अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध सेना द्वारा संचालित होते है और देशों के मध्य निर्णय किस प्रकार होते हैं?
शायद आपने ध्यान दिया होगा कि अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध सेना द्वारा संचालित होते है। थोड़ी बहुत भूमिका मुद्रा की भी है, लेकिन मुद्रा भी उसी देश की चलती है जिसकी सेना मजबूत हो।
ईरान के साथ चाबहार समझौते पर भारत की स्थिति एवं समाधान-
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अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध सेना द्वारा संचालित होते है। थोड़ी बहुत भूमिका मुद्रा की भी है, लेकिन मुद्रा भी उसी देश की चलती है जिसकी सेना मजबूत हो। भारत, पाकिस्तान और ईरान तीनों ही देश आयातित हथियारों पर देश चला रहे है, इसीलिए इस समझौते का पाकिस्तान, भारत और ईरान के लिए "सामरिक" महत्त्व नहीं है। हाँ शान्ति काल में व्यापार करना आसान हो जायेगा, जो कि अच्छी बात है।
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चीन और अमेरिका दोनों की सेनाएं आत्मनिर्भर है और अपने हथियारों का उत्पादन ये देश खुद करते है। ऐसी स्थिति में भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन का युद्ध ढकोसला है, असल बाजी अमेरिका और चीन के हाथ है। क्योंकि :
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१) चीन के साथ युद्ध होने पर भारत को यदि अमेरिका (नेटो) हथियार नहीं
देगा तो चीन की सेनाएं हफ्ते भर में दिल्ली तक आ जायेगी। (जिन्हे संशय है वे कृपया भारत और चीन की सामरिक क्षमता की तुलना करने के लिए गूगल करें)
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२) पाकिस्तान भारत पर सिर्फ तब ही हमला करेगा जब उसे अमेरिका या चीन हथियार देंगे। यदि पाकिस्तान को चीन या अमेरिका के हथियार मिल जाते है और अमेरिका भारत को तत्काल* हथियार देने से मना कर देता है तो पाकिस्तान की सेनाएं महीने भर में चेन्नई तक पहुँच जायेगी।
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(*) 1999 में अमेरिका ने पाकिस्तान को कारगिल पर चढ़ने के लिए हाई एल्टीट्यूड हेलीकॉप्टर और सेटेलाइट मदद दी थी और भारत को लेज़र गाइडेड बम देने से मना कर दिया था। नतीजे में भारत को अमेरिका की दर्जन भर शर्ते माननी पड़ी और कारगिल की सबसे ऊँची चोटी छोड़नी पड़ी)
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कुल मिलाकर एक तरफ तो हमारी सेना के लिए हथियारों के लिए अन्य देशो पर निर्भर है और दूसरी तरफ भारत के नागरिक हथियार विहीन है, अत: भारत चीन और पाकिस्तान से बचने के लिए अमेरिका पर बुरी तरह से निर्भर है, और इसीलिए भारत सभी क्षेत्रो को अमेरिकी कम्पनियो के हवाले करने के लिए बाध्य है। ये तावान हम सेना के कमजोर होने का चुका रहे है।
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समाधान - कार्यकर्ताओ को भारत में आधुनिक स्वदेशी हथियारों के उतपादन के लिए 'मेक इन इण्डिया' की जगह "मेड इन इण्डिया, मेड बाय इन्डियन" की नीति लागू करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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भारत की सेना को मजबूत बनाने और आधुनिक हथियारों के निर्माण की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स, राईट टू रिकॉल, टीसीपी आदि कानूनों के ड्राफ्ट यहां देखें जा सकते है --https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/563544197157112
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अन्यथा जिस दिन अमेरिका और चीन ने भारत को बांटने का फैसला कर लिया उसी दिन भारत का इराकीकरण हो जाएगा।
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नागरिक प्रामाणिक सिस्टम का डेमो देखने के लिए कृपया smstoneta.com/hindi देखें |
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भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्टhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
------->
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपकोhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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अन्य ड्राफ्ट्स को लाने के लिए आप क्या कर सकते हैं, उसके लिए कृपया यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
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धन्यवाद.
