सामान्य नागरिकों को हथियार-विहीन रखने के एक और उपाय
देख लो भाइयों, बहनों, बंधुओं, सामान्य नागरिकों को हथियार-विहीन रखने के अंग्रेजो के समय के बने एक्ट के तहत ही, इस तरह के क़ानून सब पर थोपे जा रहे हैं, जिससे हम संकट के समय अपनी रक्षा ही न कर सकें एवं चोर-उचक्के, लूट इत्यादि के डर से जनता का मनोबल इतना गिरा दिया जाए की वो अत्याचार एवं लूट के विरुद्ध कुछ बोल न पाए.
आप जानते हैं, कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, कि आपका मनोबल तोड़ने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं?
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1. हथियार विहीन देश को युद्ध/आतंकवाद की धमकी देकर FDI के लिए अनुमति ली जाती है ।
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2. स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए पेड मिडिया, पेड कोल्मिस्ट, पेड पीएम आदि के माध्यम से FDI को विकास से जोड़ा जाता है ।
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3. MNCs कर मुक्त मुनाफा कमाकर मिशनरीज़ को अनुदान देती है ।
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4. मिशनरीज़ इस अनुदान से आदिवासी और पिछड़े इलाको में स्कूल, अस्पताल और चर्च खोलकर परोपकार के कार्य करती है ।
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5. मुफ्त दवाइयां, मुफ्त शिक्षा तथा समानता के व्यवहार के बल पर धीमी गति से धर्मान्तार किये जाते है ।
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6. पिछड़े और आदिवासी इलाको में सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को बदहाल बनाए रखने के लिए सम्बंधित मंत्रियों/नौकरशाहो को दबाव/प्रलोभन से नियंत्रित किया जाता है, ताकि धर्मान्तर के लिए पर्याप्त अवसर बने रहे ।
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बाधा :
हिन्दू मंदिर/आश्रम/मठ/संत/साधू आदि को श्रधालु बड़े पैमाने पर दान करते है, जिस से यह संस्थाएं इन इलाको में भागवत/रामायण/प्रवचन/प्रभात फेरी/धार्मिक शिविर आदि आयोजित करती है, आश्रम खोले जाते है तथा स्कूल और दवाइयों का वितरण आदि कार्य किये जाते है । इस से धर्म के प्रति हिन्दुओ का जुडाव बना रहता है ।
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इस सरंचना को तोड़ने के लिए सबसे जरुरी है कि ऐसा माहौल खड़ा किया जाए कि श्रद्धालु मंदिरों को दान देना बंद करे और साधू संतो को चोर/उचक्का/बदमाश/व्यभिचारी/भ्रष्ट समझे ।
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चरण :
1. सिख और ईसाई धर्म की तरह, हिन्दू धर्म को नियमित/संगठित/प्रबंधित करने के लिए आवश्यक 'हिन्दू देवालय ट्रस्ट अधिनियम' जैसे कानूनों को पास न करने के लिए मंत्रियो/प्रधानमन्त्री को धमकाया जाता है ।
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2. इस से धर्म में अवांछित और पाखंडी लोगो को साधू-संत बनकर प्रवेश करने का मौका मिलता है, मंदिर बदहाल बने
रहते है, जिस से हिन्दू धर्म को टार्गेट करने का कच्चा माल उपलब्ध रहता है ।
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2. MNCs द्वारा ऐसे एनजीओ को चंदे दिए जाते है, जो अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चलायें, अवसर के अनुसार झूठे या सच्चे आरोपों की पड़ताल की जाती है ।
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3. आरोप लगने पर पेड मिडिया अमुक संत/साधू को टार्गेट करके मिडिया ट्रायल करता है।
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4. प्रयास यह रहता है कि, संत/साधू पर व्याभिचार जैसा मामला गठित किया जाए, ताकि पेड मिडिया चटखारे लेकर खबर परोस सके, और श्रधालु शर्मिंदगी महसूस करें ।
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5. न्यायिक प्रक्रिया को धीमा रखा जाता है, ताकि संदेह/आरोपों की बुनियाद पर मिडिया ट्रायल की जा सके ।
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6. जांच के नाम पर आश्रम/ट्रस्ट/मठ की सभी शाखाओ को बंद या सरकार द्वारा टेक ओवर किया जाता है । जांच और न्यायिक प्रक्रिया बरसो तक चलती रहती है ।
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7. सोशल मिडिया के माध्यम से भोंडे, भद्दे, अश्लील कमेंट्स/चित्र/विडिओ आदि बनाकर सर्कुलेट किया जाता है ।
