वामपंथियों के लिए धर्म नशे की गोली मात्र है, इनके लिए धर्म अफीम है.


इस लेख में घटना का मुख्य-अंश Krishna Dharasurkar जी के वाल से लिया गया है, लेकिन मुद्दा भ्रष्टों को अपदस्थ करने का भय देकर इमानदारी-पूर्ण कार्य करने का प्रशासनिक व्यवस्था का मांग है, अतः यहाँ मुख्य अंश कॉपी किया गया है.
.
किसी धार्मिक त्यौहार के अवसर पर जनता को बधाई और शुभकामनाएं देना राजनेताओं के लिए एक आम बात है। हाल ही में केरल के ओणम त्यौहार के लिए अमित शाह ने बधाई संदेश जारी किया था, जिसमें वामन जयंती का भी जिक्र था।
.
वामिस्लामी फितरत का एक स्पष्ट उदाहरण देखिए।
यह व्यक्ति एक वामपंथी नेता, और केरल का मुख्यमंत्री है। आधिकारिक तौर पर नास्तिक है। इसके लिए धर्म एक नशे की गोली मात्र है।
.
केरल की निधर्मी वामपंथी सरकार एक तरफ सारे प्रयास कर रही है कि ओणम के उत्साह को किस तरह से कम किया जा सकता है। सरकार ने आधिकारिक परिपत्र जारी कर सरकारी कार्यालयों में ओणम मनाने पर प्रतिबंध लगाया है, जिसकी आम केरलीय जनता ने घोर भर्त्सना की है। जनता इस हिन्दू धार्मिक त्यौहार के प्रति कैसे निरुत्साही रहे इसके सारे प्रयास सरकार कर रही है।
.
यहाँ आप ध्यान दीजिए, नास्तिक विचारधारा का राजनेता, धार्मिक त्योहार के दिन जारी बयान को ले कर, एक धार्मिक कथा का सहारा लेकर, अपनी जनता को राजकीय प्रतिस्पर्धी के खिलाफ भडका रहा है। भला नास्तिक का इस पचडे में क्या काम? यह धर्म का अंदरूनी मामला है। मुख्यमंत्री का इसमें दखल देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
.
वामन और ओणम का भी एक रिश्ता है। वामन भगवान् श्री विष्णु के पाँचवें अवतार है। इस अवतार में वे छोटे बटु का रूप ले कर दानवराज बलि, जो केरल इलाके के राजा माने जाते हैं, उनसे तीन पग जमीन माँग लेते है। राजा के मान जाने पर बटु विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में आकाश व्याप लेता है। अब जब तीसरे पग के लिए जगह नहीं बचती, तब राजा बलि वामन को उनके सिर पर वह तीसरा पग रखने के लिए कहते हैं। वामन उनके मस्तक पर पैर रखकर उन्हें पाताल भेज देता है। अवतार कार्य समाप्त होने पर श्री विष्णु बलि राजा को दर्शन देते हैं, और पाताल लोक का राज्य प्रदान करते हैं। अपने देश के लिए बलि राजा के असीम प्यार को देखते हुए वे बलि राजा को साल के एक दिन केरल आने की अनुमति देते हैं। ओणम यही बलिराजा के केरल आने का त्योहार है।
.
दूसरी तरफ अमित शाह के वामन जयंती के संदेश को पिनरै विजयन, मुख्यमंत्री ने हिन्दू जनता को बरगलाने के लिए इस्तेमाल किया है। केरल के बलि राजा के प्रति प्यार को भुनाने के लिए यह धूर्त कह रहा है कि हमारे बलि राजा के सर पर पैर रखकर उन्हें पाताल भेजने वाले वामन की जयंती पर शुभकामनाएं दे कर अमित शाह ने केरल के लोगों का अपमान किया है, और अमित शाह ने इस के लिए केरल की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ समय पहले ऐसा ही कांड वामिस्लामी विद्यार्थी नेतृत्व ने किया था। इसमें महिषासुर को आदिवासी, दबे कुचले वर्ग का प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत कर हिन्दू वर्ग का तेजोभंग करने का प्रयास किया था।
वामी जब भी धार्मिक विवाद में उलझे, आप के दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए, क्योंकि उस का उद्देश्य कभी अच्छा नहीं होता।
जहां जहां संभव है, वामी वैयक्तिक धारणा का वास्ता दे कर और इस्लामी मुहम्मद साहब से पहले वाले सारे प्रेषित कबूल होने का हवाला देते हुए आप की आस्थाओं पर टिप्पणी का मौका खोजेंगे। जैसे ही मौका मिले वे ऐसा मुद्दा उठाएंगे जिससे आम हिन्दू अपने ही आस्था के प्रति आशंकित हो उठे। इस्लामी द्वारा रामायण के शंबुक का मुद्दा उठाया जाना इसमें शामिल है। अगर राम प्रेषित थे, तो शंबुक की हत्या गलत कैसे, इसका उत्तर वे नहीं देंगे लेकिन हजारों साल पहले की कथा को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जाँचने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। शंबुक की कथा का उत्तर रामायण में होना, प्रक्षिप्त होना उनके लिए गौण होगा।
सारांश, भेड की खाल के नीचे छिपे इन वामिस्लामी भेड़ियों को पहचानो, जहाँ मौका मिले, उन्हें ऐसे बेनकाब करो, वर्ना एक दिन ये निरीह हिन्दू जनता की आस्थाओं को लील लेंगे। अतः सावधान !
.
असल समस्या ये है कि हिन्दुओं की कोई सुनने नहीं वाला, क्यूंकि इस देश में हिन्दुओं की संख्या अधिक होने के बाद भी सब के सब बंटे हुए हैं, एवं जितने अधिक बंटे हैं, सब के सब या तो धर्मान्तरित करवा दिए गए हिन्, या मारे जा चुके हैं.
