ग्लोबल वार्मिंग के लिए भारत की तरफ जो चीज़ जिम्मेदार है, वो है यहाँ के नेताओं, नेता-पार्टी-भगतों, पढ़े लिखे भेड़ों की सेक्युलर होने वाला गुण !!

विकास के नाम पेड़ काट रहे है । आज सारा विश्व ग्लोबल वोर्मींग से परेशान है ....
भक्त मेट्रो ट्रेन और जापानी ट्रेन से खुश है ...मुझे 18 वि सदी का समजते है ।... क्या आप जानते हैं कि *सूखे की वजह सेकुलरता है...*
*आप को लगेगा अजीब बकवास है किन्तु यही अटल सत्य है.. .*
*सेकुलरता के चक्कर में पिछले 68 सालो में हिंदुत्व के प्रतीकों को खत्म किया गया* 
*जिसमें पीपल, बड़गद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया*
*पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% आब्जरबर है, बडगद़ 80% और नीम 75 %*
*अब चूँकि हिन्दू धरम मान्यता अनुसार हिन्दू समाज इन पेड़ों पर जल चढ़ाते हैं इसलिए सरकार ने तथाकथित कुछ सेकुलरवादी लोगो को खुश करने के चक्कर में इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है*
*इस पेड़ को लगाना इंदिरा गांधी ने चालू किया. आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली*
*अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही*
हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त दिल्ली होगी
*वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए*
पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।
*जब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे तब मंत्रियों और सांसदों के आवास के अंदर से सभी नीम और पीपल के पेड़ कटवा दिए थे*
*कम्युनिस्ट कितने मानसिक रूप से पिछड़े हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की तब लोक सभाध्यक्ष पीपल और नीम के पेड़ कटवाने का कारण बताये थे कि इन पेड़ों पर भूत निवास करते हैं*
*मिडिया में बड़ा मुद्दा नहीं बना, क्यूँकि यह पेड़ हिन्दू धार्मिक आस्था के प्रतीक थे*
कानपुर में एकबार सफाई कार्य के दौरान सड़क किनारे अनचाहे उग आये पीपल के पेड़ को उखाड़ने से विनम्रता पूर्वक मैंने मना कर दिया। शुक्ला साहब ने कारण पूछा तो पाप-पूण्य से जोड़ते हुए मैंने संक्षेप में इसके फायदे बता दिए। वे भी पूर्ण वाकिफ थे सो मेरी खूब सराहना हुई। वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमस्तुते।
भावार्थ तो समझ ही गए होंगे।
*अब करने योग्य कार्य*
*इन जीवनदायी पेड़ो को ज्यादा से ज्यादा लगाये तथा यूकेलिप्टस पर बैन लगाया जाय*
*जिसके पास इतनी जग़ह न हो वह तुलसी जी का पौधा लगाये*
*आइये हम सब मिलकर अपने "हिंदुस्तान" को प्राकृतिक आपदाओं से बचाये*
*अब आप समझ गए होगें की सूखे की वजह _"सेक्युलरिज़्म" यानी सेकुलरता है*

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