क्या जनता कश्मीर में अमरनाथ यात्रा का सारा सच जानती है?
हमें सच्चाई दिखनी ही बन्द हो गई है या हम जान बूझ कर यह सब देखना नहीं चाहते ? कुछ मित्रों को मिलने वाले अन्य अमरनाथ यात्रियों के अनुभव के अनुसार भारत की सेना एवं सरकार बहुत मेहनत कर रही है जिससे यह यात्रा शान्ति-पूर्ण ढंग से संपन्न हो सके, वहीँ कुछ यात्री इए भी हैं जिनके अनुभव निम्न रहे. सच क्या है, ये किसी को नहीं पता. हो सकता है, सरकारी व्यक्ति या सेना के ड्रेस में किसी ने धोखा देने का प्रयास किया हो, खैर..देखते हैं आगे-
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आज ट्रेन में अमरनाथ यात्रा से लौटने वाले यात्रियों से चर्चा हुई. मैनें पूछा कैसी रही आपकी यात्रा ?
बोले अरे वो सब कश्मीरी आतंकवादियों की वजह से गड़बड़ हो गई.
मैने पूछा अच्छा क्या कश्मीरी आतंकवादियों नें अमरनाथ पर हमला किया
यात्री बोले नहीं अमरनाथ पर हमला तो नहीं किया.
मैनें पूछा तो क्या कश्मीरी आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों पर हमला किया. वे एक दूसरे का मूँह देखने लगे , फिर धीरे से बोले कि नहीं कश्मीरी आतंकवादियों नें तीर्थयात्रियों पर कोई हमला नहीं किया.
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मैनें पूछा कि फिर कश्मीरी आंतकवादियों की वजह से आपकी यात्रा कैसे बर्बाद हो गई ?
तीर्थ यात्री बोले कि आर्मी वालों नें ऐसा बोला था, यानी अमरनाथ यात्रा किसी कश्मीरी के कारण नहीं रूकी है, सेना और सरकार ने मिल कर कश्मीरियों को बदनाम करने के लिये बेवजह अमरनाथ यात्रा बन्द करी है, दूसरी खबर यह है कि अमरनाथ यात्रा बन्द करके यात्रियों को जबरदस्ती वापिस भेजा जा रहा है, कल वापिस आते समय तीर्थयात्रियों की एक बस पलट गई. तीर्थयात्री दूसरी गाड़ियों से मदद मांगते रहे. लेकिन दूसरे तीर्थयात्रियों ने मदद के लिये अपनी गाड़ी नहीं रोकी
सेना का ट्रक भी नहीं रुका. फिर किसी मुस्लिम कश्मीरी गांव वाले ने यह सब देखा
फिर तो कश्मीरी मुसलमानों का पूरा गांव हिन्दु अमरनाथ यात्रियों को बचाने के लिये दौड़ पड़ा. बस के काँच तोड़ कर बस में फंसे यात्रियों को निकाला गया. फिर सभी घायल तीर्थ यात्रियों को कश्मीरी गांव वालों ने अस्पताल पहुंचाया,
दूसरी खबर यह है कि दंगे में फंस कर एक पंडित परिवार भूखा था, एक कश्मीरी पति पत्नी ने कर्फ्यू की परवाह करे बिना अपने कन्धे पर खाने का सामान लादा
और कई मील पैदल चल कर पंडित परिवार तक खाना पहुँचाई.
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सुना है कश्मीर में गोलियों के छर्रे लगने से एक सौ के करीब कश्मीरियों की आंख खराब हो गई है, इधर भारत वासियों की आंखें बिना गोली लगे ही बन्द हो गई हैं
हमें सच्चाई दिखनी ही बन्द हो गई है
या हम जान बूझ कर यह सब देखना नहीं चाहते ?
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सच क्या है, ये हममे से किसी को नहीं पता है, केवल मीडिया पे भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि मीडिया भी घटनाओं को मिला जुलाकर तोड़ मरोड़ कर अपने दर्शक वर्ग का ध्यान रखने के हिसाब से समाचार लिखती है, जिससे की समाचार चैनल्स एवं समाचार पत्रों के मालिक-वर्ग खुश रहे. वे उनके लिए काम करते हैं, जो उन्हें सैलरी देते हैं.
