केवल प्रतिबन्ध लगाने से गो-हत्या नहीं रूकती |
एक बहुत ही भ्रामक शीर्षक वाला लेख आजकल में मीडिया में घूम रहा कि मोदी सरकार ने "बीफ" के निर्यात को बैन कर दिया |
ये है उसका लिंक - http://thenamopatrika.com/big-news-modi-govt-bans-beef-exp…/
पहले तो ये समझ लीजिए कि "बीफ" में केवल गाय और बैल और उनका बछड़ा नहीं, भैंस प्रजाति के जानवर भी आ जाते हैं | और हमारे देश से वैध तरीके से भैंस के मॉस का निर्यात बढ़ ही रहा है, कम नहीं हो रहा |
अब अंध भक्त इतने अंधे हैं कि उस लेख में दिए गए चिट्ठी को भी नहीं पढ़ना चाहते (जो अंग्रेजी में है) और जिसमें लिखा है कि गो-हत्या पर बैन लगाना राज्य सरकार के अधीन है, न कि केन्द्र सरकार के अधीन | और गो-मांस के निर्यात पर बैन तो काफी सालों से लगा हुआ है - ये बात पत्र में स्पष्ट नहीं बताई गयी है |
और सबसे बड़ी बात कि सोशियल मीडिया और अन्य स्रोतों से पता चल सकता है कि अवैध तरीके से गाय-बैल की चोरी और गो-मांस और गो-चमड़े की चोरी में भी कमी नहीं आई है | क्यों ?
केवल प्रतिबन्ध लगाने से गो-हत्या नहीं रूकती |
क्योंकि आज यदि किसी के पास गोहत्या करने वाले के विरुद्ध सबूत है और वो सबूत सरकार द्वारा नियुक्त दफ्तर में जमा करता है, तो जमा करने के बाद वो स्वयं अपनी अर्जी देख नहीं सकता | इसलिए, उन सबूत वाली अर्जी को दबाना / छेड़-छाड़ करना बहुत आसान है |
इसीलिए, हमने प्रस्ताव किया है कि नागरिकों के पास विकल्प होना चाहिए कि कोई भी नागरिक कलेक्टर आदि सरकार द्वारा नियुक्त हजारों दफ्तर में से किसी में जाकर, अपनी सबूत, बयान, अर्जी 20 रुपये की एफिडेविट के रूप में दे सकता है और उस एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करने के लिए कह सकता है ताकि उस एफिडेविट को उसके वोटर आई.डी. के साथ कोई भी बिना लॉग-इन उसे देख सकें |
संक्षिप्त में ये मांग केवल एक लाइन की है कि नागरिक के पास विकल्प हो कि वो अपना एफिडेविट निश्चित सरकारी दफ्तर जाकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करवा सके ताकि उस एफिडेविट को उसके वोटर आई.डी. नंबर के साथ, बिना लॉग-इन के सभी उसे देख सकें | इस एक लाइन सरकारी आदेश-क़ानून द्वारा आने से सबूतों को दबाया नहीं जा सकेगा ; जनता के सामने सबूत दबाने का प्रयास करने वाले की जनता में सबूत सहित पोल खुल जायेगी |
मतलब प्रतिबन्ध भी तभी काम करेगा जब नागरिक के द्वारा दिए गए सबूत और शिकायत आदि नहीं दबेंगे ; जब तक नागरिक स्वयं प्रतिबन्ध का पालन नहीं करवाएं | नागरिक प्रतिबन्ध का पालन कैसे करवा सकते हैं, इसके लिए देखें - www.tinyurl. com/GoHatyaRokoKanoon (स्पेस हटा दे या लिंक कमेंट बॉक्स में देखे)
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.