भारत की सैन्य क्षमता आने वाले भविष्य के युद्ध में कहाँ तक सक्षम है?

मोदी साहेब ने अमेरिका की फौजो को भारत में सैन्य ठिकाने बनाने की अनुमति दी है। 

हमें चीन, पाकिस्तान और इस्लामिक आतंकवाद से जंग जीतनी है। कैसे ? अपनी सेना को मजबूत बना कर ही हम ऐसा कर सकते है। कैसे ? इसके लिए हमें खुद के स्वदेशी आधुनिक हथियारों का उत्पादन करना होगा। कैसे ? ज्यूरी सिस्टम, राईट टू रिकॉल, एमआरसीएम और टीसीपी कानूनों को लागू करने से भारत अपने खुद के स्वदेशी आधुनकि हथियारों का उत्पादन कर सकता है। 

जबकि मोदी साहेब अमेरिका की चीन, पाकिस्तान और पूरे विश्व के इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को भारत का इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहे है। 

अमेरिका की लड़ाई में भारत का इस्तेमाल करने देने का मोदी साहेब का यह फैसला द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के सैनिकों के ब्रिटेन की तरफ से लड़ने की याद दिलाता है। 

यह देश का दुर्भाग्य है कि मोदी साहेब का प्रत्येक अंध भगत और RSS = RASS(*) के कार्यकर्ता अमेरिका की चीन व पाकिस्तान के साथ लड़ाई में भारत की जमीन व संसाधन इस्तेमाल करने देने के मोदी साहेब के फैसले का समर्थन कर रहे है। आखिर क्यों ? क्योंकि अमेरिका के सीनेटरों ने मोदी साहेब के "भाषण" के दौरान 46 दफा तालियाँ बजायी और 11 बार वे कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए !!!! 

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2007 में यही बात पुस्तक 301.pdf के आमुख में लिखी थी। कृपया राईट टू रिकॉल पार्टी के मेनिफेस्टो के पेज नंबर 2 को देखें --https://www.facebook.com/…/righttorecall…/10152114637883103/ 
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हिंदी संस्करण के लिए इस नोट को पढ़ें -- https://web.facebook.com/notes/pawan-jury/813582822093289
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पुस्तक से :

"दूसरा कारण है, 'आने वाले युद्ध का भय', जिसने हमें रिकालिस्ट्स बनने के लिए प्रेरित कर दिया। मेरे विचार में, हमें बेहतर सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था इसलिए चाहिए ताकि हम युद्ध के दौरान टिके रहे। क्या भारत युद्ध का सामना करने में सक्षम है ?

इसका जवाब किसी रिकालिस्ट्स के पास भी नहीं है कि भारत को निकट भविष्य में कब युद्ध का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि 1989 में भी कोई नहीं जानता था कि अमेरिका ईराक पर हमला करके उसे लूट लेगा, और 2004 में फिर से हमला करेगा। न ही कोई जानता था कि अमेरिका जनवरी 2010 में लीबिया पर हमला करके उसे लूटेगा। हम निश्चित तौर पर नहीं जानते, कब ? लेकिन हमें यह भय है कि भारत को अंततोगत्वा अपने दुश्मन देशो से युद्ध का सामना करना ही पड़ेगा। इसे टाला नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में हमारे पास तीन विकल्प है :
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1) भारत हथियारों का आयात करे। 
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2) भारत हथियारों का निर्माण करे। 
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3) भारत न तो हथियारों का आयात करे न ही निर्माण करे। 

