तीसरे विश्व युद्ध के लिए भारत कितना तैयार है?

ईरान, सीरिया, अमेरिका, पाकिस्तान, भारत, चीन, उत्तर कोरिया, टर्की एवं अन्य कुछ देश तीसरे विश्व-युद्ध की शुरुआत करेंगे.
इसमें रूस बाद में भाग लेगा.
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यहाँ मुख्य प्रश्न ये है की भारत इसके लिए कितना तैयार है? हमारे नेताओं को बबूल के झाड पे चढा कर वोट बैंक की राजनीति करवाकर, अपने भक्तों का भगवान बनाने का काम मीडिया जिस तरह से करती है ना, वो सब के लिए काफी घातक सिद्ध होगा.
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कोई भी देश, किसीभी समझौते के अंतर्गत किसी अन्य देश को अपने देश की अत्याधुनिक तकनीक नहीं देता, ये बात आपको मीडिया नहीं बताएगी क्योंकि वो वही छापती है एवं दिखाती है, जिसके लिए उसे पैसे मिले होते हैं, वे किसी तकनिकी एक्सपर्ट से पूछते नहीं है की जो तकनीक कोई भी देश हमें दे रहा है, वो कितना अत्याधुनिक है.
बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों के मालिक जो महा-कारपोरेशन वाले हैं, वे कोई सत्संग नहीं बांचते हैं, की आपको अपनी तकनीक इतनी आसानी से दे देंगे, क्योंकि इससे उनका व्यापार नहीं चलने वाला.
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भारत जैसे देश को उन आयातित तकनीक को एन चुनौती की तरह लेना चाहिए, कि उन देशों के पास और भी कितनी ही महा-विकसित तकनिकी युक्त हथियार सामाग्री एवं उपकरण होंगे, जो हमारे पास नहीं हैं.
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इसके एक गंभीर नुक्सान ये है की सभी अत्याधुनिक उपकरण सॉफ्टवेयर उपयोग में लाते हैं, जिसकी कोड उन्हें विकसित करने वाले इंजिनियर एवं उनके मालिक कंपनियों के पास होती हैं, जिसे वे हमें कभी बताते नहीं एवं, अगर वे युद्ध में अपने मित्र देश को हारता देखें, तो उस अमुक कोड को डीएक्टिवेट करके सम्बंधित उपकरणों का कार्य करना ठप्प किया जा सकता है.
इसे आप इस्राएइल, सीरिया, राडार गूगल सर्च में टाइप करके अधिक जान सकते हैं.
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अधिक जाने के लिए देखें- Indian Military Power since Independence: Its Weakening and Foreign Dependence https://www.youtube.com/watch…
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Why Military, Recall, Jury are in Most Urgent Need VERSUS Other activitieshttps://www.youtube.com/watch?v=IM60JgyAVtA
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किल स्विच - निर्माण के बाद, जुडी हुई सरकिट का विश्वास नहीं किया जा सकता -http://tinyurl.com/ap68n6d
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जो भी समाचार दिखाया जाता है कि अमुक अमुक देश ने हमें अपनी अमुक अमुक तकनीक दी एवं वो तकनीक किसी देश के पास नहीं है, वे झूठ बोलते हैं, क्यूंकि उस प्रदाता देश ने आपको अपने देश में इतने लागत एवं मेहनत से बनाए हुए अत्याधुनिक तकनीक को आपको क्यूँ देगा, क्यूंकि युद्ध में उसे भी तो विजय पानी है, एवं अन्य देशों को भी युद्धक सामग्री बेचनी है, आपको दे देगा तो आप भी वैसा ही बनाने लगिएगा, लेकिन यहाँ तमाम टॉप के मैनेजमेंट एवं गठबंधन वाले अधिकारी इतने सज्जन नहीं होते कि उन आयातित तकनीक के ऊपर निरिक्षण कर अपना एक उससे भी उन्नत उपकरण बना सकें. वे इस तरह की परिस्थिति ही उत्पन्न कर देते हैंअपने संस्थानों में कि जानकार उसपर कार्य ही ना कर सके, एवं विदेशी उपकरण निर्माता कंपनियों का फायदा होता रहे, जिसमे से कमीशन इन टॉप के मैनेजमेंट एवं गठबंधन वालों को भी मिलता है, चाहे वे वैज्ञानिक हों या नहीं हों.
कोई भी प्रदाता देश, आपसे कोई अन्यसमझौते में अपना फायदा आपको मिले फायदे से ज्यादा लिया होगा.
