सभी भारतीय बंधुओं को नयी गुलामी की शुभकामनाएं.
सभी को गुलामी की शुरुवात की शुभकामनाएं !! By राम जी निगम
नरेंद्र मोदी जी शायद देश के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश को बर्बाद और एक बार फिर से गुलाम बनाने के लिए देश के युवाओं से मदत की अपील की है,
आज दिनांक 27-11-16 को मन की बात कार्यक्रम में मोदी जी ने कैश लेश इंडिया के निर्माण के लिये युवाओ से गांवों में जाकर काम करने की अपील की । इस अपील से एक बात तो साफ हो गयी की कालेधन के नाम पर नोटबंदी का जो फैसला मोदी सरकार ने लिया है उसका मुख्य मकसद कॅश लेश इंडिया का निर्माण और देश के एक एक व्यक्ति को इनकम टैक्स और व्यापार से सम्बंधित तमाम तरीके के टैक्सों के दायरे में लाना है न की कालाधन खत्म करना, ताकि आम जनता की जेब से पैसे निकालकर अपनी तिजोरी भरी जाये जो अभी तक कई सारे टैक्सों से बची हुयी थी ।
रही बात व्यापारी और दुकानदार की तो वो अभी तक जो टैक्स बचा रहा था उसका फायदा कही न कही वो ग्राहक को ही दे रहा था (अम्बानी अडानी और उनके जैसे बड़े बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर), लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मतलब साफ है हर किसी के टैक्स के दायरे में आ जाने पर महंगाई बढ़ेगी। GST इसी टैक्स कलेक्शन को बढाने के लिए लाया जा रहा है क्योंकी GST पूरी तरह लागू होने के बाद हर छोटे से छोटे दुकानदार को वैसी ही बिलिंग मशीन रखनी पड़ेगी जैसी होटलो में होती है और आपको 10 रूपये का सामान लेने पर भी बिल मिलेगा, यदि आपको याद हो आज से 2 महिने पूर्व भी प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में लोगो से हर तरह के लेन देन में कैश लेश व्यव्हार करने की अपील की थी लेकिन लोग उस झांसे में नहीं आए इसलिए इन दो महीनो के अंदर नोटबंदी करने का फैसला लिया गया ताकि लोग मजबूर हो जाये कैश लेश व्यव्हार करने के लिये ।
और वैसे भी कुल कालेधन का 95% हिस्सा तो विदेशो में पड़ा है डॉलर के रूप में जिसपर नोटबंदी से कुछ फर्क नहीं पड़ता फिर अचानक नोट बंदी क्यों ? यदि सरकार नोट एक्सचेंज करने और खाते में जमा करने के लिए 6 महीने का समय दे देती तो इतनी परेशानी नहीं होती,इतने लोग नहीं मरते, इस तरह अर्थव्यवस्था और लोगो का व्यापार ठप नहीं होता रही बात जाली नोट और आतंकवादियों को फंडिंग की तो वो तो 6 महीने का समय देने पर भी निकलने वाला ही था ।
#आप कहेंगे कि कैश लेश इंडिया बनाने में बुरा क्या है ?
तो सीधी सी बात है कैश लेश इकोनामी उन देशों के लिये अच्छी है जहाँ की जनसख्या बहुत कम है, जहा पर 95% के ऊपर साक्षरता है जहाँ ज्यादातर लोग नौकरी करते हैं और सबसे जरूरी जहा की सरकारे और वहां का पूरा सिस्टम ईमानदार है और अपने देश से कभी गद्दारी नहीं करता तथा जनता द्वारा मिले टैक्स के एक एक पैसे का स्तेमाल जनहित के कामों में करता है, हमारे यहां ये सबकुछ बिलकुल उल्टा है ज्यादातर लोग छोटा मोटा व्यापर करते है, टैक्स और ऑनलाइन लेनदेन में बिलकुल नासमझ हैं बाकि जनंसख्या और साक्षरता दर तो आपको पता ही है और रही बात सिस्टम के ईमानदारी की तो उसके क्या कहने ।
सिस्टम की बात मैं इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि जिस तरह सरकार ने एक झटके में आपके घर में पड़े रूपये को मिट्टी बना दिया और कोई कुछ नहीं कर सकता उसी तरह मान लिजिये पूरी इकोनॉमी कैश लेश हो गयी तो सरकार जब चाहे आपके बैंक खाते को सीज करके आपको भिखारी बना सकती है आप कुछ नहीं कर सकते ।
नोट के मामले में लोग चुप रहे क्योकि उन्हें पुराने के बदले नए नोट दिए जा रहे हैं लेकिन मान लीजिए सरकार यह बोल देती की आपके पास जितने नोट है वो अब नही चलेगे और ना ही बदले जायेगें तो इस अवस्था में जनता चाहे तो सरकार के आदेश को अनदेखा करके अपने नोट का स्तेमाल कर सकती है जैसे लोग यदि सरकार को बोलदें की हम आपका आर्डर नहीं मानते हम आपस में पहले के जैसा ही पैसे का लेनदेन करते रहेगें तो सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर सकती लेकिन कैश लेश व्यवस्था में आप ऐसा नहीं कर सकते क्योकी सबकुछ बैंकों के माध्यम से होता है और सारे बैंक सरकार के हाथ में होते हैं।