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8. टीवी पर 4 पैसे के नामालूम पेड साधू-संतो को कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ाया जाता है ।
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9. राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा माहौल खड़ा करने के बाद चलनानुसार ( एज़ ट्रेंड) MNCs द्वारा निर्माता/निर्देशक/अभिनेताओं को अमुक विषय पर फिल्म बनाने के लिए धन दिया जाता है ।
10. चलन में आये साधू-संत को विलेन/जम्मूरा/जोकर की तरह प्रस्तुत किया जाता है ।
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11. पेड मिडिया को साधू-संतो-तांत्रिको/ओझाओ आदि पर सनसनी, वारदात आदि कार्यक्रम बनाने के लिए भुगतान किया जाता है ।
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इन सब सुनियोजित धीमी प्रक्रियाओं का समग्र प्रभाव यह बनता है, कि आम आदमी सभी साधू संतो को घृणा की दृष्टी से देखता है, उनके सामीप्य से कतराता है, और कभी कभी आवेश में उन्हें गालियाँ देता है ।
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मंदिरों को दिए जा रहे दान को रोकने और उन्हें कंगाल बनाने के चरण :
1. हिंदूवादी नेताओ को धमकाया/प्रलोभित किया जाता है कि वे मंदिरों का विद्रूप चित्रण करे और मंदिरों की खिल्ली उड़ाए ।
देवालय से पहले शौचालय के लिए दान करे - मोदी साहेब
हिन्दू मंदिर सबसे गंदे पूजा स्थल है - परेश रावल
मंदिरों की जगह मिड डे मील के लिए दान करना चाहिए - आनंदी बेन
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2. स्वर्ण भंडारों से युक्त मंदिरों के स्वर्ण कोष सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए प्रधानमन्त्री/RBI गवर्नर को धमकाया/प्रलोभित किया जाता है ।
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3. पीएम/सीएम को धमका कर बड़े मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लेकर उस कोष का दान छद्म हिन्दू ट्रस्टो को किया जाता है, जिनका उपयोग मिशनरीज़ करती है ।
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4. ओह माय गॉड, पीके जैसी फिल्मो के माध्यम से मूर्ती पूजा का तार्किक तौर पर खंडन किया जाता है, तथा यह विश्वास दिलाया जाता है, कि दिया गया दान या तो व्यर्थ जा रहा है, या पाखंडियो और मुस्टन्ड़ो को बढ़ावा दे रहा है ।
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5. मानव धर्म को मानने पर बल दिया जाता है, परम्पराओं का मखौल उड़ाया जाता है, तथा धर्म को वैज्ञानिक कसौटियो पर कस कर उसकी धज्जियां उड़ाई जाती है ।
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6. मंदिर/आश्रम आदि को दान करने की जगह गरीबो को खाना खिलाना, असहाय की मदद करना जैसे उपदेश दिए जाते है ।
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7. जो डर गया, वो मंदिर गया। जैसे दार्शनिक और रोंग नंबर जैसे लोकप्रिय हो सकने वाली सूक्तियो का प्रयोग किया जाता है ।
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8. प्रधानमन्त्री को ऐसी फिल्मो का प्रमोशन करने के लिए धमकाया जाता है ।
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समग्र प्रभाव यह बनता है, कि व्यक्ति को मंदिर को दान करना व्यर्थ, और मंदिर जाना ढकोसला और प्रतिगामी लगने लगता है ।
मुख्य लक्ष्य युवा और किशोर होते है । इन फिल्मो के माध्यम से प्रतिभाशाली निर्देशक और भाव प्रवण अभिनेता युवाओं में अपने धर्म के प्रति अवहेलना के बीज बो देते है । कालान्तर में अगली पीढ़ी के मानस पर धर्म के प्रति शिथिलता अध्यारोपित हो जाती है ।
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भारत में मिशनरीज़ के पास चर्च/धर्म का संगठित प्रशासन है, स्कूल्स है, अस्पताल है, दवाइयों के पेटेंट है, अकूत धन/डॉलर है, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ है, आधुनिक हथियार है, मिडिया है, हजारो एनजीओ है, अदालती गठजोड़ है, नौकरशाही में घुसपेठ है और धर्मान्तर करने के लिए समर्पित पादरियों/बिशपो/ननों की फ़ौज और ईसाइयत फैलाने की उत्कट इच्छा है ।
इस्लाम के पास मिशनरीज़ की तुलना में क्या है ?
