ऑस्ट्रेलिया और भारत की मीडिया में अंतर और उपाय

🚩ऑस्ट्रेलिया एवं भारत की मीडिया में समाचारों की निष्पक्षता को लेकर जमीन आसमान का अंतर है, वहां की मीडिया जंगलों की कटाई एवं बरियार रीफ की खुदाई को लेकर पर्यावरणविदों की बातों को लेकर जितनी सजग है और लोगों की भवनाओं को लेकर जितनी निष्पक्ष है, उतना भारत की मीडिया से कभी उम्मीद नहीं की जा सकती. यहाँ, पर्यावरण-विदों की बातों एवं जंगलों की कटाई के विरोध को समाज के पिछड़ेपन एवं विकास के विरोधी होने से जोड़ा जाता है, फलतः लोगों के पर्यावरण-विरोधी बातों को निर्दयतापूर्वक दबा कर, सिटी ऑफ़ लन्दन में बैठे हमारे नेताओं के आर्थिक मालिकों के अन्दर काम करने वाली हमारी बड़े मीडिया कंपनियां पर्यावरण-विरोधी कार्यों को अंजाम दिलवातीं हैं, विरोध करने पर सम्बंधित अधिकारियों के ऊपर चरित्रहीनता एवं अन्य आरोप लगा कर रास्ते से हटा दिया जाता है.

🚩 भारत के कारोबारी अडानी समूह के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं.

