भागवत उवाच-
मैं नहीं, भागवत उवाच-
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संघ के सरसंघ संचालक मोहन जी भागवत द्वारा 'हिन्दू धर्म में व्याप्त अवैज्ञानिक परम्पराओ को त्यागने करने की सलाह' >>>> http://satyavijayi.com/hindu-values-that-have-no-scientifi…/
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सभी संघ के सेवक (जो कि खुद स्वयं सेवक कहते है) ने इन सभी अवैज्ञानिक परम्पराओ को त्यागने का संकल्प लिया है। तथा वे अन्य हिन्दू धर्मावलम्बियों को भी कन्विंस कर रहे है कि वे कुरूतियों को त्याग दे।
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अब हिन्दू धर्म में क्या अवैज्ञानिक है और क्या अवैज्ञानिक है इसका लाइसेंस आरएसएस / विहिप के पास है।
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हिन्दू धर्म इतना विस्तृत है की ओडिसा से राजस्थान और कश्मीर मेघालय से लेकर तमिल नाडु तक विभिन्न परम्पराएँ हैं , उनमे किसी भी हिन्दू को कोई आपत्ति नहीं है। कोई भी सम्प्रदाय / व्यक्ति अपनी परम्पराओं के वैज्ञानिक अथवा अवैज्ञानिक होने के पचड़े में नहीं पड़ता। सभी शांति से ख़ुशी से रहते हैं। तो ऐसे में आरएसएस / भागवत को विज्ञान की शिक्षा पोप ने दी या ब्रिटिश क्वीन ने या अमेरिकन ओबामा ने ??? ये तो समय ही बताएगा, वैसे ही जैसे 2 साल में मोदीजी की हकीकत अब किसी से छुपी नहीं है।
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एक मामूली सी वैश्य सन्नी लिओनी को रोक पाने में असमर्थ भागवत, मोदीजी और आरएसएस / विहिप सामान्य हिन्दुओ को अपने अंधभक्ति के मायाजाल से हिन्दुओं के विज्ञान का परिचय देंगे। आश्चर्य नहीं की ये सब होशियारी आरएसएस को 1925 से लेकर आज ही क्यों याद आई।
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जल्द ही भागवत / आरएसएस / विहिप कुछ ही वर्षों में विदेशी मिशनरियों और MNCs / ओबामा के आदेश से निम्न बातें बोलने वाले हैं। >>>>>>>>>>>>>
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दीपावली के उपलक्ष्य में हम हर साल लाखो लीटर तेल घी व्यर्थ जला देते है। जबकि श्री राम चन्द्र के किसी समय मौजूद होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलता। एक बारगी भक्तो का दिल रखने के लिए यह मान भी लिया जाए कि राजा राम मौजूद थे, और अमावस को उन्होंने अयोध्या में प्रवेश किया था, तब भी उसके उपलक्ष्य में आधुनिक काल में दीप जलाने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि उस समय बिजली नहीं थी, लेकिन आज तो प्रकाश रात में भी मौजूद है। एक गरीब देश को ऐसे अवैज्ञानिक कुरीतियों पर इतना धन नही फूंकना चाहिए। और फिर आतिशबाजी भी तो है। शोर शराबे और वायु प्रदुषण के अलावा उनकी अन्य कोई उपयोगिता नहीं।
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कोई भी व्यक्ति जलते अग्नि-कुण्ड में बैठ कर जीवित कैसे रह सकता है। प्रहलाद से सम्बंधित विवरण वैज्ञानिक नहीं है। हम किस दिशा की और बढ़ रहे है ? ये अवैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि दिमागी दिवालियापन भी है। और व्यसन आदि करके होली पर चेहरे लाल पीले करके घूमने का क्या औचित्य है ? क्या कोई इसका वैज्ञानिक आधार मुझे बताएगा ?
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ईश्वर चेतन स्वरुप है, अत: जड़ में निवास नहीं कर सकता। फिर भी पढ़े लिखे विवेकवान पुरुष मंदिरो में सुसज्जित पत्थर की मूर्तियों के आगे लौटते नजर आते है। घोर अवैज्ञानिक।
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रूद्राक्ष शिव के आंसू है !!! है कोई वैज्ञानिक आधार ? शिवलिंग पर दूध चढाने से दूध मलिन होकर नष्ट हो जाता है। यह बात कोई बच्चा भी बता सकता है।
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'तर्पण करने से पूर्वजो को मोक्ष मिलता है, और पञ्चग्रास कव्वे को खिलाने से पितरो को इस अन्न की प्राप्ति होती है'। जिस देश में ऐसी अवैज्ञानिक सोच वाले अंधविश्वासी निवास करते है, उस देश का कोई भविष्य नहीं। और गंडे-ताबीज, माला, मुहूर्त आदि बलाएँ लोग अलग से देह पर धारण करके डोलते है।
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आधी से ज्यादा आबादी को घी सूंघने को नहीं मिल रहा, और कुछ अंध-श्रद्धालु इसे हवन के नाम पर अग्नि में जला दे रहे है। देखा नहीं जाता।
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समाधान ~ निचे दिये कानूनी ड्राफ्ट की मांग सांसद करे व sms भेजे
.1. भारतीय संप्रदाय देवालय प्रबंधक ट्रस्ट' के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.Facebook.com/ishwar.choudhary.7731/posts/1804977919734668
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2. राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधक ट्रस्ट' के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.Facebook.com/ishwar.choudhary.7731/posts/1804978249734635
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अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा आर्डर भेजें, कि इन कानूनों को गेजेट में छापा जाए ।
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आपअपने नेताओं को अपना जनतांत्रिक आदेश इस तरह भेजें, जैसे की-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में
1. भारतीय संप्रदाय देवालय प्रबंधक ट्रस्ट' के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.Facebook.com/ishwar.choudhary.7731/posts/1804977919734668
एवं
2. राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधक ट्रस्ट' के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.Facebook.com/ishwar.choudhary.7731/posts/1804978249734635 को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे:www.nocorruption.in
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जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट, वेल्थ टैक्स, राईट-टू-रिकॉल एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
.एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
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जय हिन्द.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.