यहाँ राईट-टू-एजुकेशन एक्ट होने के बावजूद भी सबको सिक्षा हासिल क्यों नहीं हो पा रही?
यूनाइटेड नेशंस में कहा जाता है की शिक्षा प्राप्त करना मानवाधिकार का हिस्सा है, और इससे बच्चों को लोगों को वंचित रखना मानवाधिकार का हनन है, लेकिन बात जब हमारे भारत की होती है, तो यहाँ देखने में यही आता है की यहाँ राईट-टू-एजुकेशन अर्थात शिक्षा का अधिकार तो दिया गया है लेकिन इस क़ानून में जो लूप-होल्स हैं, उनसे वे क़ानून मिशनरी स्कूल्स के ऊपर लागू नहीं होते. साथ ही, साधारण, मध्य-वर्गीय एवं कमजोर परिवार के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं रह गया है. इसका एक कारण ये है की सरकारी स्कूलों की पढाई की स्थिति सुधारने उनमे मूलभूत सुविधाओं एवं इन्फ्रा-स्ट्रक्चर की स्थिति बेहद खराब है, जिसे सुधारे जाने के लिए सरकारें ध्यान नहीं देना चाहतीं.
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राईट टू एजुकेशन क़ानून में लिखा है कि, प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी कुल सीटों की 25% सीटें 'गरीब बच्चों' को आवंटित करनी होगी। और इसी कानून में यह भी लिखा है कि मिशनरीज द्वारा संचालित स्कूलों पर यह नियम लागू नहीं होगा !!!
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कृपया इस बात पर भी ध्यान दें कि -- कांग्रेस, बीजेपी के सांसदों ने 2012 में संसद में मिशनरीज को यह छूट दिए जाने का समर्थन किया था। और आम आदमी पार्टी भी अब इसका समर्थन कर रही है।
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मैं इसे फिर से दोहराता हूँ -- कांग्रेस, बीजेपी के सांसदों ने मिशनरीज को यह छूट देने का संसद में समर्थन किया था और आम आदमी पार्टी भी अब इसका समर्थन कर रही है।
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हद तो यह है कि हिंदूवादी संगठन आरएसएस भी मिशनरीज को यह छूट दिए जाने का समर्थन कर रहा है !!
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राईट टू एजुकेशन क़ानून में दर्ज इस प्रावधान के कारण कई छोटे और मझौले स्तर के स्कूल बंद हो गए है !!! क्योंकि यदि वे कुल सीटों की 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आवंटित करते है तो उन्हें भरपाई के लिए शेष 75% छात्रों की फ़ीस में 33% की बढ़ोत्तरी करनी होती है। और जब वे ऐसा करते है तो अभिभावक स्कूल बदलने का फैसला ले लेते है , जिससे स्कूल प्रबंधन को दोहरी मार झेलनी पड़ती है !!!
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और इस तरह ऐसे कई स्कूलों को मिशनरीज टेक ओवर कर ले रही है।
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दूसरे शब्दों में कांग्रेस, बीजेपी और आप, तीनो ही पार्टियां शिक्षा व्यवस्था में मिशनरीज के नियंत्रण को बढ़ावा दे रही है।
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समाधान ?
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समाधान के लिए हमारा प्रस्ताव है कि राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी ( www.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 810067079111530 ),
राईट टू रिकॉल राज्य मंत्री( https://web.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 853974814720756 , www.Tinyurl . com/RTRMinister ), राईट टू रिकॉल केंद्रीय शिक्षा मंत्री, स्कूल स्टाफ पर ज्यूरी प्रक्रियाएं ( www.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 809746209143617 ), सात्य प्रणाली आदि कानूनों को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। विवरण के लिए कृपया राईट टू रिकॉल पार्टी के घोषणा पत्र में अध्याय 30 देखें --- https://www.facebook.com/ groups/righttorecallparty/ 10152114637883103/
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इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। इसके अलावा हमारे द्वारा प्रस्तावित क़ानून के अनुसार निजी स्कूलों में फ़ीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा और उनसे निजी कम्पनियों की तरह ही कर वसूले जायंगे। निजी स्कूलों को ठीक करने के लिए ये प्रावधान काफी है। क्योंकि हमारे विचार में निजी स्कूलों को अपना व्यवसाय करने की छूट दी जानी चाहिए और उन पर इसके अलावा अन्य कोई बोझ डालना उचित नहीं।
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सोनिया, मोदी, और केजरीवाल राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी, सात्य सिस्टम आदि प्रस्तावित क़ानूनो का विरोध कर रहे है।
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तो यदि आप भारत में शिक्षा का स्तर सुधारना और शिक्षा व्यवस्था को मिशनरीज के नियंत्रण में जाने से बचाना चाहते है तो आपको सोनिया, मोदी और केजरीवाल को कूड़ेदान के हवाले करके अच्छे कानूनों को देश में लागू करने के प्रयास करने चाहिए।
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भारत के प्रजातांत्रिक प्रशासनिक प्रणाली में जनता कोें अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप उपरोक्त कानूनों के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप देने का आदेश भेजें, यह आदेश पूर्णतया सांविधानिक है क्योकि भारत एक संप्रभु व जनतंत्र देश है. भेजे जाने वाले आदेश का उदाहरण आगे समझाया गया है.
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भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/ प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी ( www.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 810067079111530 ),
राईट टू रिकॉल मंत्री( https://web.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 853974814720756 ), स्कूल स्टाफ पर ज्यूरी प्रक्रियाएं ( www.facebook.com/ pawan.jury/posts/ 809746209143617 ) क़ानून के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर भारत में क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिनक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/ राष्ट्रपति को अपना सांविधानिक आदेश जरूर भेजें.
