जिस तरह से मीडिया गुजरात में कथित तौर से दलितों पर हिंसा को दिखा रही है, क्या वो दलितों द्वारा धर्मान्तरण की शुरुआत करेगी?




जिस तरह से मीडिया गुजरात में कथित तौर से दलितों पर हिंसा को दिखा रही है, क्या वो दलितों द्वारा धर्मान्तरण एवं देश-विभाजन के अगले चरण की शुरुआत करेगी?
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गुजरात के दलितों का अकेलापन और कथित रूप से आधुनिक एवं अंग्रेजी बोलने वाले समाज की अहिंसापूर्ण चुप्पी तथा भाड़े के मीडिया वाले किस तरह इस दुर्घटना को कौन सा रंग दे रहे हैं जिससे समाज में वैमनस्यता फैले, दलित लोग धर्मान्तरण बड़े पैमाने पर कर सकें, जबकि हमलावर एवं पीड़ित की जाति का सही से पता तक नहीं है- !! तो फिर सच क्या हो सकता है?
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जैसा की वहां के वाशिंदों ने बताया:- मूल रूप से जो बात अभी तक नहीं पता चल पायी कि पीटने वाले कौन थे ? और मार खाने वाले दलित थे , इसका कोई सबूत नहीं आ पाया है. मजे की बात है कि जिस xylo गाड़ी का प्रयोग किया गया इस काम के लिए , वो दमन से आई थी, जो घटनास्थल से 800-900 किलोमीटर दूर से.
इतनी दूर से Xylo गाड़ी मे बैठकर पीटने वाले लोग यही काम करने यहाँ करने आए थे क्या?
कभी किसी गाँव मे आप सबने ऐसी घटना देखी सुनी है?
मेरे जानकारी के हिसाब से जिस टी वी ने इसको 12 जुलाई को पब्लिक किया वो थी TV5 , जो कि दक्षिण भारत तक सीमित एक तमिल टेलिविजन है, वो गुजरात मे कैसे पहुंची ?

