क्या बीजेपी पार्टी कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के घोटालेबाजों का साथ दे रही है? जनता क्या कर सकती है?


क्या बीजेपी पार्टी कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के घोटालेबाजों का साथ दे रही है? कांग्रेस के घोटालों के दोषियों को क्लीन चिट, बीजेपी एवं कांग्रेस की तुलना, आखिर क्यों कांग्रेस एवं अन्य पार्टी में दोषियों को सजा नहीं हो रही है? जनता क्या नहीं कर पा रही, जो ये कर सकती है? देखते हैं इस संक्षिप्त चर्चा में-
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◆चिंटू:- मास्टर जी, कांग्रेस जब सत्ता में थी तब हर महीने उनके घोटाले सामने आते थे, लेकिन अब सत्ता से बाहर होने के बावजूद उनका कोई भी नेता किसी भी मामले में जेल नहीं गया है। वे सब घोटाले क्या हुए ? क्या सिर्फ प्रोपोगेंडा था ?
●मास्टर जी :- कुछ मामलों में प्रोपोगेंडा भी हो सकता है, पर घोटाले तो थे ही।
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◆चिंटू :- फिर मोदी साहेब जेल भेजना तो छोड़िये उनमे से किसी के खिलाफ जाँच भी क्यों नही करवा रहे है ? अब किसका भय है उन्हें ?
●मास्टर जी :-बीजेपी के नेताओ का, जजो का, अधिकारियों का, उद्योगपतियों का, संपादको का, मिडिया के मालिको का और कांग्रेस का तो भय खैर है ही।
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◆चिंटू :- ऐसे कैसे ?
●मास्टर जी :- बड़े घोटाले सिर्फ नेताओ के बस की बात नहीं होते। इसमें अन्य पॉवर सेक्टर्स की मिलीभगत की भी आवश्यकता होती है। तुझे क्या लगता है दूरसंचार मंत्री ए राजा के पास इतनी शक्तियां थी कि वह अकेला 2 जी
स्पेक्ट्रम घोटाले के 2 लाख करोड़ हजम कर जाए। या मनमोहन अकेले ऐसा कर सकते थे ?
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◆चिंटू :- नही कर सकते क्या ?
●मास्टर जी :- बिलकुल नही। इसको ऐसे समझ कि, राजा को 1 हजार करोड़ का घपला करना था, लेकिन उसके विभाग के नौकरशाहों को हिस्सा नहीं मिलने से वे टांग अड़ा देंगे। अत: उन 20-25 वरिष्ठ अधिकारियों को भी 100-50 करोड़ रू प्रति व्यक्ति के हिसाब से देने होंगे। 
फिर कपिल सिब्बल और चिदंबरम जैसे घाघ बैठे है, उन्हें पता लगेगा तो वो राजा के दुश्मन हो जाएंगे, अत: 1000-500 करोड़ उन्हें भी देने होंगे।
फिर मेडम सोनिया और प्रियंका भी लेंगे। मिडिया पैसा बनाने के लिए इन लोगो पर
पैनी नजर बना कर रखता है, अत: चुप रहने के लिए सभी प्रमुख मिडिया मालिको को और पत्रकारों को भी पैसा देना होगा। फिर अपनी पार्टी के प्रत्येक सांसद को भी 5-10 करोड़ पहुंचाने होंगे। फिर न्यायपालिका भी है। अगर जजो को पैसा नहीं गया तो वे महीने भर में राजा को जेल में पहुंचा देंगे, अत: उन्हें भी देना है। सीबीआई, ईडी वगेरह जांच एजेंसियो के मुख्य अधिकारी भी पैसा लेंगे। इस तरह से घोटाले की लागत बढ़ती जाती है। लेकिन जितने लोगो को पैसा जाता है उतना ही घोटाला सेफ हो जाता है।
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◆चिंटू :- तो क्या हुआ ? सबके खिलाफ जांच हो जाने दो। दिक्क्त क्या है ?
