और इस सूक्ष्म जनांदोलन के लिए आप अपने नेताओं, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति को केवल एक sms, पोस्टकार्ड, ईमेल, ट्विटर एवं अन्य संचार माध्यमों से जो भी आपके पास उपलब्ध हो, उससे इस प्रकार आदेश भेज सकते हैं-
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"माननीय सांसद / विधायक/ प्रधामंत्री/ राष्ट्रपति महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार के तहत आपको हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट - https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809737552477816 को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता हूँ/ देती हूँ. धन्यवाद. वोटर संख्या- xyz "
<...............................
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इसी तरह से भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट : www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
के लिए आदेश भेजिए.
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राईट टू रिकॉल सहित अन्य ड्राफ्ट- https://web.facebook.com/notes/809761655808739
इनमे से आपको जो भी ड्राफ्ट भारत की स्थिति एकक्षत्र राष्ट्र के रूप में लाने को उपयोगी लगता हो, उन सबको तत्काल प्रभाव से क़ानून के रूप में लाने के लिए आप सांविधानिक आदेश उपरोक्त प्रकार से भेज सकते हैं.
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भारत की सभी राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था के सुधार के साथ साथ नागरिकों को हथियार रखने कि अनुमति होनी चाहिए, साथ ही सभी हथियारों का निर्माण हमारे ही देश में हमारी कंपनियों द्वारा किया जाना चाहिए ना कि विदेशी कंपनियों द्वारा.
जिन पाठको को नागरिकों के पास हथिआर रखने का औचित्य समझ में नहीं आता हो तो इजराइल से सीख सकते हैं, जहाँ हर नागरिक बूढ़े-महिला-जवान सब को हथियार बन्दूक रखने की छूट दी गयी है, जिससे वहां आंतरिक कलह काफी कम है, और वे बाह्य घुसपैठ का भी सामना कर लेते हैं, क्यूंकि वहां के लोग राष्ट्रभक्त हैं ना कि पार्टी-भक्त.
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हमें समझ में आता है कि आपमें से कुछ लोगों तो क्या अधिकतर पाठकों को हथियार रखने पर मन में आपत्ति रहेगी, लेकिन ऐसे पाठकों से अनुरोध है, कि वे स्वयं अपने पूर्वजों के इतिहास को गौर करें कि अगर उनके पास हथियार होते तो धर्मान्तरण न हुआ होता, उनकी औरतों के साथ दुर्व्यवहार नहीं हुआ होता !!
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कुछ पाठकों को संदेह होगा कि घर में हथियार इत्यादि रखने से घर में ही बच्चे इत्यादि कोलाहल करेंगे या दुर्घटना कर देंगे, तो शायद आप अपने घरों की परिस्थितियों को स्वयं काबू में रखने में सक्षम नहीं हैं तो आप देश की सुरक्षा कैसे कर पायेंगे.
आप जैसे पाठकों को अपने पूर्वजों से सीख लेने की आवश्यकता है कि मात्र तीस चालीस वर्ष पहले की ही बात है, जब लोग अपने घरों में भाला इत्यादि रखते थे, और उनके घरों में चोरियों की वारदात सुनने में बिलकुल नहीं आती थी, क्यूंकि चोर भी समाज में ही रहते हैं, जब उन्हें मालूम होता है कि समाज में किन्ही के पास हथियार वगैरह है, तो वे उन घरों में घुसने के विषय को लेकर सोचते भी नहीं हैं.
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खैर..."शस्त्र" रखना ही ज़रूरी नहीं , अपने विचार व्यवहार में उसकी ताकत पर भरोसा रखना भी बहुत ज़रूरी है बल्कि सबसे अत्यधिक जरूरी है , और ये "भरोसा" हमारी कई सारी ऐतिहासिक , सांस्कृतिक और राजनीतिक भसड को अपने डीएनए से निकालने पर ही आएगा !!
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जिन्हे भरोसा हो, वे अपने घरों में शस्त्र रखना शुरू करें.
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आपमें से ९५ प्रतिशत लोगों का यही विचार होगा की बन्दूक को बन्दूक से नहीं बल्कि प्रेम से जीत सकते है, मुझे पता है, आपका उत्तर यही होगा, लेकिन शायद आप वीरों के इस देश में रहकर आप यह बात भी भूल रहे हैं की जब गर्दन पर मौत खड़ी हो, तो ऐसी सुंदर और टाइम-पास बातें केवल सुनने में ही अच्छी लगती हैं, उस वक्त पीड़ित यही सोचता है काश हमारे पास कोई ऐसी शक्ति होती की हम अपने हत्यारे को मुकाबला कर उन्हें मौत की नींद सुला सकते !!
लेकिन आपकी समस्या का समाधान काश में नहीं मिलेगा, हथियार रखने से मिलेगा.
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ऐसी बातें केवल सोचने मात्र से ही संभव नहीं हो जाती, उसके लिए दृढ इच्छा शक्ति के साथ आवश्यक क़ानून लाने का मांग का साहस भी करना पड़ेगा.
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कुछ लोग ये उत्तर देते हैं की हम गांधी के बताये रास्ते पर चलते हैं, भगवान बुद्ध के बताये रास्ते पर चलते है, लेकिन आप यह तो जानते ही होंगे ना भगवान बुद्ध ने भी कभी हिंसा त्यागने को ना कहा, उनका कहना था- सम्यक-ज्ञान, सम्यक कर्म, सम्यक दर्शन अर्थात, जो कर्म जो हिंसा जहाँ उपयुक्त हो वहां की जाए तो उचित है, बुद्ध ने अहिंसा का मार्ग शत्रुओं से बचने के लिए कभी अपनाने के लिए नहीं कहा था !!
अहिंसा का मार्ग दानवों के साथ अपनाया ही नहीं जा सकता, जिनका काम ही है उनकी बात ना मानने वालों को मौत की नींद सुला देना.
आपको समझ में आना चाहिए.
क्योंकि सत्य का मार्ग केंद्रीय मार्ग है।सन्तुलित और विवेकपूर्ण. सनातन यही सिखाता है. अपनी रक्षा सर्वोपरी है, जब स्वयं सुरक्षित नहीं रहेंगे तो धर्म कहाँ से सुरक्षित रख सकेंगे?
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बुद्ध के सम्यक कर्म का उपदेश कभी भुलाना नहीं चाहिए, अर्थात जब जो कर्म वांछित हो, वो ही होना चाहिए. .
अब आते हैं, गांधी-वादी विचाधारा पर, तो आप सब ने यह सोचा होगा और कुछ लोग ये जानते भी होंगे की आजादी चरखे चलाने से नहीं, बल्कि ब्रिटेन की नींव हिटलर द्वारा हिला कर रख दिए जाने एवं महात्मा सुभाष चन्द्र बोस द्वारा उन कमजोर पड़ चुके अंग्रेजों को अपने आजाद-हिन्द फ़ौज की सेना द्वारा भारत में आक्रमण कर खदेड़े जाने से भारत आजाद हुआ, क्यूंकि द्वितीय विश्वयुद्ध ने अंग्रेजों को इतना कमजोर कर दिया था की उनके पास भारत में नियुक्त हुए अपने लोगों अधिकारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं थे.खैर...
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आपकी सुरक्षा अपने हाथ में है. ना कि भ्रष्ट प्रशासनिक व क़ानून व्यवस्था के हाथ में.
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जय हिन्द.

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