उपरोक्त घटना में ऐसा भी हो सकता है कि
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इन सब बातों का एक ही उपाय है कि भारत की जनता पारदर्शी शिकायत सिस्टम को भारत में लाने का डिमांड अपने सांसदों से करें जिसमे नागरीक प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ अपना एक एफिडेविट को स्कैन कर अपनी समस्या को प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रख सके. .
हमें लाशों से सनी हुई व्यवस्था से छुटकारा पाने के लिए, इस देश में व्यवस्था परिवर्तन की आवश्यकता है, जिसे पारदर्शी शिकायत प्रणाली लाकर इस जनतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ खड़ा किया जा सकता है, जिसके ऊपर जनता अपनी दिक्कतों परेशानियों को सही तरीके से एक एफिडेविट बनाकर उसे स्कैन करके प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रख सके, इस व्यवस्था का लाभ ये होगा की, सभी नागरिक अन्य नागरिकों द्वारा दर्ज शिकायत को बिना लॉग इन के देख सकें, उसपे अपना समर्थन, विरोध या सुधार के लिए अपेक्षित ड्राफ्ट रख सकें. अपने सुझाव दे सके. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
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इसके डेमो के लिए आप smstoneta.com वेबसाईट देख सकते हैं. हमे चाहिए व्यवस्था परिवर्तन, जिसको सरकार smstoneta.com जैसी वेबसाइट लाकर शुरू कर सकती है, जहाँ कोई नागरिक किसी अन्य नागरिक द्वारा समर्थित मुद्दे और उपाय देख सकते हैं. यह डिमांड सांविधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
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समाधान के लिए मामले पर, आप अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप मात्र एक आदेश भेजें, यह आदेश पूर्णतया सांविधानिक है क्योकि भारत एक संप्रभु व जनतंत्र देश है.
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आज ट्रेन में अमरनाथ यात्रा से लौटने वाले यात्रियों से चर्चा हुई. मैनें पूछा कैसी रही आपकी यात्रा ?
बोले अरे वो सब कश्मीरी आतंकवादियों की वजह से गड़बड़ हो गई.
मैने पूछा अच्छा क्या कश्मीरी आतंकवादियों नें अमरनाथ पर हमला किया
यात्री बोले नहीं अमरनाथ पर हमला तो नहीं किया.
मैनें पूछा तो क्या कश्मीरी आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों पर हमला किया. वे एक दूसरे का मूँह देखने लगे , फिर धीरे से बोले कि नहीं कश्मीरी आतंकवादियों नें तीर्थयात्रियों पर कोई हमला नहीं किया.
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मैनें पूछा कि फिर कश्मीरी आंतकवादियों की वजह से आपकी यात्रा कैसे बर्बाद हो गई ?
तीर्थ यात्री बोले कि आर्मी वालों नें ऐसा बोला था, यानी अमरनाथ यात्रा किसी कश्मीरी के कारण नहीं रूकी है, सेना और सरकार ने मिल कर कश्मीरियों को बदनाम करने के लिये बेवजह अमरनाथ यात्रा बन्द करी है, दूसरी खबर यह है कि अमरनाथ यात्रा बन्द करके यात्रियों को जबरदस्ती वापिस भेजा जा रहा है, कल वापिस आते समय तीर्थयात्रियों की एक बस पलट गई. तीर्थयात्री दूसरी गाड़ियों से मदद मांगते रहे. लेकिन दूसरे तीर्थयात्रियों ने मदद के लिये अपनी गाड़ी नहीं रोकी
सेना का ट्रक भी नहीं रुका. फिर किसी मुस्लिम कश्मीरी गांव वाले ने यह सब देखा
फिर तो कश्मीरी मुसलमानों का पूरा गांव हिन्दु अमरनाथ यात्रियों को बचाने के लिये दौड़ पड़ा. बस के काँच तोड़ कर बस में फंसे यात्रियों को निकाला गया. फिर सभी घायल तीर्थ यात्रियों को कश्मीरी गांव वालों ने अस्पताल पहुंचाया,
दूसरी खबर यह है कि दंगे में फंस कर एक पंडित परिवार भूखा था, एक कश्मीरी पति पत्नी ने कर्फ्यू की परवाह करे बिना अपने कन्धे पर खाने का सामान लादा
और कई मील पैदल चल कर पंडित परिवार तक खाना पहुँचाई.