🚩 अडानी समूह ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदान शुरू करना चाहता है, ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरणविदों को अपने देश के पर्यावरण की चिंता है उनका मानना है कि कोल के उत्पादन से पूरे विश्व मे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी और कोल माइनिंग के चलते ग्रेट बेरियर रीफ के पास करीब 11 लाख घन मीटर कटाई होगी। 60 साल तक वहां से हर वर्ष 6 करोड़ टन कोयले का एक्सपोर्ट होगा। ढुलाई के लिए जहाज उस इलाके में आते-जाते रहेंगे।
इससे रीफ और समुद्री जीवों को नुकसान होगा 2,300 km लंबे इस ईको-सिस्टम में हजारों रीफ (चट्‌टानें) और सैकड़ों आईलैंड है। यहां 600 तरह के सख्त और मुलायम कोरल (मूंगा) पाए जाते हैं। यहां रंगीन मछलियों, सीप, स्टारफिश, कछुओं, डॉल्फिन और शार्क की हजारों किस्में भी पाई जाती हैं ऑस्ट्रेलिया की स्थानीय मीडिया ने दावा किया है कि आधे से ज़्यादा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक इस खदान के विरोध में आ गए हैं.
🚩🚩 ऐसे ही प्रश्न भारत मे भी उठे थे जब मुंद्रा पोर्ट के लिए सैकड़ों किलोमीटर की समुद्र तट की जमीन गुजरात सरकार ने अडानी समूह को कौड़ियों के भाव दे दी थी लेकिन भारत मे पर्यावरण की चिंता करने को विकास का विरोध माना जाता है मोदी जी ने अडानी समूह को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से करीब 6 हजार करोड़ रुपये का लोन भी इसी परियोजना के लिये दिलवाया है लेकिन आस्ट्रेलिया का मीडिया भारत की तरह बिका हुआ नही है, ऑस्ट्रेलियाई समाचार संस्था एबीसी न्यूज के विशेष कार्यक्रम फोर कॉर्नर्स के तहत की गई पड़ताल के बाद ये दावा किया गया है कि ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कई अहम परिसंपत्तियां दरअसल अडानी समूह की ही है.
🚩 कुछ दिन पहले ब्रिटिश अखबार द गॉर्डियन ने भी यह दावा किया था कि भारतीय कस्टम विभाग के डॉयरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटलीजेंस (डीआरआई) ने अडानी समूह पर फर्जी बिल बनाकर करीब 1500 करोड़ रुपये टैक्स हैवेन देश में भेज दिया है
🚩 भारत की EPW मैगजीन ने मात्र इतना ही कहा था कि सरकार ने स्पेशल इकनोमिक जोन (SEZ) अधिनियम में बदलाव करके अडानी ग्रुप को 500 करोड़ रूपए का फायदा पहुँचाया है. इस विवाद में अडानीें ने ऐसा दबाव बनाया कि EPW के संपादक को नॉकरी से हाथ धोना पड़ा यानी साफ है कि भारत मे खोजी पत्रकारिता अपनी अंतिम सांसे गिन रही है और विदेशी पत्रकारों को भी ठीक से काम नही करने दिया जाता .
एबीसी न्यूज के फोर कॉर्नर्स के पत्रकार स्टीफन लॉन्ग ने दावा किया था कि जब वो इस खोजी रिपोर्ट के दौरान पड़ताल के लिए गुजरात गये थे तो अगले ही दिन पुलिस उनके होटल पहुंच गयी थी.
इस घटना का वीडियो भी भारत के सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था जिसमे स्टीफन ने बताया, “ हमसे क़रीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई।
🚩 एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस दौरान बार-बार मोबाइल पर बात करने के लिए कमरे से बाहर जाता था और लौटने पर उसका रुख और कड़ा हो जाता था। वे लोग अच्छी तरह जानते थे कि हम वहां क्यों आए हैं, लेकिन कोई भी ए (अडानी) शब्द मुंह से नहीं निकाल रहा था.
🚩 पत्रकार जोसी जोसेफ़ ने एक किताब लिखी है 'अ फीस्ट आॅफ वल्चर्स’ इस किताब में बिजनेस घराने किस तरह से भारत के लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं, उसका ब्योरा है. जोसेफ़ ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी के सामने भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला अडानी ग्रुप का आया है. लेखक को प्रत्यर्पण निदेशालय के सूत्रों ने बताया है कि अगर सही जांच हो जाए तो अडानी समूह को 15 हज़ार करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
लेकिन यहाँ किसी की हिम्मत नही है कि अडानी से सम्बंधित कोई जांच कर सके जबकि विनोद अडानी का नाम पनामा पेपर्स में भी आ चुका है, यह आलेख आज जनचौक में भी पब्लिश हुआ है.
🚩 समाधान:
१) जनता की आवाज को दबाया जाना असंभव बनाने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली होना अनिवार्य है,जिससे सबूत इत्यादि सार्वजनिक उपलब्ध करवाया जा सके. जनता की आवाज – पारदर्शी शिकायत प्रणाली’ — टीसीपी : fb.com/notes/1475751599184491
२) जनता द्वारा स्वयं न्याय देने के लिए ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :-
fb.com/notes/1475753109184340
३) पब्लिक में नार्कोटेस्ट – बलात्कार , हत्या , भ्रष्टाचार , गौ हत्या आदि के लिए नारको टेस्ट का कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1476079982484986
४) राईट टू रिकॉल मंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1476084522484532 
इन कानूनों को लाने के लिए अपने जनसेवक से माँग करें
अपने सांसद व विधायक को जो कानून के ड्राफ्ट भेजें
सांसद व विधायक के नंबर यहाँ से देखें http://nocorruption.in/
अपने सांसदों/विधायकों को उपरोक्त क़ानून को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून लागू करवाने के लिए उन पर जनतांत्रिक दबाव डालिए, इस तरह से उन्हें मोबाइल सन्देश या ट्विटर आदेश भेजकर कि:-
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” माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि जनता द्वारा स्वयं न्याय देने के लिए ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :-
fb.com/notes/1475753109184340
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz ”
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इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.
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🚩राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470/

औपचारिकताएं सज्जनों के लिए निभानी चाहिए. दुष्टों के लिए नहीं.
Image courtesy- http://economictimes.indiatimes.com/industry/transportation/railways/bullet-train-deadline-advanced-by-one-year-to-2022/articleshow/60469512.cms
जय हिन्द. वन्दे मातरम्
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