आपकी आवाज को इस देश के संसदीय लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं दिया जा रहा, सभी जगहों एवं तंत्रों पर देश-तोडू, धर्मद्रोही लोगों का वर्चस्व है, क्यूंकि, क्यूंकि यहाँ पारदर्शी शिकायत प्रणाली नहीं है, जिसमे आप अपनी शिकायतों को मात्र एक एफिडेविट द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से रख सकतीं हैं, जिसे देश के अन्य नागरिक बिना लाग-इन किये देख सकें, एवं मुद्दों से पार पाने के लिए कानूनी सुधार प्रक्रिया का प्रस्ताव रख सकें. एवं आप इसमें साबूतों को भी रखवा सकतीं हैं अगर आप चाहतीं हैं तो.
.
ऊपर बताए हुए नेताओं जो पब्लिक को अपना धर्म एवं त्यौहार मनाने से मना करते हैं, ऐसे लोगों को उनके पद से निष्कासित करने का डर दिखाकर उन्हें इमानदारी-पूर्वक कार्य करने को बाध्य होने का कार्य जनता के अलावा और कोई नहीं कर सकता.
इस प्रक्रिया को ही पारदर्शी शिकायत प्रणाली कहते हैं, इसे राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप देने की मांग अपने सांसदों/विधायकों से कर आप उनपर नैतिक दबाव बना सकते हैं.
इसे पारदर्शी इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि इस व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना आसान हो जाएगा, जबकि अभी के मौजूदा व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना , उनके बारे में पता लगाना इतना आसान नहीं है.
.
इस क़ानून का ड्राफ्ट आप यहाँ देख सकते हैं- rtrg.in/tcpsms.h (हिंदी) अंग्रेजी मेंwww.Tinyurl.com/PrintTCP देखें.
इसे राज्य एवं राष्ट्र के गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप देने के लिए आप अपने सांसदों/विधायकों को sms/ईमेल/ट्विटर एवं माननीय प्रधानमंत्री की वेबसाइट तथा ट्विटर पर भी अपना मात्र एक सांवैधानिक आदेश भेजें. ट्विटर से इसलिए कहा गया क्योंकि अन्य नागरिक भी इस देखकर इसीतरह से अपने तरफ से यही आदेश भेज सकेंगे.
.
आप ये आदेश इस तरह से लिखें-
==========>
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट rtrg.in/tcpsms.h (हिंदी) अंग्रेजी में www.Tinyurl.com/PrintTCP को भारत एवं बिहार राज्य के राजपत्र में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz
धन्यवाद "
<============
अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे:www.nocorruption.in
.
इसके साथ साथ हिन्दू धर्म की रक्षा करने वाली ये ड्राफ्ट का भी उपरोक्त विधिसे अपने नेताओं द्वारा मांग किया जाना चाहिए- tinyurl.com/HinduSashakt
.
जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
.
इस सम्बन्ध में और भी जानकारी चाहते हों तो यहाँ देखें-www.righttorecall.info/301.htm
================================================
.
आप ये ध्यान दें, कि आप अपने आस पास पड़ी दुर्व्यवस्था की जो भी शिकायत अपने आस पास करते हैं, उससे सरकारों को इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे समझते हैं, कि आप असंगठित हैं, एवं आपमें अपनी शिकायतों को ऐसी किसी संसाधान पर उन्हें सार्वजनिक करने का कोई संसाधन नहीं है, क्यूंकि आप अपनी शिकायतों का एफिडेविट करवाकर माननीय प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर नहीं रख सकते, जिसे अन्य नागरिक भी बिना लॉग-इन किये ही उन सब शिकायतों को देख सकें एवं उसपर अपने प्रस्तावित सुधारात्मक कानूनों का प्रस्ताव रख सकें. इस वेबसाइट की एक डेमो के लिएsmstoneta.com वेबसाइट में देख सकते हैं, जिसमे कोई नागरिक किसी अन्य नागरिक द्वारा समर्थित मुद्दे और उपाय देख सकते हैं. यह डिमांड सांविधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
पब्लिक एस.एम.एस सर्वर का क्या स्वरूप हो सकता है ? https://goo.gl/41HTRF
.
जय हिन्द .
.
इस लेख में घटना का मुख्य-अंश Krishna Dharasurkar जी के वाल से लिया गया है, लेकिन मुद्दा भ्रष्टों को अपदस्थ करने का भय देकर इमानदारी-पूर्ण कार्य करने का प्रशासनिक व्यवस्था का मांग है, अतः यहाँ मुख्य अंश कॉपी किया गया है.

Comments

Popular posts from this blog

चक्रवर्ती योग :--

जोधाबाई के काल्पनिक होने का पारसी प्रमाण:

द्वापर युग में महिलाएं सेनापति तक का दायित्त्व सभाल सकती थीं. जिसकी कल्पना करना आज करोड़ों प्रश्न उत्पन्न करता है. .

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

ब्राह्मण का पतन और उत्थान

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में पुरुष का अर्थ

महारानी पद्मावती की ऐतिहासिकता के प्रमाण

भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण की सच्चाई

मोहनजोदड़ो की सभ्यता ? हड़प्पा की संस्कृति?