सनातन धर्म एवं तकनीक में सम्बन्ध ?
अगर किसी को सनातन धर्म के विश्वासों तथा आध्यात्मिकता समझ में ना आ रही हो, या जिसको ये सब कल्पना लगता हो, उसके लिए दो रास्ते हैं, या तो किसी की सुने बिना अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर अपनी सभी इच्छाओं-चाहों का त्याग करके या शून्य को समर्पित करके देख लो या फिर मेटा-फिजिक्स के विषयों को पढो,
हालाँकि यह विषय भारत में नही पढ़ाया जाता और विकसित तथा चंद छोटे देशों में भी ये बंद किये जाने वाला है, क्यूंकि इस विषय को पढकर पैसा कमाया नही जा सकता.
फिर भी हमारा सनातन विश्वास और सत्य, इसी विषय को पढने से एवं इसमें आगे शोध कर ्पता किया जाना चाहिए, अगर किसी को विज्ञान द्वारा सनातनियों के विश्वास को झूठ प्रमाणित करना है तो.
.
इसके साथ साथ, बाहरी आसमान का हमारे शरीर एवं मन-मष्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को जानना चाहते है जो सनातन के विश्वास का अटूट हिस्सा है, इसके लिए आप कोस्मो लोजी पढिये. हमारे विश्वास पर संदेह करने वाले स्वयं गलत साबित होंगे.
हालाँकि यह विषय भारत में नही पढ़ाया जाता और विकसित तथा चंद छोटे देशों में भी ये बंद किये जाने वाला है, क्यूंकि इस विषय को पढकर पैसा कमाया नही जा सकता.
फिर भी हमारा सनातन विश्वास और सत्य, इसी विषय को पढने से एवं इसमें आगे शोध कर ्पता किया जाना चाहिए, अगर किसी को विज्ञान द्वारा सनातनियों के विश्वास को झूठ प्रमाणित करना है तो.
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इसके साथ साथ, बाहरी आसमान का हमारे शरीर एवं मन-मष्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को जानना चाहते है जो सनातन के विश्वास का अटूट हिस्सा है, इसके लिए आप कोस्मो लोजी पढिये. हमारे विश्वास पर संदेह करने वाले स्वयं गलत साबित होंगे.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.