●मास्टर जी :- दिक्क्त यह है कि तू बीच मैं बोलता है। पूरा सुन तो ले। अभी और है। विपक्ष के सांसद यह ध्यान रखते है कि कहाँ घोटाला हो रहा है। ध्यान नहीं भी रखेंगे तो कैसे भी उन्हें पता चल ही जाने वाला है। और यह भी संभावना होती है कि विपक्ष सत्ता में आ सकता है, अत: कोई भी घोटाला करो लेकिन विपक्ष को पैसा देना ही है, वरना आज नहीं तो कल फंसना तय है। इसलिए विपक्ष के सांसदों
को भी पैसा देना पड़ता है। 
दूसरा पक्ष यह है कि कुछ राज्यों में बीजेपी की सरकारें होती है कुछ में कांग्रेस की। मान लो केंद्र में कांग्रेस की सरकार है तो राज्यों की बीजेपी सरकारें अपने घोटालो पर चुप रहने के लिए कांग्रेस की केंद्र सरकार को पैसा खिला रही होती है। और जब केंद्र में बीजेपी आ जाती है तो अमुक राज्य में सत्ता परिवर्तन के कारण कांग्रेस सत्ता में आ जाती है। मिडिया और जज दोनों से पैसा लेते है। चाहे घोटाला कोई
भी करो। मतलब जिन राज्यों में आज कांग्रेस सत्ता में है वहाँ वह अपने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के घोटाले दबा कर बैठी है और कांग्रेस बीजेपी के। सारे गुड में गोबर मिला हुआ है। सारे घोटालो में सभी शामिल है।
एक नाजुक संतुलन है। थोड़ा भी डिस्टर्ब किया तो पूरा ढह जाएगा। एक भी जेल गया तो सब जाएंगे। मोदी साहेब जज और मिडिया से टकराव मोल नही ले सकते वरना लेने की जगह देने पड़ जाएंगे। इसलिए जब कांग्रेस बीजेपी को बचा रही होती है तो असल में वह खुद को भी बचा रही होती है, और यही शर्त बीजेपी पर भी
शामिल है। मोदी साहेब कांग्रेस की टांग खींचेंगे तो बीजेपी के लोग भी गिरेंगे तब खुद को बचाने के लिए बीजेपी के सांसद मोदी साहेब को प्रधानमन्त्री की नौकरी से निकाल कर वापिस गुजरात की ट्रेन में बिठा देंगे और जेटली पीएम बन जाएगा।
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क्या तू यह चाहता है कि जेटली पीएम बन जाए ???
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◆चिंटू :- ये क्या बात हुयी ? ओहो, अभी मैं समझा, क्यों मोदी साहेब बार बार कह रहे थे कि बदले की भावना से किसी पर कार्यवाही नहीं करूँगा। मतलब वो सच कह रहे थे और मैं समझ रहा था कि वो जानबूझकर झूठ बोल रहे है।
●मास्टर जी :- असल में वे जानबूझकर यह सच बोल रहे थे ताकि जनता यह झूठा अर्थ निकाले कि मोदी साहेब मामू बना रहे है, लेकिन सत्ता में आते ही वे सभी कांग्रेसियों को फिट करवा देंगे। असल में मोदी साहेब जबान से सब कुछ सच
ही बोल रहे थे, लेकिन वे माहौल ऐसा बनवा रहे थे कि उसे झूठ समझा जाए। वे सच कह रहे थे कि 'मैं देवालय से पहले शौचालय बनवाऊंगा', पर उनके भक्तो ने 'खुद' से ही ये अर्थ निकाला कि वे मंदिर बनाएंगे। मोदी साहेब सच बोल रहे थे की
'मेरा एजेंडा सबका साथ सबका विकास है', लेकिन भक्तो ने खुद से ही यह अर्थ निकाला कि वे तो हिंदूवादी एजेंडे पर वोट मांग रहे है, अत: गौ हत्या रुकवा देंगे, जनसँख्या नियंत्रक क़ानून लाएंगे, देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देंगे, धारा 370 खत्म करेंगे, पाकिस्तान को सबक सिखा देंगे, मंदिरो को सरकारी नियंत्रण से
मुक्त कर देंगे, सामान नागरिक संहिता लागू कर देंगे आदि। जबकि मोदी साहेब ने अपनी रैलियों में इन पर मुहं भी नही खोला था।
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◆चिंटू :- लोग खुद से ही ऐसा अर्थ कैसे निकाल लेते है ?