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सुना है कश्मीर में गोलियों के छर्रे लगने से एक सौ के करीब कश्मीरियों की आंख खराब हो गई है, इधर भारत वासियों की आंखें बिना गोली लगे ही बन्द हो गई हैं
हमें सच्चाई दिखनी ही बन्द हो गई है
या हम जान बूझ कर यह सब देखना नहीं चाहते ?
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सच क्या है, ये हममे से किसी को नहीं पता है, केवल मीडिया पे भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि मीडिया भी घटनाओं को मिला जुलाकर तोड़ मरोड़ कर अपने दर्शक वर्ग का ध्यान रखने के हिसाब से समाचार लिखती है, जिससे की समाचार चैनल्स एवं समाचार पत्रों के मालिक-वर्ग खुश रहे. वे उनके लिए काम करते हैं, जो उन्हें सैलरी देते हैं.
उपरोक्त घटना में ऐसा भी हो सकता है कि
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इन सब बातों का एक ही उपाय है कि भारत की जनता पारदर्शी शिकायत सिस्टम को भारत में लाने का डिमांड अपने सांसदों से करें जिसमे नागरीक प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ अपना एक एफिडेविट को स्कैन कर अपनी समस्या को प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रख सके. .
हमें लाशों से सनी हुई व्यवस्था से छुटकारा पाने के लिए, इस देश में व्यवस्था परिवर्तन की आवश्यकता है, जिसे पारदर्शी शिकायत प्रणाली लाकर इस जनतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ खड़ा किया जा सकता है, जिसके ऊपर जनता अपनी दिक्कतों परेशानियों को सही तरीके से एक एफिडेविट बनाकर उसे स्कैन करके प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रख सके, इस व्यवस्था का लाभ ये होगा की, सभी नागरिक अन्य नागरिकों द्वारा दर्ज शिकायत को बिना लॉग इन के देख सकें, उसपे अपना समर्थन, विरोध या सुधार के लिए अपेक्षित ड्राफ्ट रख सकें. अपने सुझाव दे सके. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
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इसके डेमो के लिए आप smstoneta.com वेबसाईट देख सकते हैं. हमे चाहिए व्यवस्था परिवर्तन, जिसको सरकार smstoneta.com जैसी वेबसाइट लाकर शुरू कर सकती है, जहाँ कोई नागरिक किसी अन्य नागरिक द्वारा समर्थित मुद्दे और उपाय देख सकते हैं. यह डिमांड सांविधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
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समाधान के लिए मामले पर, आप अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप मात्र एक आदेश भेजें, यह आदेश पूर्णतया सांविधानिक है क्योकि भारत एक संप्रभु व जनतंत्र देश है.
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित करने के लिए आदेश देती/ता हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री को दबाव बनाएं, जिसे गजेट में छापकर तत्काल प्रभाव से ये क़ानून भारत में लाया जाए.हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
.<---------.
अगर आप व्यवस्था परिवर्तन के बारे में जानना चाहते हैं तो कृपया देखें-www.righttorecall.info.
www.facebook.com/righttorecallC
www.rajivdixitji.com
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जय हिन्द.
जय भवानी
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809753852476186
क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित करने के लिए आदेश देती/ता हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री को दबाव बनाएं, जिसे गजेट में छापकर तत्काल प्रभाव से ये क़ानून भारत में लाया जाए.हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
.<---------.
अगर आप व्यवस्था परिवर्तन के बारे में जानना चाहते हैं तो कृपया देखें-www.righttorecall.info.
www.facebook.com/righttorecallC
www.rajivdixitji.com
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जय हिन्द.
जय भवानी
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.