मीडिया द्वारा आशारामजी बापू की बनायी धूमिल छवि के भ्रमजाल पर वज्र प्रहार !!!



पूरा पोस्ट पढ़े बिना अपनी प्रतिक्रिया ना दे... हमें पता है आप बहुतबड़े ज्ञानी है
खुले दिमाग से यह पढने वालो के लिये यह पोस्ट काफी गलतफहमी दुर करती है जो मिडीया ने फैलाई हे ! .
(पोस्ट पढ़ने से पहले दी गई इमेज डाउनलोड कर लें).
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आज इस पोस्ट में निंदकों द्वारा बनाये गए भ्रमजाल को तोडना जरूरी समझा गया , इसलिए धैर्य के साथ पूरी पोस्ट पढ़ें।
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दी गई पहली इमेज आशारामजी बापू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली लड़की के मेडिकल रिपोर्ट की है, लड़की कहती है उसके साथ तथाकथित घटना जोधपुर के मणाई आश्रम में 15 अगस्त 2013 को हुई (लड़की रहने वाली शाहजाहपुर, उ.प्र. की है, पढती छिंदवाड़ा , म.प्र गुरुकुल में थी, घटना जोधपुर की और रिपोर्ट दिल्ली में), जिसकी रिपोर्ट उसने 20 अगस्त को दिल्ली के कमला मार्केट थाणे में रात को 3 बजकर 20 मिनट पर करवाई।
तो इससे क्या हुआ???
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इसको ऐसे समझिये। इस षड्यंत्र की तैयारी पिछले कई सालों से चल रही थी। इस घटना में चार राज्यों का जुड़ाव इसलिए है क्योंकि 👇
● यूँ तो आश्रम के देशभर में 45 से ज्यादा गुरुकुल हैं पर बालिकाओं के लिए छात्रावास(hostel) की सुविधा वाला गुरुकुल सिर्फ छिंदवाड़ा में है इसलिए लड़की को वहां admission दिलवाकर वहां की परिस्थितियों से परिचित कराया गया।
● घटना के 2 महीने पहले राजस्थान के हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट के जजों का तबादला किया गया था, केंद्र और राज्य सरकार ने अपने चमचों को जज की गद्दी पर और केस खराब करने वाले बीजू जोसेफ को SP की गद्दी पर बिठा दिया था। इसलिए घटना जोधपुर की बनाई गई।
● पर जोधपुर की घटना मात्र कराने से इतना बड़ा केस नहीं हो पाता जब तक कानून का दुरपयोग ना हो। POCSO और बदली हुई सख्त धारा 376 उस समय प्रभाव से सिर्फ दिल्ली में लागू थी क्योंकी हाल ही की दो घटनाओ (ज्योति पांडे रेप केस एवं गुड़गांव की नाबालिग बच्ची से रेप केस) के कारण राज्य की पुलिस पर अतिरिक्त दबाब था।
इस प्रकार पूरी तैयारी के साथ फंसाने की तैयारी की गई।
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आगे पढ़ें फिर क्या हुआ।
20 अगस्त 2013 को दिल्ली पुलिस ने लड़की की जांच लोक नायक अस्पताल में डॉ शैलजा वर्मा से कराई। जिसमे सरकारी डॉ शैलजा वर्मा ने रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणी में लिखा की।
"No physical assault, no penetration, hymen is protected, no scratch no abrasion"
अर्थात मेडिकल रिपोर्ट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था। रिपोर्ट आने के बाद पुलिस को ना चाहते हुए भी धारा 376 हटानी पड़ी। और अब केस नाबालिग से छेड़छाड़ का अर्थात् Prevention Of Child Against Sexual Offences बनाया गया।
फिर बापूजी की गिरफ्तारी क्यों हुई???
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इसके दो कारण हैं POCSO का दुरुपयोग और मीडिया ट्रायल।
Pocso का कानून कहता है की बिना ये जांच किये की लड़की नाबालिग है की नहीं, सिर्फ दसवीं की मार्कशीट के आधार पर उसके द्वारा लगाये गए आरोपों को सच मानकर आरोपी की गिरफ्तारी की जाती है। अब आरोपी को जेल में रहते हुए ये साबित करना होता है की मैंने ये अपराध नहीं किया है। और ये करना बहुत कठिन होता है क्योंकि इसमें मेडिकल नहीं लड़की का बयान आधार होता है।
और 21 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक मीडिया द्वारा चौबीसों घंटे चैनलों पर झूठा प्रचार किया गया की मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हो चुकी है। चार पांच लोगों के गुट को बार बार प्रदर्शन करवाके हवा बनाई गयी की पूरा देश इनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है।
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पर जोधपुर के जांच करने वाले IO एवम् अन्य अफसर कह रहे हैं की बापूजी ने उनको घूस देने की कोशिश की???
