ज्वेलरी पर बढे उत्पाद शुल्क का सच
मोदी साहेब के अंध भगत नागरिकों को इस झूठ का प्रचार कर रहे है कि ज्वेलरी पर उत्पाद शुल्क लगाने से काले धन पर रोकथाम लगेगी। जबकि ऐसा नहीं है। पहली बात तो यह है कि सोने में जो काले धन का निवेश करता है वह सोने के बिस्किट्स में किया जाता है, ज्वेलरी में नहीं। सोने से आभूषण बनाने में उसमे कुछ मात्रा में ताम्बा मिलाया जाता है और घड़ाई की भी लागत जुड़ जाती है, अत: यदि कोई व्यक्ति X रूपये में किसी दुकान से ज्वेलरी खरीदता है और पुन: उसी दिन उस ज्वेलरी को बेचता है तब भी उसे इन आभूषणो के 15% कम दाम मिलेंगे। इसीलिए काले धन के निवेशक अपना धन सोने के बिस्किट्स में निवेश करते है न कि ज्वेलरी में। इसके अलावा जिसके पास काला धन है वह हमेशा बिना किसी बिल के ही लेनदेन करेगा। क्योंकि बिल लेने देने से उसे अपने धन का आयकर विभाग को हिसाब देना होगा। तो जब बिल ही नहीं दिया जाएगा तो एक्साइज ड्यूटी या अन्य किसी भी टैक्स के लागू होने का सवाल ही नहीं उठता।
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दूसरे शब्दों में मोदी साहेब, अरुण जेटली और मोदी अंधभगतो द्वारा किया जा रहा यह दावा बिलकुल झूठा है कि उत्पाद शुल्क से सोने के कारोबार में काले धन पर लगेगी।
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वैसे भी जितना काला धन जमीनों में लगा हुआ है उसका 5% भी सोने में नहीं है, और आभूषणो में तो इसकी मात्रा 2% से भी कम है। सोने के बिस्किट्स में काले धन का निवेश सिर्फ कुछ महीनो के लिए ही किया जाता है, लम्बी अवधि के लिए नहीं। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि यदि कोई भ्रष्ट नेता/अधिकारी/न्यायधीश/कारोबारी या अन्य किसी व्यक्ति को किसी वर्ष में 5 करोड़ का काला धन प्राप्त होता है और वह 5 वर्ष बाद 25 करोड़ का कोई भूखण्ड खरीदने की योजना बना रहा है तो वह हर साल प्राप्त होने वाली 5 करोड़ की आय से सोने के बिस्किट खरीदेगा और पांचवे साल में सभी सोना बेचकर भूखण्ड खरीद लेगा। इस तरह सोने के बिस्किट्स में निवेश सिर्फ अल्पकाल के लिए ही किया जाता है।
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लेकिन मोदी साहेब और उनके सभी अंधभगत उन सभी कानूनों का खुले आम विरोध कर रहे है जिससे भूमि के लेनदेन में काले धन के निवेश जो रोका जा सके।
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साफ़ है कि सोने पर एक्साइज ड्यूटी लगाने का काले धन से कोई लेना देना नहीं है और इससे छोटे ज्वलर्स के लिए निर्यात के अवसर सिकुड़ जाएंगे।
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समाधान ?
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हमने जमीनों में काले धन के को रोकने के लिए क़ानून ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। इस क़ानून के गैजेट में प्रकाशित होने पर जमीनों में काले धन के निवेश पर रोकथाम लगेगी। प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है --https://web.facebook.com/permalink.php?story_fbid=753956281389277&id=100003247365514&_rdr
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यदि आप इस क़ानून ड्राफ्ट का समर्थन करते है तो अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि इस कानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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दूसरे शब्दों में मोदी साहेब, अरुण जेटली और मोदी अंधभगतो द्वारा किया जा रहा यह दावा बिलकुल झूठा है कि उत्पाद शुल्क से सोने के कारोबार में काले धन पर लगेगी।
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वैसे भी जितना काला धन जमीनों में लगा हुआ है उसका 5% भी सोने में नहीं है, और आभूषणो में तो इसकी मात्रा 2% से भी कम है। सोने के बिस्किट्स में काले धन का निवेश सिर्फ कुछ महीनो के लिए ही किया जाता है, लम्बी अवधि के लिए नहीं। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि यदि कोई भ्रष्ट नेता/अधिकारी/न्यायधीश/कारोबारी या अन्य किसी व्यक्ति को किसी वर्ष में 5 करोड़ का काला धन प्राप्त होता है और वह 5 वर्ष बाद 25 करोड़ का कोई भूखण्ड खरीदने की योजना बना रहा है तो वह हर साल प्राप्त होने वाली 5 करोड़ की आय से सोने के बिस्किट खरीदेगा और पांचवे साल में सभी सोना बेचकर भूखण्ड खरीद लेगा। इस तरह सोने के बिस्किट्स में निवेश सिर्फ अल्पकाल के लिए ही किया जाता है।
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लेकिन मोदी साहेब और उनके सभी अंधभगत उन सभी कानूनों का खुले आम विरोध कर रहे है जिससे भूमि के लेनदेन में काले धन के निवेश जो रोका जा सके।
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साफ़ है कि सोने पर एक्साइज ड्यूटी लगाने का काले धन से कोई लेना देना नहीं है और इससे छोटे ज्वलर्स के लिए निर्यात के अवसर सिकुड़ जाएंगे।
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समाधान ?
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हमने जमीनों में काले धन के को रोकने के लिए क़ानून ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है। इस क़ानून के गैजेट में प्रकाशित होने पर जमीनों में काले धन के निवेश पर रोकथाम लगेगी। प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है --https://web.facebook.com/permalink.php?story_fbid=753956281389277&id=100003247365514&_rdr
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यदि आप इस क़ानून ड्राफ्ट का समर्थन करते है तो अपने सांसद को एसएमएस द्वारा आदेश भेजे कि इस कानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए।
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.