दरअसल, इस घटना मे पिटने वाले , और पीटने वाले , भाड़े के लोग हैं , जिनको इसाइयों ने कोंग्रेसियों ने और वामपंथियों ने पैसा दिया है.
और बाद की कहानी को आग देने मे अपनी पूरी शक्ति लगाई है.
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अब ये सबकी समझ में आ जाना चाहिए की जो कोई भी वहां उस वक्त मार-पीट के समय पे इसका गवाह बना, अगर उन प्रत्यक्ष दर्शियों के पास अगर हथियार होता और उन हथियारों को पीटने वालों पर उपयोग किया गया होता ना, तो मार-पिटाई से पीड़ित लोगों को बचाया जा सकता था. लेकिन आधुनिक एवं अंग्रेजी बोलने वाले हिन्दुओं ने तो हथियारों के स्थान पर, अपनी शिक्षा एवं भाषा तथा अपने टेढ़ेपन को अपना हथियार बनाया हुआ है, जिससे कि समाज के लोग ऐसे विदेशी चाल ढाल वालों को देखते हीं सलाम करें, उन पढ़े लिखों का घमंड उन्हें अपने से इतर और किसी का भला होने देखने ही नहीं देता.
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इसीलिए सब हिन्दुओं को अपने घरों में हथियार रखने के साथ साथ वक्त पे प्रयोग भी करना चाहिए,
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अब लोग इस बात पर कहेंगे, कि हम हथियार नहीं रखेंगे, पुलिस किस दिन काम आएगी, तो बुद्धिमानों को समझ में आना चाहिए कि पुलिस एवं कोर्ट कचहरी केवल ताकतवर का साथ देती है.
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अतः सभी बुद्धिमानों से अनुरोध है कि आप सभी अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखें एवं वक्त पर इस्तेमाल भी करें.
जैसे आप सबको दीपिका पादुकोण के कहने पे चड्डी धारण किये हुए महिलाओं को देखने की आदत पड़ गयी है, वैसे ही आपको अपने अपने घरों में हथियारों को देखने एवं उसका उपयोग करने की भी आदत हो जायेगी.
खैर....
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समाधान :-
समाधान के लिए जो कोई भी सज्जन गोहत्या को कम करने में रूचि रखते हों उन्हें अपने सांसदों से गोहत्या कम करने के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/822256167892621
को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप तत्काल प्रभाव से दिए जाने के लिए प्रधानमन्त्री पर दबाव बनाने को कहें, अन्यथा आप उन्हें वोट न दें. इसके लिए आप अपने सांसदों को मात्र एक सांवैधानिक आदेश जो आप sms/ ईमेल/ पोस्टकार्ड/ट्वीटर एवं अन्य माध्यमों से भेज सकते हैं.
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इसके साथ ही हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809737552477816
एवं मीडिया को भारतीय बनाने के लिए राईट टू रिकॉल दूरदर्शन अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/811073719010866
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के ड्राफ्ट को भी अपने मंत्री-सांसदों एवं पी एम् से तत्काल प्रभाव से क़ानून बनाए जाने को उनपर नैतिक दबाव बनाएं.
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आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको गोहत्या कम करने के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/822256167892621 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने के लिए प्रधानमन्त्री पर नैतिक दबाव डालने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz.
धन्यवाद "
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इसी तरह आप पारदर्शी शिकायत प्रणाली के ड्राफ्ट का क़ानून भारत में लाने के लिए कार्य कर सकते हैं, अन्य सम्बंधित कानूनों के लिए यहाँ देखें- https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
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इस दुर्व्यवस्था को हटाकर जनहित में एक नयी व्यवस्था कायम करने के लिए इस देश में पारदर्शी शिकायत प्रणाली का आना अत्यावश्यक है, जिसका ड्राफ्ट आप यहाँ देख सकते हैं- ( पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186 )
जिसमे पीड़ित नागरिक अपनी समस्या या अपने मोहल्ले इत्यादि की समस्या को मात्र एक एफिडेविट को स्कैन करके जिले के कलेक्टर ऑफिस से माननीय प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रख सकेगा, जिसे देश के अन्य नागरिक बिना लॉग इन के देख सकेंगे. इस व्यवस्था में अन्य नागरिक भी अपनी राय/समर्थन/विरोध/सुझाव/सम्बंधित कानूनों में परिवर्तन रख सकेगा, इस व्यवस्था का एक डेमो देखने के लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं- smstoneta.com
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कुव्यवस्था फैलाने वालों से बचने के लिए इस देश में व्यवस्था परिवर्तन अत्यावश्यक है.
जनहित में व्यवस्था परिवर्तन को सरकार smstoneta.com जैसी वेबसाइट लाकर शुरू कर सकती है, जहाँ कोई नागरिक किसी अन्य नागरिक द्वारा समर्थित मुद्दे और उपाय देख सकते हैं. यह डिमांड सांविधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
पब्लिक एस.एम.एस सर्वर का क्या स्वरूप हो सकता है ? https://goo.gl/41HTRF
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इन सबका कारण एक है कि वो ये कि हमारी सुरक्षा एवं यहाँ के नीति-निर्धारक विदेशी हाथों में निर्भर है. इसके चलते यहाँ का अधिकतर क़ानून वास्तविक अपराधी एवं शक्तिशाली के ही पक्ष में न्याय देती है, क्यूंकि यहाँ की न्याय जनता न करके, चंद बिके हुए जज एवं सरकारी वकील करते हैं.
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भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिंक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति को अपना सांविधानिक आदेश जरूर भेजें.
इस आदेश को अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप आदेश भेजें
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आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने के लिए माननीय प्रधानमन्त्री को नैतिक दबाव डालने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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बुद्धिमान पाठकों से अनुरोध है कि बात को समझें. रवीश जैसा पत्रकार एवं भाड़े के मीडिया वाले खुलेआम विघटनकारी पत्रकारिता करते है, जातिवाद फैलाते है...44 लुच्चे संसद में खड़े होकर आतंकवादियों का समर्थन करते हैं...केजरीवाल जैसा देशद्रोही जिसे जेल में सड़ना और भुला दिया जाना चाहिए था, वह एक नेता, एक राज्य का मुख्यमंत्री बना बैठा है. देश में सड़कों पर लाखों जिहादी निकलते हैं और पूरे शासन तंत्र का मजाक बना देते हैं...दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर हिन्दू शहर छोड़ कर भाग जाते हैं...बीच राजधानी में एक डॉक्टर को बांग्लादेशी घुसपैठिये पीट पीट कर मार डालते हैं...देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री की क्या प्रतिक्रिया देखी आपने? कौन सा ऐसा प्रशासनिक, राजनीतिक, कूटनीतिक या "कूट"-नीतिक कदम देखा आपने जिसने आपको यह विश्वास दिलाया है कि यह घटनाएं फिर नहीं दुहरायी जाएँगी? हम उस विनाश की ओर निरंतर बढ़ते ही नहीं जायेंगे?
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यह सारी घटनाएं एक तरह का सोशल ब्लास्ट हैं. यह समाज के "फाल्ट लाइन्स" पर होने वाले हमले हैं जिनके नतीजे विभाजन से भी भयानक होने वाले हैं. हम सब इसे बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनावों से जोड़ कर देख रहे हैं, पर इनके नतीजे सिर्फ चुनावी नतीजे नहीँ. यह एक दलित-मुस्लिम गठबंधन बनाने और उसमें ज्यादा से ज्यादा दलितों का धर्मान्तरण करने की प्रक्रिया है.
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पर इसके नतीजे चुनावी नतीजों से कहीं भयानक होने वाले है. जिस दिन यह गठबंधन तैयार हो गया, भारत की सड़कों पर सीरिया का दृश्य होगा...
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मुझे विश्वास है यहाँ तक सभी सहमत हैं. वास्तविक प्रश्न इसके आगे का है.
सबको मालूम है, यह सामाजिक विस्फोट कौन करा रहा है और उनके इरादे क्या हैं.
पर 2014 में जो सरकार चुनी है, इस स्पष्ट अपेक्षा के साथ चुनी है कि यह नहीं चलता रहेगा...वह नहीं चलता रहेगा...कि इसपर रोक लगेगी, उसपर रोक लग जाएगी...इसे कुचल दिया जायेगा. उसे कुचल दिया जाएगा.

पर विदेशों से आने वाली फंडिंग पर कानूनी रोक लगाने के अलावा एक भी कदम उठाया गया है?
यह ऊना और सोनेपेड जैसे ड्रामे रोज किये जायेंगे...नारंग जैसी घटनाएं होतीं रहेंगी.
देश में लोगों को एक दूसरे के विरूद्ध भड़काया जायेगा, ज़हर बोया जायेगा...आप कर भी क्या लेंगे?
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अब यह मत कहिये कि आपके पास कोई विकल्प नहीं है...क्योंकि आप विकल्प ढूंढ ही नहीं रहे. मोदी ही हमारा विकल्प हैं और यह मोदी को ही करना होगा...और मोदी को करना ही होगा; इन सबसे काम नहीं चलने वाला, सबको क़ानून सुधार प्रकारियाओं पे काम करना ही पड़ेगा.
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हम सिर्फ अपनी बनायी हुई इस सरकार से अपना अधिकार मांग रहे हैं. अपने अस्तित्व का अधिकार...
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जय हिन्द.

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