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। इंदौर से जिस रात बापूजी की गिरफ्तारी की गई उस रात जोधपुर से जो पुलिस टीम आई थी उसने बापूजी के सेवकों से 20 लाख रूपये की मांग की थी और ये आश्वासन दिया था की इसके बाद ये केस रफा दफा कर दिया जाएगा। .
और जब बापूजी को ये बात पता चली तो उन्होंने ये कहते हुए उनकी मांग ठुकरा दी की 'जब हमने कोई अपराध नहीं किया तो किस बात के पैसे???'। कहने को तो बापूजी भी ये बात मीडिया में कह सकते थे पर जिसकी दाड़ी में तिनका होता है वही उचक कर पहले बोलता है। इसलिए दलाल अखबारो (दैनिक भास्कर एवम् पत्रिका) के माध्यम से आनन फानन में इन अफसरों के इंटरव्यू द्वारा छपवाया गया की बापूजी ने इन्हें ब्राइब गिफ्ट की है।
और ब्यान भी कैसे छपे- एक ब्यान में io कहती है की "इन्होंने मुझे छिंदवाड़ा आश्रम की वार्डन बनाने का ऑफर दिया था"
पढ़ कर भी हंसी आ जाए। कोई आपको बड़ी नौकरी छोड़ कर छोटी नौकरी करने का ऑफर क्यों देगा???
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अच्छा ये सब तो ठीक है, फिर बापू की अब तक बेल क्यों नहीं हो रही ??? गवाहों की ह्त्या क्यों हो रही है??? कुछ तो होगा ही???
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इसके contradictory सवाल में आपसे एक सवाल का उत्तर चाहिए की अगर कुछ है तो fastrack कोर्ट में होने के बाद भी तीन साल हो गए, सजा अब तक क्यों नही हुई??? पर सवाल का जवाब सवाल नहीं होता इसलिए आपका जवाब देता है मेरी तरफ से ।
बापूजी की बेल अब तक 6 बार खारिज हो चुकी है 3 बार सेशन कोर्ट से, 2 बार हाईकोर्ट से और एक बार सुप्रीम कोर्ट से। .
ये बात आप जानते हैं बेल पहले सेशन कोर्ट में लगाई जाती है वहां से खारिज होने के बाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीमकोर्ट में लगाई जाती है। .
पहली बार जब बेल लगाई गई थी तब राज्य सरकार द्वारा बिठाए गए जज ने विपक्षी वकील की ये दलील मानते हुए बेल खारिज की थी की "आरोपी का बहुत बड़ा राजनीतिक रसूख है इसलिए जेल से बाहर आने पर आरोपी सबूतों के साथ छेड़ छाड़ कर सकता है। " .
ये तो सिर्फ दलील थी जनता में इमेज बनाने के लिए जज साहब तो बेल लगने से पहले उसे खारिज करने का मन बना कर बैठे हुए थे।
इसलिए जब सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों ने अपनी याचिका लगा कर ये पक्ष रखा की सभी गवाहों के बयान होते होते तो सदियाँ बीत जाएंगी तब तक निर्दोष को सजा क्यों दी जाय। तब सुप्रीम कोर्ट ने 6 मुख्य गवाह नियुक्त किये और बाकी के गवाहों को सामान्य गवाह की श्रेणी में रखते हुए मजिस्ट्रेट के सामने उनके बयान दर्ज कराने के आदेश दिए और कहा की इन 6 गवाहों के बयान होने तक आपको इंतज़ार करना पड़ेगा।
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अब इन 6 गवाहों में से पांच गवाहों ने तो अपने ब्यान 2 महीने के अंदर कोर्ट में दर्ज करा दिए और बाकी एक गवाह(सुधा पटेल) ने टालमटोल करते हुए 9 महीने बिता दिए। 9 महीने बाद उसने बापूजी के पक्ष में अपना ब्यान दर्ज कराया।
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अब इस अंतराल में सामान्य गवाहों पर हमले कराये गए और फिर से मीडिया ट्रायल करा के दबाब बनाया गया। इसी कारण जब सभी मुख्य गवाहों के बयान हो गए जो की सुप्रीमकोर्ट ने शर्त रखी थी, उसके बाद भी सेशन कोर्ट के जज ने बेल खारिज कर दी।
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पिछली बार बेल की याचिका 8 जनवरी 2016 को खारिज हुई थी और नियम ये कहता है की सेशन कोर्ट से उच्च कोर्ट के बीच 90 दिन का अंतराल होना आवश्यक है इसलिए अभी मई में नयी याचिका लगाई गयी है जिसकी सुनवाई जुलाई में होगी।
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फिर गवाहों पर हमला कौन और क्यों करवा रहा है???
