अर्थ-शास्त्र व राजनीति दोनों एक दुसरे को नियंत्रित करती है .

अर्थशास्त्र और राजनीति सगी बहनें हैं। अर्थशास्त्र बड़ी बहन और राजनीति छोटी बहन है, लेकिन दुर्भाग्य से राजनीति का स्वभाव दबंग है। वह अपने स्वार्थ से अर्थशास्त्र को संचालित करती है।
जिस देश कि अर्थ-व्यवस्था मजबूत होती है, वही देश अपने धर्म कि रक्षा कर पाने में समर्थ होता है. 
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यहाँ समझने वाली बात ये है कि राजनीति का स्वभाव दबंगता वाला है, लेकिन किसके संदर्भ में ? 

https://www.youtube.com/watch?v=Ct04WHeX67k
भारत की राजनीति के सन्दर्भ में या ग्लोबल राजनीति के सन्दर्भ में ?
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अगर ग्लोबल राजनीति की बात है तो ग्लोबलीस्ट धन-माफिया ग्लोबल सत्ता पाने के चक्कर में गरीब-अविकसित एवं विकास-शील देशों में अपने अर्थशास्त्र को उछाल कर पूरी की पूरी धरती पर फैंक रहे है ।
उनके फैंके अर्थशास्त्र के टुकडे जिस गरीब एवं विकासशील देश में गिरते हैं, उस देश की राजनीति इन अर्थशास्त्र के फेंके टुकडे ही चला रहे हैं ।
इस तरह अर्थशास्त्र ही अप्रत्यक्ष रूप से भारत की राजनीति को चला कर रहा है, बिलकुल उल्टा.
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The Rothschild controlled global banking lobby want a digital cashless system because this will give them even more control over us. They want to monitor and control every single transaction, while destroying real world currencies so they can issue money that doesn’t exist, creating impossible financial burdens for the masses, all the while accumulating extraordinary real wealth and power for themselves.
https://www.youtube.com/watch?v=Ct04WHeX67k

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