इस व्यवस्था में घुसने के बाद हर व्यक्ति सरकार जो कहेगी वह करने के लिए मजबूर होगा, वह सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की कभी हिम्मत नहीं करेगा, अब ऐसा सरकार अपनी इच्छा से या विदेशी ताकतों के दबाव या ब्लैकमेलिंग में पड़कर किसी भी कारण से कर सकती है । शायद इसीलिए पहले हमारे पूर्वजों ने नोट नहीं बनाया, वो सोने चांदी के सिक्कों को करेंसी के रूप में स्तेमाल करते थे क्योकि कोई भी परिस्थिति आ जाये इनकी कीमत पर कोई असर नहीं पड़ता ।
अब मैंने जो कुछ ऊपर लिखा उसे राजीव भाई के नजरिये से देखिये मतलब यदि आपने Youtube में Rajiv Dixit जी के India On Lease For 99 Year, Black Money, IMF और World Bank तथा WTO वाले व्याख्यान सुने है तो आपको मेरी बात ठीक से समझ में आएगी नहीं सुने हैं तो पहले सुन ले फिर प्रतिक्रिया दें । 99 साल पुरे होने तक भारत की स्थिति ऐसी बनाने की कोशिश हो रही ही की या तो ये देश खुद बखुद स्वयं को अंग्रेजों के हवाले कर दे या 1947 में हुए Transfer Of Power Agreement के अनुसार यदि अंग्रेज वापस आये तो देश की आर्थिक और सामाजिक हालत ऐसी हो की आसानी से पुनः गुलाम बनाया जा सके ।
ना जाने हमारे देश के नेता किस मजबूरी में और नासमझी में इस कार्य को कर रहे हैं और दुःख की बात ये है की हमारे देश के युवा भी इसी को विकास का रास्ता मान रहें हैं और इसके प्रचार प्रसार में लगे हैं ।
अब आपके ऊपर ये जिम्मेदारी है कि इस बारे में लोगो को जागरूक करें और इस कैश लेश व्यवस्था का विरोध करें वरना देश पुनः गुलाम होना और टुकड़े टुकड़े होना तय है ।
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नरेंद्र मोदी जी शायद देश के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश को बर्बाद और एक बार फिर से गुलाम बनाने के लिए देश के युवाओं से मदत की अपील की है,
आज दिनांक 27-11-16 को मन की बात कार्यक्रम में मोदी जी ने कैश लेश इंडिया के निर्माण के लिये युवाओ से गांवों में जाकर काम करने की अपील की । इस अपील से एक बात तो साफ हो गयी की कालेधन के नाम पर नोटबंदी का जो फैसला मोदी सरकार ने लिया है उसका मुख्य मकसद कॅश लेश इंडिया का निर्माण और देश के एक एक व्यक्ति को इनकम टैक्स और व्यापार से सम्बंधित तमाम तरीके के टैक्सों के दायरे में लाना है न की कालाधन खत्म करना, ताकि आम जनता की जेब से पैसे निकालकर अपनी तिजोरी भरी जाये जो अभी तक कई सारे टैक्सों से बची हुयी थी ।
रही बात व्यापारी और दुकानदार की तो वो अभी तक जो टैक्स बचा रहा था उसका फायदा कही न कही वो ग्राहक को ही दे रहा था (अम्बानी अडानी और उनके जैसे बड़े बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर), लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मतलब साफ है हर किसी के टैक्स के दायरे में आ जाने पर महंगाई बढ़ेगी। GST इसी टैक्स कलेक्शन को बढाने के लिए लाया जा रहा है क्योंकी GST पूरी तरह लागू होने के बाद हर छोटे से छोटे दुकानदार को वैसी ही बिलिंग मशीन रखनी पड़ेगी जैसी होटलो में होती है और आपको 10 रूपये का सामान लेने पर भी बिल मिलेगा, यदि आपको याद हो आज से 2 महिने पूर्व भी प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में लोगो से हर तरह के लेन देन में कैश लेश व्यव्हार करने की अपील की थी लेकिन लोग उस झांसे में नहीं आए इसलिए इन दो महीनो के अंदर नोटबंदी करने का फैसला लिया गया ताकि लोग मजबूर हो जाये कैश लेश व्यव्हार करने के लिये ।
और वैसे भी कुल कालेधन का 95% हिस्सा तो विदेशो में पड़ा है डॉलर के रूप में जिसपर नोटबंदी से कुछ फर्क नहीं पड़ता फिर अचानक नोट बंदी क्यों ? यदि सरकार नोट एक्सचेंज करने और खाते में जमा करने के लिए 6 महीने का समय दे देती तो इतनी परेशानी नहीं होती,इतने लोग नहीं मरते, इस तरह अर्थव्यवस्था और लोगो का व्यापार ठप नहीं होता रही बात जाली नोट और आतंकवादियों को फंडिंग की तो वो तो 6 महीने का समय देने पर भी निकलने वाला ही था ।
#आप कहेंगे कि कैश लेश इंडिया बनाने में बुरा क्या है ?
