यूक्रेन सङ्कट — ७
यूक्रेन सङ्कट — ७
अमरीकी सरकार की संस्था ‘National Institute on Drug Abuse’ की यह रिपोर्ट ( https://nida.nih.gov/international/abstracts/problem-substance-abuse-in-ukraine१९९० ) १९९० ई⋅ से २००६ ई⋅ तक के यूक्रेन पर है जो कुछ पुरानी हो चुकी है किन्तु रिपोर्ट में जिन प्रवृतियों का उल्लेख है वे अब अत्यधिक बढ़ चुकी हैं (गूगल अनुवाद प्रस्तुत है ) —
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“जबकि अधिकांश देशों में नशीली दवाओं की खपत एक व्यक्तिगत मामला है, यूक्रेन में इसका एक समूह चरित्र है। अफीम का अर्क (poppy straw extract) पसंद का मुख्य ड्रग बना हुआ है। मारिजुआना युवा लोगों के बीच लोकप्रियता में बढ़ रहा है और सिन्थेटिक दवाओं का उपयोग बढ़ती आवृत्ति के साथ दिखाई दे रहा है। औसत यूक्रेनी नागरिक के लिए कोकीन और हेरोइन जैसी कठोर दवाएं बहुत मँहगी हैं, इसलिए उनके दुरुपयोग के स्तर अभी भी महत्वपूर्ण नहीं हैं। 1990 के दशक की शुरुआत से नशीली दवाओं पर निर्भर लोगों की संख्या में सालाना 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, उनमें से 27 प्रतिशत वयस्क हैं, 60 प्रतिशत किशोर हैं और 13 प्रतिशत बच्चे हैं, जिनकी आयु 11 से 14 वर्ष है। ड्रग एडिक्ट, 20-30 वर्ष की आयु, उपयोगकर्ताओं की एक प्रचलित श्रेणी बन रही है, और यह हाल के वर्षों में एक विशिष्ट विशेषता है, जो सामान्य यूरोपीय प्रवृत्ति से मेल खाती है। 2002 में, यूक्रेन ने पूरे पूर्वी यूरोप में HIV संक्रमण की उच्चतम और सबसे तेजी से बढ़ती दरों में से एक दर्ज किया। HIV का प्रसार नशीली दवाओं के इंजेक्शन के उपयोग और कुछ हद तक कम लेकिन बढ़ती सीमा तक, युवा लोगों के बीच असुरक्षित यौन संबंध से प्रेरित हो रहा है।”
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नशीली दवाओं के उपयोग को उपरोक्त रिपोर्ट में “सामान्य यूरोपीय प्रवृत्ति” कहा गया है । निम्न रिपोर्ट के अनुसार ( https://www.ojp.gov/pdffiles1/nij/218556.pdf ) यूरोप में नशीली दवाओं के प्रसार का प्रमुख कर्ता−धर्ता है नैटो सदस्य तुर्की और उस ड्रग का प्रमुख स्रोत है अफगानिस्तान जहाँ सोवियत आक्रमण के समय से ही तालिबान के सहयोग से अमरीका नशीली दवाओं की खेती और व्यापार करता रहा है । तुर्की से यूरोप सीधे भी नशीले ड्रग भेजे जाते हैं और यूक्रेन के रास्ते भी ।
निम्न अमरीकी रिपोर्ट https://www.ojp.gov/pdffiles1/nij/200271.pdf का शीर्षक ही है The Growing Importance of Ukraine As A Transit Country for Heroin Trafficking (हेरोइन तस्करी के लिए एक पारगमन देश के रूप में यूक्रेन का बढ़ता महत्व) ; रिपोर्ट २००२ ई⋅ की है ।
पिछले दो दशकों से अफगानिस्तान में अमरीका का सीधा कब्जा रहा है और यूक्रेन भी अधिकांश काल तक अमरीकी प्रभाव में रहा है जिस कारण ऐसे अनुसन्धानों को अब दबाया जाता है,यही कारण है कि ढूँढने पर भी मुझे दो दशक पुराने रिपोर्ट ही मिले । किन्तु अब स्थिति अत्यधिक भयावह हो चुकी है । ११% वार्षिक वृद्धि दर का अर्थ है ३२ वर्षों में ड्रग एडिक्टों की संख्या में २८ गुणे की वृद्धि!
