सनातनियों के विनाश का कारण है - हाभारत के महायुद्ध से कोई शिक्षा ग्रहण नहीं किया जाना.

◆ महाभारत युध्द मे जो भी हिस्सा लेने वाले लोग थे, उनमे एक तरफ योगेश्वर श्री कृष्ण तो दूसरी तरफ सारी पूंजीवादी ताकते थीं, कृष्ण जी की तरफ पांडव थे जिनके पास कुछ भी नहीं था, सिवाय कर्म-योगी एवं साधना संयम तथा कूटनीति के गुण के, वो तो बैचारे घास फुस की छत के नीचे सोते थे. वैसे कूटनीति में दुर्योधन का पक्ष भी कम नहीं था.
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◆ अभी के वक्त में भी कृष्ण भगवान को छोड़कर यही स्थिति है, अतः जनता को अपना धर्म एवं अपनी साधना एवं कर्मयोगी प्रवृत्ति का त्याग कभी करना नही श्रेयस्कर रहेगा, ना कि पश्चिम वालों की तरह भोगवादी संस्कृति को अपनाने को धर्म मानना .
मूर्ख और स्वार्थी तत्व सत्य को विवश कर सकते हैं, लेकिन हरा नहीं सकते.
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◆पूंजीवादी लोग भोग का समर्थन करते है. #भोगवादी संस्कृति , जिसने समाज में असमानता , वेश्यावृति , पूंजीवाद , शोषण और भुखमरी को बढ़ावा दिया है
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◆भगवान श्रीराम भी समाज मे व्याप्त बुराइयों को खत्म करने के लिये कई वर्ष जगह जगह घूमे थे, बङे बङे राजाओँ को छोङकर उन्होने निषादराज, केवट जैसे लोगो को गले लगाया. 
अगर भगवन राम पूंजीवाद का समर्थन करते तो निषाद राज और केवट जैसे लोगो को समाज मे उंचा दर्जा न देते जो पेट पालने के लिये नाव चलाते थे, दिन भर की मजदूरी मे घर का आटा चावल लाते थे.
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★इन सबमे एक बात सामान थी कि ये सभी युद्ध जो हुए, उन सबमे हथियार उनके अपने अपने थे, उन सब योद्धाओं ने किसी से मांग कर करे या खरीद के दुसरे का हथियार उपयोग नही किया था, जिससे फायदा ये हुआ था कि उन सबको अपने अपने हथियारों को अपना पूरा नियंत्रण था. 
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★अगर आज के भारत देश कि स्थिति को देखा जाए जिसका अधिकतर हथियार और इसके सॅटॅलाइट के अधिकाँश उपकरण अन्य देशों से आयातित होते हैं, जिसपे हमारे देश के वैज्ञानिको को कोई पूरी जानकारी तो दी नहीं जाती और ना ही हमारे इंजिनियर को पूरा बताया जाता है, इन मशीन के बंद पड़ने पे और अन्य समस्याओं के आने पे हमें उन विदेशों से उन मशीन के निर्माता कंपनी के जानकारों को यहाँ बुलाना पड़ता है.
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◆इस स्थिति में भारत तो क्या कोई भी देश पूंजीवाद और उनके लोगों द्वारा बनाये कानूनों से किसी जन्म में मुक्त नहीं हो सकता. 
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★अतः सभी लोगों को इस देश में स्वदेशी व्यवस्था एवं स्वदेशिकृत उपकरणों, मशीन के निर्माण के लिए अपने अपने नेताओं, सांसदों पर ऐसा क़ानून लाने का दबाव देकर एक प्रकार शांतिमय जनांदोलन चलाना चाहिए.