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जय हिन्द.
ईरान के साथ चाबहार समझौते पर भारत की स्थिति एवं समाधान-
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अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध सेना द्वारा संचालित होते है। थोड़ी बहुत भूमिका मुद्रा की भी है, लेकिन मुद्रा भी उसी देश की चलती है जिसकी सेना मजबूत हो। भारत, पाकिस्तान और ईरान तीनों ही देश आयातित हथियारों पर देश चला रहे है, इसीलिए इस समझौते का पाकिस्तान, भारत और ईरान के लिए "सामरिक" महत्त्व नहीं है। हाँ शान्ति काल में व्यापार करना आसान हो जायेगा, जो कि अच्छी बात है।
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चीन और अमेरिका दोनों की सेनाएं आत्मनिर्भर है और अपने हथियारों का उत्पादन ये देश खुद करते है। ऐसी स्थिति में भारत-पाकिस्तान या भारत-चीन का युद्ध ढकोसला है, असल बाजी अमेरिका और चीन के हाथ है। क्योंकि :
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१) चीन के साथ युद्ध होने पर भारत को यदि अमेरिका (नेटो) हथियार नहीं
देगा तो चीन की सेनाएं हफ्ते भर में दिल्ली तक आ जायेगी। (जिन्हे संशय है वे कृपया भारत और चीन की सामरिक क्षमता की तुलना करने के लिए गूगल करें)
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२) पाकिस्तान भारत पर सिर्फ तब ही हमला करेगा जब उसे अमेरिका या चीन हथियार देंगे। यदि पाकिस्तान को चीन या अमेरिका के हथियार मिल जाते है और अमेरिका भारत को तत्काल* हथियार देने से मना कर देता है तो पाकिस्तान की सेनाएं महीने भर में चेन्नई तक पहुँच जायेगी।
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(*) 1999 में अमेरिका ने पाकिस्तान को कारगिल पर चढ़ने के लिए हाई एल्टीट्यूड हेलीकॉप्टर और सेटेलाइट मदद दी थी और भारत को लेज़र गाइडेड बम देने से मना कर दिया था। नतीजे में भारत को अमेरिका की दर्जन भर शर्ते माननी पड़ी और कारगिल की सबसे ऊँची चोटी छोड़नी पड़ी)
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कुल मिलाकर एक तरफ तो हमारी सेना के लिए हथियारों के लिए अन्य देशो पर निर्भर है और दूसरी तरफ भारत के नागरिक हथियार विहीन है, अत: भारत चीन और पाकिस्तान से बचने के लिए अमेरिका पर बुरी तरह से निर्भर है, और इसीलिए भारत सभी क्षेत्रो को अमेरिकी कम्पनियो के हवाले करने के लिए बाध्य है। ये तावान हम सेना के कमजोर होने का चुका रहे है।
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समाधान - कार्यकर्ताओ को भारत में आधुनिक स्वदेशी हथियारों के उतपादन के लिए 'मेक इन इण्डिया' की जगह "मेड इन इण्डिया, मेड बाय इन्डियन" की नीति लागू करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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भारत की सेना को मजबूत बनाने और आधुनिक हथियारों के निर्माण की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टैक्स, राईट टू रिकॉल, टीसीपी आदि कानूनों के ड्राफ्ट यहां देखें जा सकते है --https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/563544197157112
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अन्यथा जिस दिन अमेरिका और चीन ने भारत को बांटने का फैसला कर लिया उसी दिन भारत का इराकीकरण हो जाएगा।
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नागरिक प्रामाणिक सिस्टम का डेमो देखने के लिए कृपया smstoneta.com/hindi देखें |
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भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्टhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपकोhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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अन्य ड्राफ्ट्स को लाने के लिए आप क्या कर सकते हैं, उसके लिए कृपया यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
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धन्यवाद.
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जय हिन्द.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.