तो सीधी सी बात है कैश लेश इकोनामी उन देशों के लिये अच्छी है जहाँ की जनसख्या बहुत कम है, जहा पर 95% के ऊपर साक्षरता है जहाँ ज्यादातर लोग नौकरी करते हैं और सबसे जरूरी जहा की सरकारे और वहां का पूरा सिस्टम ईमानदार है और अपने देश से कभी गद्दारी नहीं करता तथा जनता द्वारा मिले टैक्स के एक एक पैसे का स्तेमाल जनहित के कामों में करता है, हमारे यहां ये सबकुछ बिलकुल उल्टा है ज्यादातर लोग छोटा मोटा व्यापर करते है, टैक्स और ऑनलाइन लेनदेन में बिलकुल नासमझ हैं बाकि जनंसख्या और साक्षरता दर तो आपको पता ही है और रही बात सिस्टम के ईमानदारी की तो उसके क्या कहने ।
सिस्टम की बात मैं इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि जिस तरह सरकार ने एक झटके में आपके घर में पड़े रूपये को मिट्टी बना दिया और कोई कुछ नहीं कर सकता उसी तरह मान लिजिये पूरी इकोनॉमी कैश लेश हो गयी तो सरकार जब चाहे आपके बैंक खाते को सीज करके आपको भिखारी बना सकती है आप कुछ नहीं कर सकते ।
नोट के मामले में लोग चुप रहे क्योकि उन्हें पुराने के बदले नए नोट दिए जा रहे हैं लेकिन मान लीजिए सरकार यह बोल देती की आपके पास जितने नोट है वो अब नही चलेगे और ना ही बदले जायेगें तो इस अवस्था में जनता चाहे तो सरकार के आदेश को अनदेखा करके अपने नोट का स्तेमाल कर सकती है जैसे लोग यदि सरकार को बोलदें की हम आपका आर्डर नहीं मानते हम आपस में पहले के जैसा ही पैसे का लेनदेन करते रहेगें तो सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर सकती लेकिन कैश लेश व्यवस्था में आप ऐसा नहीं कर सकते क्योकी सबकुछ बैंकों के माध्यम से होता है और सारे बैंक सरकार के हाथ में होते हैं।
इस व्यवस्था में घुसने के बाद हर व्यक्ति सरकार जो कहेगी वह करने के लिए मजबूर होगा, वह सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की कभी हिम्मत नहीं करेगा, अब ऐसा सरकार अपनी इच्छा से या विदेशी ताकतों के दबाव या ब्लैकमेलिंग में पड़कर किसी भी कारण से कर सकती है । शायद इसीलिए पहले हमारे पूर्वजों ने नोट नहीं बनाया, वो सोने चांदी के सिक्कों को करेंसी के रूप में स्तेमाल करते थे क्योकि कोई भी परिस्थिति आ जाये इनकी कीमत पर कोई असर नहीं पड़ता ।
अब मैंने जो कुछ ऊपर लिखा उसे राजीव भाई के नजरिये से देखिये मतलब यदि आपने Youtube में Rajiv Dixit जी के India On Lease For 99 Year, Black Money, IMF और World Bank तथा WTO वाले व्याख्यान सुने है तो आपको मेरी बात ठीक से समझ में आएगी नहीं सुने हैं तो पहले सुन ले फिर प्रतिक्रिया दें । 99 साल पुरे होने तक भारत की स्थिति ऐसी बनाने की कोशिश हो रही ही की या तो ये देश खुद बखुद स्वयं को अंग्रेजों के हवाले कर दे या 1947 में हुए Transfer Of Power Agreement के अनुसार यदि अंग्रेज वापस आये तो देश की आर्थिक और सामाजिक हालत ऐसी हो की आसानी से पुनः गुलाम बनाया जा सके ।
ना जाने हमारे देश के नेता किस मजबूरी में और नासमझी में इस कार्य को कर रहे हैं और दुःख की बात ये है की हमारे देश के युवा भी इसी को विकास का रास्ता मान रहें हैं और इसके प्रचार प्रसार में लगे हैं ।
अब आपके ऊपर ये जिम्मेदारी है कि इस बारे में लोगो को जागरूक करें और इस कैश लेश व्यवस्था का विरोध करें वरना देश पुनः गुलाम होना और टुकड़े टुकड़े होना तय है ।
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.