यूक्रेनियों को नशीली दवाओं का इस सीमा तक अभ्यस्त बना दिया गया है कि सपने देखते रहते हैं कि अमरीका के गीत गाने से नैटो सदस्य बना लेगा और रूस पर आणविक मिसाइस की अनुमति यूक्रेन देगा तो उसके बदले यूक्रेनियों को काम−काज नहीं करना पड़ेगा । यूक्रेन को अरबों डालर की पाश्चात्य “सहायता” मिल रही है जिसका दुरुपयोग होता है । सोवियत युग में यूक्रेन रूस से भी अधिक विकसित गणराज्य था । सोवियत संघ से टूटते ही ड्रग का प्रसार बढ़ने लगा जैसा कि उपरोक्त रिपोर्टों में है । अब हालत यह है कि यूक्रेन यूरोप का सबसे गरीब देश बन चुका है जिसे केवल ड्रग का सेवन करने और नैटो से भीख माँगने में ही रुचि है ।
नैटो भी इस निकम्मे देश को सदस्य बनने के योग्य नहीं समझता,केवल रूस के विरुद्ध इस्तेमाल कर रहा है । अहमद शाह मसूद और उनके मुजाहिदीनों को अमरीका ने सोवियत संघ के विरुद्ध इस्तेमाल किया और काम निकल जाने पर पाकिस्तान एवं तालिबान द्वारा मरवाने का प्रयास किया तो भारत ने गुप्त रूप से बचाया । वही हाल झेलेन्स्की का हो रहा है ।
भारतीय मीडिया तो अमरीका और ब्रिटेन से “समाचार” उधार लेकर कहती है कि यूक्रेनी वायुसेना रूसी युद्ध−विमानों को मारकर गिरा रही है,किन्तु यूक्रेनी वायुसेना आकाश में जाने योग्य होती तो झेलेन्स्की यूक्रेन को “नो फ्लाई जोन” बनाने के लिये नैटो से गुहार नहीं लगाते । झेलेन्स्की जानते नहीं हैं कि ऐसा करने पर विश्वयुद्ध छिड़ जायगा?रूस के विरुद्ध नैटो को बुलाने और यूक्रेन में रूसियों का नरसंहार करने के कारण ही यूक्रेन पर रूस का आक्रमण हुआ,आक्रमण के कारण को दूर करने की बजाय उसे भड़काने में ही झेलेन्स्की लगे है । सत्ता के लोभ में कोई व्यक्ति इतना गिर सकता है कि विश्वयुद्ध कराना चाहे यह विश्वास करना कठिन है । झेलेन्स्की ड्रग एडिक्ट लगता है,सामान्य बुद्धि का व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता । आज झेलेन्स्की बयान दे दे कि यूक्रेन नैटो का सदस्य नहीं बनेगा तो सारा झगड़ा ही समाप्त हो जायगा । नैटो भी उसे सदस्य नहीं बनायेगा । रूस भी यह जानता है । किन्तु झेलेन्स्की अपने को सुपरपॉवर समझने लगा है । अतः दोनवास में रूसियों का नरसंहार बन्द कराना भी नहीं चाहता । दोनवास के दोनों गणराज्यों को मान्यता देना रूस का आक्रमण नहीं था । मान्यता देने पर रूस के विरुद्ध प्रतिबन्धों की घोषणा होने लगी जो दोनवास में रूसियों के नरसंहार का पश्चिम द्वारा समर्थन था । इसी से भड़ककर रूस ने युद्ध द्वारा समाधान करना चाहा,वार्ता के सारे रास्ते झेलेन्स्की ने बन्द कर दिये थे । मिन्स्क समझौता करके उसे लागे करने से यूक्रेन मुकर गया,वरना तनाव बढ़ता ही नहीं ।
बाइडेन का ड्रग−एडिक्ट बेटा हण्टर भी दीर्घकाल तक यूक्रेन में “बिजनेस” कर रहा था । कोई समझदार व्यक्ति अपने बेटे का नाम हण्टर,चाबुक या कोड़ा कैसे रख सकता है?
पूरा यूक्रेन ही ड्रग एडिक्ट है । २००५ ई⋅ की उपरोक्त रिपोर्ट कहती है कि नशीली दवा लेना यूक्रेन में व्यक्तिगत प्रवृति नहीं बल्कि झुण्डवृति बन चुकी थी!१२ वर्ष से २४ वर्ष के किशोरों को CIA ने टारगेट करके एडिक्ट बनाया ताकि रूस से युद्ध कराया जा सके । अरबों डालर भी झोंके गये । उस धन से कोई रोजगार सर्जित नहीं हुआ,उद्योग नहीं खुले,सैन्य शक्ति नहीं बढ़ी । केवल संस्कार बिगाड़े गये । आज भी यूक्रेन की वायुसेना के एक सौ युद्ध विमानों में एकाध के सिवा सबके सब ठीकठाक हैं,किन्तु उड़ाना सम्भव नहीं है । कारण CIA से घूस खाने वाली मीडिया नहीं बतायेगी । यूक्रेनी सेना के कुशल पायलट और वरिष्ठ अधिकारी रूस से लड़ना नहीं चाहते,झेलेन्स्की के नशेबाज गुण्डे फाइटर प्लेन उड़ा नहीं सकते ।
ये गुण्डे नशा करके आवारागर्दी करेंगे और नैटो से कहेंगे कि रूस पर तुमको आक्रमण करने के लिये भूमि हम देंगे,तुम हमें ड्रग और डॉलर दो,यहाँ आकर तुम लड़ो ।
ऐसे आवारा लोगों के पक्ष में १४१ देशों को डॉलर के बल पर लाया गया और रूसी पक्ष को सेन्सरशिप करके दबाया गया । किन्तु अमरीका आज भी रूस से पेट्रोलियम खरीद रहा है और पश्चिम यूरोप रूसी गैस!भारत से कहता है कि सउदी तेल खरीदो जिससे जिहादियों को धन मिले ।
By Vinay Jha
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.