ये षड्यंत्र अंतर्राष्ट्रीय है। ये सब आप masonic वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं की ये लोग आदमियता फैलाने वाले हर संत को ऐसे ही प्रताड़ित करेंगे, जिससे की जनता का विश्वास परमात्मा से डिग जाए और ये विदेशी माफिया वाले लोगों का धर्मान्तरण आसानी से करवा सकें. और इसे बहुत शक्तिशाली विदेशी शक्तियां नियंत्रित कर रही हैं। link- http://educate-yourself.org/cn/johncolemangoalsofIlluminati.shtml
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वो अपने षडयंत्र में हिस्सा लेने वाले उन सभी लोगों को ख़त्म कर देते हैं जिन्हें बहुत ज्यादा पता होता है या जिनका काम ख़त्म हो चुका होता है।
क्योंकि इनका मकसद बापू को ही नहीं उनके काम को ख़त्म करना है और यहां ऐसा करने से मीडिया के सहयोग द्वारा भारतीय मानस के दिमाग में ये भ्रम बनाने में मदद मिली की कल को इनकी अगर बेल हो जाए तो लोग यही समझे की इन्होंने गवाहों को मारकर बेल ली है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 6 गवाहों को मुख्य गवाह नियुक्त किया है। सिर्फ इन गवाहों के ही बयान माइने रखते हैं बाकी के नहीं। इनमें से किसी भी गवाह पर कोई हमला नही हुआ है। क्योंकि इन पर हमले से नुकसान विपक्षियों का होना है।
और अगर आप किसी वकील को जानते हों तो आप उससे पूछ सकते हैं की अगर 174 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने कोई अपना बयान दर्ज कराता है तो वो स्वयं चाहकर भी अपना बयान नहीं बदल सकता और अगर उसको अपना ब्यान बदलना है तो इसके लिए उसे एक अलग याचिका लगानी होगी जिस पर उलटा उसके खिलाफ कार्यवाही हो सकती है, फिर ये हमला करवाने से हमे क्या लाभ???? उलटा नुकसान और है जो की ना करवाते हुए भी हो रहा है।
फिर ये कार्तिक हलदर और के डी पटेल कौन है??? इसने स्वीकारा है की बापूजी के कहने पर इसने अमृत प्रजापति की ह्त्या की थी????
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बापूजी को आश्रम से धुले हुए कपडे और खाने तक को लेने के लिए याचिका लगाकर मांग करनी पड़ती है। वो चौबीसों घंटे जेल के पुलिस वालों से घिरे रहते हैं। फिर उनतक फोन होने की बात करना और फोन पर ऐसा ऑडर देने की बात करना आपके भेड़ पने की पराकाष्ठा को दर्शाती है। कार्तिक हलदर कौन है ये हमें नहीं पता रिकॉर्ड बता रहे हैं की ये व्यक्ति 2008 के बाद से आश्रम में नहीं दिखा। ना ही इसका बापूजी से कोई लेना देना है। संभवतः ये पुलिस द्वारा हायर किया हुआ व्यक्ति है।
और के डी पटेल आश्रम का व्यक्ति है इसे पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है बल्कि केस में अपना नाम आने पर स्वयं इसने अपनी गिरफ्तारी दी है पूछताछ के लिए जिसकी जांच चल रही है।
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इतिहास पढ़ना कितना सरल होता है और बनना कितना पीड़ादायी होता है। ये बापूजी और उनके साधकों के वर्तमान के जीवन चरित्र को देखकर समझा जा सकता है। बापूजी सदी के जघन्तम् अन्याय को सह रहे हैं, उस जनता का प्रतिकार सह रहे हैं जिसकी सेवा के लिए जिनके उत्थान के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया। पर मैं उनमे से नहीं हूँ मेरे पास बड़े बड़े मंहगे कैमरे और सॉफ्टवेयर नहीं है जिनके द्वारा मैं झूठ को सच बना के बता सकूँ। मेरे पास तो साधन के नाम पर एक कीबोर्ड और इंटरनेट है जिसके द्वारा में सत्य को सत्य की तरह परोसने का प्रयास कर रहा हूँ और करता रहूंगा।
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नोट- नारायण सांई का केस, आयकर विभाग के आरोप, एवं और भी कई अन्य आरोपों पर पोस्ट अगले भाग में डाली जायेंगीं।




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