हमारे देश के पास अत्याधुनिक हथियारों की कमी है, जो भी टेस्ट्स होते हैं परिक्षण इत्यादि के,उनमे से पचास प्रतिशत से ज्यादा उपकरण व सॉफ्टवेर बाहर से आयातित होते हैं, वहां के ही अभियंता भारत आकर यहाँ के अभियंताओं को उन उपकरण चलाने की ट्रेनिंग दे देते हैं, और समाचार में आता है की हमारे देश ने अमुक अमुक टेक्नोलॉजी को स्वनिर्मित किया है, ये जो बात स्वनिर्मान की है, वो केवल २० - ३० प्रतिशत उपकरणों पर ही सही बैठती है, लेकिन जिस तरह से इन तरह के समाचारों को न्यूज़ में दिखाया जाता है, वैसा नहीं होता रियल में.
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हमारे देश में स्वनिर्मित हथियार बनाने में उतनी उच्च-गुणवत्ता हासिल नहीं होने का कारण हमें यह बताया जाता है, की हमारे देश के पास उतनी संपत्ति नहीं है, लेकिन अगर बात भ्रष्ट लोगों-अधिकारियों-मंत्रियों से गबन किये गए धन को वसूलने की बात आती है तो यहाँ का भ्रष्ट न्यायिक सिस्टम, इस बात को थोड़े ही दिनों में न्यूज़ चलाकर इन मामलों को ही बंद करवा देती है, रही बात न्याय की तो वो तो इस देश में मृत्यु-उपरान्त भी चलता है, इसमें क्या बड़ी बात है?
पर्याप्त धन दे दो और कोर्ट-कचहरी में मामले का डेट बढाते जाओ, तब तक बढ़ाओ जब तक की पीड़ित-पक्ष या अपराधी-पक्ष या दोनों की ही मृत्यु ना आ जाये.
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उसी तरह से आप परमाणु परिक्षण की क्षमता में भी भारत की तुलना अन्य देशों से कर सकते है, इसकी अध्ययन सामग्री आपको इन्टरनेट पर काफी मात्रा में मिल जायेगी. अगर आप उन अध्ययन संसाधनों को ध्यान से पढेंगे तो पायेंगे की भारत एवं पाकिस्तान की परमाणु क्षमता में कोई ख़ास अंतर नहीं है, कभी आपने यह ध्यान देने की कोशिश की कि द्वितीय परमाणु परिक्षण के बाद भारत पुनः और आगे की श्रृंखला का परमाणु-परिक्षण क्यों नहीं कर सका?
आपमें से कई लोग यह कहेंगे की भारत ने कभी दुसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया , हम शान्ति-प्रिय देश हैं, हम पर भी कभी कोई आक्रमण नहीं करेगा, लेकिन शायद ऐसे लोगों को यह नहीं पता की भारत पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध को जीत न सका, वो हार गया था, अगर आप इस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं तो कृपया यह लिंक सुनें-https://www.youtube.com/watch…
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खैर...
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भारत में रक्षा एवं अनुसंधान के ऊपर ख़ास ध्यान ना देकर, विदेशी हथियार उत्पादक कंपनियों के साथ सांठ गांठ कर उनके हितार्थ ही यहाँ क़ानून बनाया जाता है, जिससे युद्ध के समय हमें अन्य देशों से आयातित उपकरणों पर निर्भर होना पड़ता है, यहाँ न्यायिक प्रक्रिया भी ऐसी है कि साधारण जनता टेंशन-फ्री होकर कार्य नहीं कर सकती, ये स्थिति भारत की समग्र रूप से उत्पादकता में भी कमी ला देती है, इसके लिए नेताओं एवं महा-कारपोरेशन के सांठ-गाँठ के साथ साथ, राईट-टू-रिकॉल एवं ज्यूरी प्रणाली जैसे लोकोपयोगी कानूनों का अभाव का होना है, जिसका फायदा भ्रष्टों को मिलता है.
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समाधान के लिए, राईट-टू-रिकॉल समूह ने कई सारे सुधारात्मक कानूनों का प्रस्ताव दिया है, जिसे अध्ययन करने के बाद इस देश में अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप आदेश भेजें, यह आदेश पूर्णतया सांविधानिक है क्योकि भारत एक संप्रभु व जनतंत्र देश है.
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भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्टhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिनक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति को अपना सांविधानिक आदेश जरूर भेजें.
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नीचे उन आदेशो की सूची दी गयी है, जो आदेश मैंने SMS द्वारा अपने सांसद को भेजे है। आदेशो का विवरण जानने के लिए लिंक को क्लिक करे। ये सभी ड्राफ्ट्स राईट-टू-रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित हैं:- प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
.एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
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जय हिन्द.
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यदि आप भी इन कानूनो का समर्थन करते है, तो अपने सांसद को SMS भेज कर इन्हे गैजेट में प्रकाशित करने का आदेश दे, तथा अपने सांविधानिक कर्तव्य को पूरा करे।
इसके अतिरिक्त भी कुछ क़ानून सुधार ऐसे हैं जो भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में लाये जाने से हमारा देश चीन को मात दे सकता है, इन कानूनों का डिमांड आप अपने नेताओं से अवश्य कीजिये.- जैसे कि
https://www.youtube.com/watch?v=L4TVO8uRW7g

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