(1) यदि न तो हम न तो हथियार बनाएंगे न ही आयात करेंगे, तो यह तय कि हम युद्ध बुरी तरह से हार जाएंगे। युद्ध के दौरान भारत का विशिष्ट वर्ग अपने स्वजनो के साथ अमेरिका के लिए उड़ जाएगा और युद्ध की सारी विभीषिका हम आम नागरिको को भुगतनी पड़ेगी। जैसे कि हमने 1947 में भुगता था। एक अनुमान के मुताबिक़ 1947 में लगभग 10 लाख हिन्दुओ को पाकिस्तान में वीभत्स तरिके से मार दिया गया था। उन्हें जिन्दा जलाया और दफनाया गया, उनके गले काटे गए और जिन्दा लोगो की चमड़ी को नोच कर उतार दिया गया। 20 लाख से ज्यादा अपहरण हुए, 2 करोड़ को अपना घर-बार छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी, और लगभग 1 करोड़ को धर्मांतरण करने के लिए मजबूर किया गया। हमारा मानना है कि यदि भारत ने न तो हथियारो का उत्पादन किया न ही आयात किया, तो आने वाले युद्ध में भारत पर 1947 से भी 10 गुना बदतर हालत गुजरेगी। 

(2) यदि भारत हथियार नहीं बनाता लेकिन आयात करता है, तो इस नरसंहार को हम कुछ हद तक कम तो कर सकते है लेकिन रोक नहीं सकते। ऐसी स्थिति में हम हथियार निर्यात करने वाली या भारत में आकर हथियार निर्माण करने वाली कम्पनियो के गुलाम हो जाएंगे। मेरा मानना है कि हथियार निर्मात्री कम्पनिया हथियारों पर हमारी निर्भरता को भुनाएगी और हमारे खनिज, तेल -गैस संसाधनो, स्पेक्ट्रम, बैंक्स आदि को अधिगृहीत कर लेगी, हमारी गणित-विज्ञान की शिक्षा को बर्बाद कर देगी और भारत की सारी आबादी को फिलीपींस की तरह ईसाई धर्म में धर्मान्तरित कर देगी। 

(3) अत: मेरा तथा मेरे जैसे अन्य रिकालिस्ट्स का मानना है कि भारत को खुद के आधुनिक हथियारो का उत्पादन करना चाहिए। 
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इसलिए भारत के नागरिको को ऐसे शासन की रचना करनी चाहिए जिससे भारत अमेरिका के स्तर के आधुनिक हथियारों का उत्पादन कर सके। हम रिकालिस्ट्स का मानना है कि ऐसे शासन की रचना तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि भारत में राईट टू रिकॉल प्रधानमन्त्री, राईट टू रिकॉल सुप्रीम कोर्ट जज, राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी, राईट टू रिकॉल पुलिस प्रमुख, ज्यूरी सिस्टम, टीसीपी, डीडीएमआरसीएम आदि कानूनो को लागू नहीं कर दिया जाता"।

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कृपया बिंदु संख्या (2) पर ध्यान दीजिये। यह कहता है कि, "यदि भारत हथियार नहीं बनाता लेकिन आयात करता है, तो इस नरसंहार को हम कुछ हद तक कम तो कर सकते है लेकिन रोक नहीं सकते। ऐसी स्थिति में हम हथियार निर्यात करने वाली या भारत में आकर हथियार निर्माण करने वाली कम्पनियो के गुलाम हो जाएंगे"। ठीक यही इस समय हो रहा है। 

समाधान -- राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, सम्पत्ति कर 
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इसीलिए मेरा सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि, वे संघ के अंधसेवको व मोदी साहेब के अंध भगतो का विरोध करें, तथा भारत को आने वाले युद्ध से बचाने के लिए राईट टू रिकॉल, ज्यूरी सिस्टम, सम्पत्ति कर आदि कानूनों को लागू करवाने का प्रयास करें। 

(*) RSS - राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ , RASS - राष्ट्रिय अंध सेवक संघ 

असल में RSS को अपना नाम बदल कर VSS = वैश्विक स्वंयसेवक संघ रख लेना चाहिए। क्योंकि अब RSS खुले आम एफडीआई का समर्थन करता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वास करता है। अत: अब ये समूह राष्ट्रीय दर्जे का नहीं रह गया है। इनकी तरक्की हो चुकी है। ये अब वैश्विक बन गए है। 

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