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अन्य ड्राफ्ट्स के लिए कृपया देखें-https://www.facebook.com/ righttorecallC/posts/ 1022208611205461:0
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इस पर काफी समाचार है कि आर.टी.ई. के भेद भाव के कारण छोटे प्राइवेट स्कूल बंद हो रहे हैं | एक उदाहरण -http://ccs.in/ impact-rte-shutdown-schools
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thehindu.com/opinion/ op-ed/ schooling-without-learning/ article8206302.ece
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कृपया अच्छी प्रक्रियाओं का समर्थन करें, सभी का भला होगा, आपके प्रिय नेता का भी भला होगा यदि आप ऐसा करेंगे तो
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नहीं करेंगे और बुरी प्रक्रियाओं को झेलते रहेंगे तो आम-नागरिकों को नुक्सान होगा और आपके प्रिय नेता का भी |
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जय हिन्द.
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राईट टू एजुकेशन क़ानून में लिखा है कि, प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी कुल सीटों की 25% सीटें 'गरीब बच्चों' को आवंटित करनी होगी। और इसी कानून में यह भी लिखा है कि मिशनरीज द्वारा संचालित स्कूलों पर यह नियम लागू नहीं होगा !!!
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कृपया इस बात पर भी ध्यान दें कि -- कांग्रेस, बीजेपी के सांसदों ने 2012 में संसद में मिशनरीज को यह छूट दिए जाने का समर्थन किया था। और आम आदमी पार्टी भी अब इसका समर्थन कर रही है।
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मैं इसे फिर से दोहराता हूँ -- कांग्रेस, बीजेपी के सांसदों ने मिशनरीज को यह छूट देने का संसद में समर्थन किया था और आम आदमी पार्टी भी अब इसका समर्थन कर रही है।
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हद तो यह है कि हिंदूवादी संगठन आरएसएस भी मिशनरीज को यह छूट दिए जाने का समर्थन कर रहा है !!
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राईट टू एजुकेशन क़ानून में दर्ज इस प्रावधान के कारण कई छोटे और मझौले स्तर के स्कूल बंद हो गए है !!! क्योंकि यदि वे कुल सीटों की 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आवंटित करते है तो उन्हें भरपाई के लिए शेष 75% छात्रों की फ़ीस में 33% की बढ़ोत्तरी करनी होती है। और जब वे ऐसा करते है तो अभिभावक स्कूल बदलने का फैसला ले लेते है , जिससे स्कूल प्रबंधन को दोहरी मार झेलनी पड़ती है !!!
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और इस तरह ऐसे कई स्कूलों को मिशनरीज टेक ओवर कर ले रही है।
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दूसरे शब्दों में कांग्रेस, बीजेपी और आप, तीनो ही पार्टियां शिक्षा व्यवस्था में मिशनरीज के नियंत्रण को बढ़ावा दे रही है।
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समाधान ?
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समाधान के लिए हमारा प्रस्ताव है कि राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी ( www.facebook.com/
राईट टू रिकॉल राज्य मंत्री( https://web.facebook.com/
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इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। इसके अलावा हमारे द्वारा प्रस्तावित क़ानून के अनुसार निजी स्कूलों में फ़ीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा और उनसे निजी कम्पनियों की तरह ही कर वसूले जायंगे। निजी स्कूलों को ठीक करने के लिए ये प्रावधान काफी है। क्योंकि हमारे विचार में निजी स्कूलों को अपना व्यवसाय करने की छूट दी जानी चाहिए और उन पर इसके अलावा अन्य कोई बोझ डालना उचित नहीं।
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सोनिया, मोदी, और केजरीवाल राईट टू रिकॉल जिला शिक्षा अधिकारी, सात्य सिस्टम आदि प्रस्तावित क़ानूनो का विरोध कर रहे है।
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तो यदि आप भारत में शिक्षा का स्तर सुधारना और शिक्षा व्यवस्था को मिशनरीज के नियंत्रण में जाने से बचाना चाहते है तो आपको सोनिया, मोदी और केजरीवाल को कूड़ेदान के हवाले करके अच्छे कानूनों को देश में लागू करने के प्रयास करने चाहिए।
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भारत के प्रजातांत्रिक प्रशासनिक प्रणाली में जनता कोें अपने नेताओं / मंत्रियों/ /विधायकों/ प्रधानमत्री / राष्ट्रपति को ईमेल/ ट्विटर/sms / पोस्टकार्ड इत्यादि संचार माध्यमों द्वारा आप उपरोक्त कानूनों के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप देने का आदेश भेजें, यह आदेश पूर्णतया सांविधानिक है क्योकि भारत एक संप्रभु व जनतंत्र देश है. भेजे जाने वाले आदेश का उदाहरण आगे समझाया गया है.
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भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/
राईट टू रिकॉल मंत्री( https://web.facebook.com/
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भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिनक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/
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अन्य ड्राफ्ट्स के लिए कृपया देखें-https://www.facebook.com/
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इस पर काफी समाचार है कि आर.टी.ई. के भेद भाव के कारण छोटे प्राइवेट स्कूल बंद हो रहे हैं | एक उदाहरण -http://ccs.in/
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thehindu.com/opinion/
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कृपया अच्छी प्रक्रियाओं का समर्थन करें, सभी का भला होगा, आपके प्रिय नेता का भी भला होगा यदि आप ऐसा करेंगे तो
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नहीं करेंगे और बुरी प्रक्रियाओं को झेलते रहेंगे तो आम-नागरिकों को नुक्सान होगा और आपके प्रिय नेता का भी |
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जय हिन्द.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.