प्रधानमंत्री स्वयं में एक ब्रांड हैं। प्रधानमंत्री को किसी विज्ञापन की ज़रूरत ही नहीं है।


रिलायंस एवं इससे सम्बंधित उपकरणों के उत्पादन में लगे विदेशी कंपनियों के ब्रांड दूत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी !!
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ये तो वक्त ही बतायेगा कि कौन किसकी मुट्ठी में है, रिलायंस ने प्रधानमंत्री की साख का इस्तमाल किया है या प्रधानमंत्री ने धनपतियों की साख का इस्तेमाल किया है? 
रिलायंस कंपनी एक विशुद्ध व्यापारिक उद्यम है। इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन इस विज्ञापन से क्या समझा जाए कि रिलायंस अपने मुनाफ़े का बड़ा हिस्सा सरकार को उनके विज्ञापन के लिए उपयोग करेगा?
यह कहा गया है कि रिलायंस-जियो प्रधानमंत्री के विज़न को समर्पित है। 
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अखबारों के पहले पन्ने पर जो विज्ञापन छपा है उसमें प्रधानमंत्री का चेहरा, कंपनी के नाम और लोगो से भी बड़ा है, जबकि सरकार का कानून आने वाला है कि सेलिब्रेटी ब्रांड को एंडोर्स करेंगे तो उसकी गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी भी उन्हें लेनी होगी। 
इस प्रस्तावित कानून के अनुसार क्या प्रधानमंत्री रिलायंस जियो की गुणवत्ता एवं अन्य मानकों की जवाबदेही लेंगे क्या?
यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या रिलायंस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की अनुमति ली थी ? 
किसी योजना को प्रधानमंत्री के विज़न से जोड़ देने में बुराई नहीं है लेकिन जिस तरह से तमाम अख़बारों में विज्ञापन छापा गया है वो प्रधानमंत्री के विजन से जोड़ने से काफी आगे की बात हो जाती है। 
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प्रधानमंत्री स्वयं में एक ब्रांड हैं। प्रधानमंत्री को किसी विज्ञापन की ज़रूरत ही नहीं है। 
रोज़ सैंकड़ों सरकारी विज्ञापन अखबारों के पन्नों पर छपते रहते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री का चेहरा होता है। ये पद ही देश का सबसे प्रभावशाली पद भी हैं। 
इसमें कोई शक नहीं, तभी तो उनके इंटरव्यू के फ्रेम नीचे फ़्लैश हो रहा था कि देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति का इंटरव्यू देखिये। 
जो व्यक्ति ख़ुद को सेवक बताकर प्रस्तुत करता रहा, वो सेवक जिसे इस देश का सबसे अधिक शक्ति या कहें अधिकार नागरिकों द्वारा दिया गया हो, उसे कम से कम ऐसे संबोधनों से परहेज ही करना चाहिए, नहीं तो प्रधानमंत्री के पद की गरिमामय पद की अवहेलना होती है, वरना एक दिन ऐसा विज्ञापन कहीं न छप जाए, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जगह रिलायंस स्वयंसेवक संघ लिखा होगा। 
हमारे देश की राजनीति, उद्योगपतियों की गोद में रहती है। चाहे वो कांग्रेस हो या बीजेपी। साथ साथ चलने में कोई बुराई नहीं है, मगर कोई तो रेखा है, जहाँ से दोनों के बीच एक दूरी भी दिखाई देती है या वो रेखा मिट गई है। 
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मुझे आश्चर्य है कि इसमें सरकार और बीजेपी को कोई आपत्ति क्यूँ नज़र नहीं आती?
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कल से लक्स कोज़ी और रूपा फ़्रेंची वाले भी प्रोत्साहित होकर अपने बिज़नेस को प्रधानमंत्री से जोड़ बैठे तो क्या होगा? प्रधामंत्री की गरिमा को तिरोहित करने वाले के लिए कूकर और सैंडल तो फिर भी ठीक है.
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वैसे देखा जाए तो प्रधानमंत्री को सही मायने में राष्ट्रीय कम्पनी एवं दूरदर्शन का विज्ञापन करना चाहिये था ,यह उनका कर्तव्य भी है। लेकिन उन्होंने ऐसा न करके अपितु एक प्राईवेट कम्पनी एवं उसके उपकरणों में लगने वाले अन्य छोटे छोटे उपकरणों के उत्पादन में लगे विदेशी कंपनियों का भी का विज्ञापन किया, जो अपने आप में शर्म से डूब मरने वाली बात है एवं ये एक अत्यंत कूनीतिक चाल है, जो ये सिद्ध करती है कि सरकार अपने विज्ञापन-दाताओं के लिए विज्ञापन कर रही है।
जिससे सरकार, प्रधानमंत्री एवं ऐसे ही गरिमामय पदों का कोई औचित्य नहीं रह जाता.

क्या कोई बता सकते हैं कि आखिर अंबानी ने सरकार की ऐसी कोन सी नस दबाई कि भारत का प्रधानमंत्री, अपनी सांवैधानिक गरिमा को भूल कर उसकी सिम तक बेचने को मजबूर हो गया?

इसका जवाब नही होगा किस के पास, अब आप अनुमान लगाए कि जब दैशी धनिक वर्ग भी इस लेवल तक मजबूर कर सकते है हमारे प्रधानमंत्री को, तो जरा विदेशी कम्पनीयों के बारे में सोचो वे किस लेवल तक दबाव बनाते होंगे. 
क्या मोदी जी पैसा ले रहै है अंबानी से नही ना? तो फिर 
क्या मोदी जी खुद नहीं समझ रहै हें कि मेरे इस विज्ञापन से जनता मे, भारत के इस सांवैधानिक पद की क्या छवि बनेगी? 
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इतना सब कुछ इस पोस्ट में लिखने का यही मतलब है कि, हमारे देश की कुरसी पर कोई भी क्यों ना बैठा हो, वह कुछ नही कर सकता, होता वही है, जो उसे बनाने वाले उसके मालिक-विज्ञापनदाता-आका इत्यादि लोग(विदेशी धनिक वर्ग) चाहते हैं, और अगर इस देश में यही राईट-टू-रिकाॅल प्रधानमंत्री एवं इसी तरह से अन्य पदों पर राईट-टू-रिकॉल का क़ानून होता तो वह हमारे देश के चैनल दूरदर्शन का विज्ञापन करता, न कि किसी प्राईवेट एव्न्विदेशी कम्पनी को प्रमोट करता।
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आप इस देश के एक जागरूक नागरिक के रूप में परिस्थिति को सुधारने के लिए क्या कर सकते हैं, एवं किन कानूनों द्वारा आप सुधार ला सकते हैं, उन सम्बंधित कानूनों एवं प्रस्तावों के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0 
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सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह है कि, सोनिया-मोदी-केजरीवाल की भक्ति करने की जगह इन कानूनो को लागू करने का प्रयास करें ।
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जय हिन्द 
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