क्या सोनिया गांधी वाकई में किसी से डरती हैं?

"मैं किसी से नही डरती" यह जुमला इंदिरा गाॅधी का था और वह नाटक न होकर सच था।
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सोनिया जी ऐसे जुमलों की नकल करके पाकसाफ प्रमाणित नहीं हो सकती।
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सच्चाई यह है कि एके एन्टोनी ने कार्यवाही करके अपनी ईमानदारी प्रमाणित की थी और हो सकता है कि एन्टोनी के कदम को मनमोहन सिंह का भी समर्थन प्राप्त हो।
यह भी संभव है कि उस समय सोनिया जी को यह आभाष न रहा हो कि भविष्य में परिस्थितियाॅ इस कदर बदल जायेंगी और यह सोचकर उन्होने कोई हस्तक्षेप न किया हो अथवा उन्हें लगा होगा कि एन्टोनी और मनमोहन सिंह इस मामले में अंधेरे में ही रहे तो अच्छा है।
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सच्चाई चाहे जो भी हो किन्तु सोनिया गाॅधी की नाव डूबने की कगार पर है। उस नाव में बैठे सोनिया गाॅधी के सिपहसालार सोनिया के चारों ओर इक्टठे होकर सोनिया के पक्ष में चिल्ला रहे है।
किन्तु यह भी सच है कि धीरे धीरे वे डुबती नाव से कुदने की तैयारी भी कर रहे है। पहली बार सोनिया गाॅधी की ईमानदारी पर इतना गंभीर संदेह पैदा हुआ है।
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इसका उत्तर यह नहीं है कि वर्तमान सरकार भी संदेह के घेरे में है। क्योकि सोनिया गाॅधी को सिर्फ सत्ता पक्ष को ही उत्तर नहीं देना है बल्कि समाज को भी उत्तर देकर सन्तुष्ट करना होगा। अभी तो यह मामला और भी कई मोड लेगा।
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वैसे हम जनता के जानकारी में तो भारत में आजतक किसी मंत्री नेता और अन्य बाहुबलियों को कोई सजा हुआ नहीं और अगर हुआ भी तो कुछ ही समय में फिर से राजनीति में घुस कर अपना व्यापार चालू कर लिया.
जहाँ तक कोर्ट में सुनवाई का सवाल है, तो ये तो सभी जानते ही होंगे की भारत में कोर्ट में सुनवाई सालों साल चलती रहती है, और सजा भी नहीं मिल पाती, कड़ी में जो कमजोर होते हैं वही अपराधी के तौर पर सजा पा जाते हैं, जबकि असली अपराधी को मृत्यु पर्यंत इण्डिया के कोर्ट में कोई सजा नहीं मिलती, क्योंकि वे सभी वकील और जज धनाढ्य आरोपियों द्वारा खरीद लिए जाते हैं,
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पब्लिक को भ्रष्ट नेता मंत्री इत्यादि को उनके पद से निष्कासित करने के कोई अधिकार जनता के हाथ में नहीं है, जिसके चलते वही भ्रष्ट नेता बार बार एक दुसरे का बचाव करते नजर आते हैं, न उन्हें कभी जेल होती है न ही कोई अन्य मोनेटरी सजा उनको मिलती है, क्योंकि ये भ्रष्ट लोग
न्याय-प्रणाली एवं जजों तथा वकीलों को ही खरीद लेते हैं, फिर तो दुनिया इनके ही पक्ष में होती है. जज भी संविधान का वर्णन उसी प्रकार से सामान्य जनों के मध्य करती है, जैसा रिजल्ट वो जानते के दिमाग में देखना चाहती है.
कोर्ट सिस्टम के साथ साथ भारत में ज्यूरी सिस्टम ( ड्राफ्ट-www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617 ) पब्लिक में नार्को टेस्ट( ड्राफ्ट - www.facebook.com/pawan.jury/posts/812341812217390 ) के साथ साथ जजों को उनके पद से निष्कासित करने वाले क़ानून - ड्राफ्ट को गजेट में लाने का दबाव भी जनता अपने सांसदों/ मंत्रियों के ऊपर बना सकती है. (नार्को टेस्ट के विषय में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1024049434354712 )
इस जनांदोलन के लिए अपना मात्र एक संविधानिक आदेश अपने सांसदों/विधायकों/PM/प्रेसिडेंट को sms/पोस्टकार्ड/ईमेल द्वारा एवं अन्य उपलब्ध संचार माध्यमों से भेज सकती है. जैसा की निम्न पारा में बताया हुआ है.
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इससे बचने का एक तरीका आम जनता जो अपना सकती है वो ये है की यहाँ राईट टू रिकॉल जैसे कानूनों को सभी मुख्य पदों पर लागू करने का दबाव अपने नेताओं मंत्रियों सांसदों इत्यादि को भेजें, और दूसरों को भी बताएं.
राईट टू रिकॉल मुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/811071415677763 एवं राईट टू रिकॉल प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/837611029690468
आप इस ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने की मांग इस प्रकार कर सकते हैं- "माननीय सांसद/विधायक/मंत्रि/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति महोदय, मैं अपने सांविधानिक कर्तव्य के तहत आपको www.Tinyurl.com/RTRMinister के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता हूँ/ देती हूँ.
धन्यवाद. वोटर संख्या- xyz "
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हमे इस देश में चाहिए व्यवस्था परिवर्तन, जिसको सरकार smstoneta.com जैसी वेबसाइट लाकर शुरू कर सकती है, जिससे भारतीय प्रजातंत्र पारदर्शी साबित हो सके, जिसमे भ्रष्ट अधिकारियों मंत्रियों को उनके पद से निष्कासित करने का अधिकार जनता के पास हो, जहाँ न्याय करने का अधिकार ज्यूरी सिस्टम के रूप में जनता के पास हो, जहाँ कोई नागरिक किसी अन्य नागरिक द्वारा समर्थित मुद्दे और उपाय देख सकते हैं.
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यह डिमांड सांवैधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
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सभी नागरिकों को हमारे देश का प्रजातांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए smstoneta.com जैसी वेबसाइट लाने को अपने नेताओं को अपने मात्र एक आदेश SMS, ईमेल, पोस्टकार्ड एवं अन्य उपलब्ध संचार-माध्यमों से अपने सांसदों/विधायकों/मंत्रियों/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति को भेजें तो बिलकुल सांवैधानिक है. आप यह आदेश इस प्रकार भेज सकते हैं-
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"माननीय सांसद/विधायक/मंत्रि/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति महोदय, मैं अपने सांविधानिक कर्तव्य के तहत आपको smstoneta.com जैसी वेबसाइट ला कर भारतीय प्रजातांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्था को जनहित में पारदर्शी बनाए जाने का आदेश देता हूँ/ देती हूँ.
धन्यवाद. वोटर संख्या- xyz "
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जय हिन्द.

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