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★अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई देश पहले अपना सोचता है, वहां कोई भाईचारा नहीं होता, केवल संधि होती है, अब ये संधि आपके अपने देश के फायदे के लिए या नुक्सान के लिए हो या ना हो, ये संधि हमेशा उन देशों के पक्ष में जातीं हैं जो देश आर्थिक एवं सामरिक शक्ति से अधिकतम मजबूत हो, आज तक के इतिहास में सभी अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ केवल और केवल मजबूत देशों के ही पक्ष में हुई है, आप इतिहास उठा के देख लीजिये.
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◆ आप सब जानते हैं कि हमारे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वारा विदेशी कंपनियों को ये अधिकार दे दिया गया है कि, वे यहाँ आकर हथियार निर्माण करें, और निर्यात करें लेकिन सरकार आपको ये नहीं बता रही है कि. इन कंपनियों द्वारा होने वाले निर्यात यहाँ विदेशी मुद्रा भण्डार में कमी लाते हैं, जिसके लिए सरकार को विदेशी बैंक से पुनः कर्ज लेना होता है, और इसका पुनर्भरण इतना आसान नहीं है, इस चक्र-व्यूह में फंसकर कई देश दिवालिया हो चुके हैं.
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मित्रों, अब ये आपके हाथ में है कि आप अपने देश को बचाने के लिए क्या करते हैं , किस तरह का एक्शन लेते हैं?
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◆ आप को इसके लिए एक तरह का जनांदोलन करना चाहिए लेकिन शांत तरीके से.
★ये ध्यान रखें कि यहाँ आप जिस तरह का क़ानून लाना चाहते हैं, उसे मात्र एक पत्र जिसे गजेट-नितिफिकेशन कहते हैं, में प्रकाशित करवा कर तत्काल प्रभाव से क़ानून के रूप में अपने देश में लागू होता देख सकते हैं और ये प्रक्रिया आसान भी है, इसके लिए आपको केवल ये करना होगा कि अपने अपने सांसदों-विधायकों के ऊपर जनसमूह ये नैतिक दबाव बनाए कि वे अमुक अमुक क़ानून-ड्राफ्ट्स को गजेट में प्रकाशित करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव बनाएं, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
आप परमाणु परिक्षण की क्षमता में भी भारत की तुलना अन्य देशों से कर सकते है, इसकी अध्ययन सामग्री आपको इन्टरनेट पर काफी मात्रा में मिल जायेगी. अगर आप उन अध्ययन संसाधनों को ध्यान से पढेंगे तो पायेंगे की भारत एवं पाकिस्तान की परमाणु क्षमता में कोई ख़ास अंतर नहीं है, कभी आपने यह ध्यान देने की कोशिश की कि द्वितीय परमाणु परिक्षण के बाद भारत पुनः और आगे की श्रृंखला का परमाणु-परिक्षण क्यों नहीं कर सका? 
आपमें से कई लोग यह कहेंगे की भारत ने कभी दुसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया , हम शान्ति-प्रिय देश हैं, हम पर भी कभी कोई आक्रमण नहीं करेगा, लेकिन शायद ऐसे लोगों को यह नहीं पता की भारत पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध को जीत न सका, वो हार गया था.
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◆ अतः भारत को अपने हथियार स्वयं के बलबूते पर निर्माण करने में महारथ हासिल करना चाहिए, ना कि विदेशी कंपनियों द्वारा यहाँ कि जमीन पर निर्मित होने वाले हथियार.
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★भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें- 
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद " 
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★क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिनक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति को अपना सांविधानिक आदेश जरूर भेजें.
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◆ अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे: www.nocorruption.in
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ईश्वर सिर्फ एक इंसान का दिमाग हाइजेक करता है , जो कि अवतार हो जाता है , और युग परिवर्तन हो जाता है, लेकिन भक्ति से अधिक दिमाग कार्य करता है, अकेली भक्ति आज के पूंजीवादी व्यवस्था में किसी कार्य कि नहीं. तपस्या आज कल कोई करता नहीं, भक्ति के लायक माहौल नहीं, लेकिन कर्मयोग तो आपके हाथ में है.
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जय हिन्द.

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