●मास्टर जी :- सतह के नीचे एक माहौल सा बना दिया जाता है, छुटभैये नेताओ के बयानों और मिडिया के माध्यम से। जैसे मोदी साहेब जब से पीएम बने है विदेशी कंपनियों के 'विकास' पर ही टिके हुए है, लेकिन गिरिराज, योगी आदित्यनाथ, साक्षी महाराज आदि नेताओ को निर्देश है कि वे रिवर्स बयान देते रहे। ऐसा ही तब मिडिया और अन्य नेताओ द्वारा किया जा रहा था।
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◆चिंटू :- मतलब ये तो डबल क्रॉस हो गया ?
●मास्टर जी :- कोई डबल क्रॉस नही है। उन्होंने बोला कि बदले की कार्यवाही नही करूँगा, और वे नही कर रहे है। इसलिए ये सिंगल क्रॉस ही है। डबल क्रॉस यह है कि उन्होंने कहा था कि पिंक रिवोल्यूशन पर रोक लगाउँगा और बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ दूंगा, पर वे मुकर गए।
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◆चिंटू :- अब इन सब घोटाले बाजो को अंदर डालना क्या करने से होगा ? कोई उपाय ?
●मास्टर जी :- देखो ऐसा है की जब तक घोटालेबाजो का सार्वजनिक नार्को टेस्ट
नहीं होगा तब तक ये लोग सच बोलने वाले नही है। और सच बुलवाएगा कौन ? जांच अधिकारी भी घोटाले में शामिल,, जज यानी फैसला देने वाले भी इसमें शामिल, मिडिया भी इनके साथ और सभी पार्टियों के नेता तो शामिल है ही। इसलिए यह जरुरी है कि जांच अधिकारी भी जनता का आदमी हो, और न्यायधीश भी। इसके लिए यह जरुरी है कि मुकदमे की सुनवाई नागरिको की ज्यूरी करे और जांच अधिकारी को चुनने और नौकरी से निकालने का अधिकार भी जनता के पास हो।
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इसका एक ही उपाय है, राईट-टू-रिकॉल सांसद विधायक एवं अन्य पदों पर राईट-टू-रिकॉल का क़ानून को जनता के हाथ में दिया जाना चाहिए, जिससे वे भ्रष्ट मंत्रियों सांसदों विधायकों इत्यादि को उनके पद से निष्कासित कर उन्हें बदल सकें-.
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आपको अपना सांवैधानिक मांग ऐसे रखना चाहिए-
"माननीय सांसद/विधायक/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको राइट-टू-रिकॉल विधायक के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/813343768783861 ,
राईट टू रिकॉल सांसद के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/860633484054889 , क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून बनाए जाने का आदेश देता /देती हूँ.
वोटर-संख्या- xyz१२३४५६७, 
धन्यवाद "
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राईट-टू-रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित सुधारात्मक कानूनों की जानकारी के लिए देखिये-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0 
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भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों पर जोक बनाना और व्यंग करना हमारा लोकतांत्रिक हक़ है , और मोदी जी पर व्यंग करना प्रधामंत्री की गरिमा के ख़िलाफ़ है , यहां तक कि देश के साथ गद्दारी भी है ।
जय हिन्द

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