बाबाजी का ठुल्लू !!
प्रधानमन्त्री/मंत्री/मुख्यमंत्री को धमकाने/प्रलोभित करने के लिए मिशनरीज़ इन सभी शक्ति पुंजो का इस्तेमाल वक्त जरुरत करती है ।
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मिशनरीज़ द्वारा छद्म हिंदूवादी संगठनो को धमकाया/प्रलोभित किया जाता है, कि वे हिंदूओ को इस्लाम के विरोध में उलझाए रखने के लिए गुल गपाड़ा मचाएं रखे, ताकि मिशनरीज़ अपने मिशन को बिना नज़रो में आये आगे बढाती रहे ।
इस रणनीति के तहत इस प्रकार के किसी भी विवाद/घटना के दौरान विहिप, आरएसएस, बीजेपी आदि संगठनो के नेताओं द्वारा इस्लाम को कोसा जाता है, शोसल सेल द्वारा इस्लाम के खिलाफ जहर बुझे पोस्ट प्रसारित किये जाते है, जिनकी विवादित और भड़काऊ भाषा आग में घी डालने का काम करती है । नागरिक इन बयानों, पोस्टो को पढ़ने और उन्हें फैलाने में अपना समय गवां देते है, जिस से मिशनरीज़ के मूल षड्यंत्र पर उनका ध्यान नही जा पाता । इस प्रकार ये सभी हिंदूवादी संगठन मिशनरीज़ को कवरिंग फायर उपलब्ध कराते है ।
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समाधान :
1. पेड मिडिया को नियंत्रित करने के लिए राईट टू रिकाल दूरदर्शन अध्यक्ष, राईट टू रिकाल सेंसर बोर्ड चेयरमेन, जिला शिक्षा अधिकारी, क़ानून ड्राफ्ट्स को गेजेट में छापा जाए ।
tinyurl. com/RtrDdAdhyaksh
tinyurl. com/TeenLineKanoon
tinyurl. com/RtrShiksha
2. त्वरित न्याय प्रणाली के लिए ज्यूरी सिस्टम।
tinyurl. com/jurysys
3. गरीबी कम करने के लिए DDMRCM क़ानून
tinyurl. com/NagrikAamdani
4. हिन्दू धर्म के प्रशासन को सिख धर्म की तरह मजबूत बनाने, मंदिरों की दशा सुधारने और पाखंडी साधू-संतो पर लगाम लगाने के लिए, हिन्दू देवालय ट्रस्ट अधिनियम ।
tinyurl. com/hindusashakt
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अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा आर्डर भेजें, कि इन कानूनों को गेजेट में छापा जाए ।
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आपअपने नेताओं को अपना जनतांत्रिक आदेश इस तरह भेजें, जैसे की-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में पारदर्शी शिकायत प्रणाली के प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :-https://m.facebook.com/notes/830695397057800/ को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे:www.nocorruption.in
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जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट, वेल्थ टैक्स, राईट-टू-रिकॉल एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
.एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
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जय हिन्द.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.