डेरा समर्थक कभी भी हिंसा एवं देश विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे :
डेरा समर्थक कभी भी किसी प्रकार की हिंसा एवं देश विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे। बावजूद इसके, सोनिया / मोदी / केजरीवाल / भागवत / जज एवं इनके अंध भगत डेरे के व्यवस्थागत ढाँचे को कतरा कतरा तोड़ने के सभी प्रयास कर रहे है। माहौल कुछ इस तरह का बना दिया गया है जैसे डेरा और उनके समर्थक देश विरोधी एवं अलगाव वादी है !!!
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ओह माय गॉड फिल्म कान्हा vs कान्हा नामक नाटक पर लिखी गयी है। परेश रावल ने इसमें मुख्य भूमिका भी निभायी है और वे इसके सह निर्माता भी है। इस नाटक के फायनेंसर संघ के नेता है और यह नाटक के कई शो देश भर में संघ के कार्यकर्ताओ के लिए आयोजित किये गए है। स्वाभाविक रूप से संघ के कार्यकर्ता इस नाटक और इस पर बनी फिल्म के प्रशंसक है !!
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संघ के कार्यकताओ के बीच एक और स्वामी काफी लोकप्रिय है -- स्वामी सच्चिदानंद। उनके लेखन का केंद्रीय सन्देश यही रहता है कि , "विभिन्न सम्प्रदाय हिन्दुओ का विभाजन करके उन्हें कमजोर कर रहे है" !!! अत: मजबूत होने के लिए हिन्दुओ को "एक" हो जाना चाहिए !! इसके अलावा वे यह भी स्थापित करते है कि सभी गुरु वगैरह हिन्दू धर्म को कमजोर कर रहे है !!!
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यदि आप पंक्तियों एवं शब्दों के बीच छुपे हुए निहितार्थ को पढ़ सकते है तो साफ़ तौर पर समझ सकते है कि वे कहना क्या चाहते है।
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ओह माय गॉड फिल्म भी इसी तरह का सन्देश देती है -- सभी हिन्दू गुरु फ्रॉड और ढकोसले बाज है !! और इसीलिए सभी हिन्दू गुरुओ को ठिकाने लगा देना चाहिए !!!
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लेकिन क्यों ? आखिर ये सभी गुरु / संत फ्रॉड और बुरे क्यों है ? क्या ये लोग कश्मीरी आतंकियों की तरह आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहे है ? क्या ले लोग नक्सलियों की तरह पुलिस वालो को मार रहे है ? क्या ये लोग दाऊद की तरह लोगो को लूट रहे है और उनकी हत्याएं कर रहे है ? क्या ये लोग अपने आस पास रहने वाले लोगो को कश्मीरी पंडितो की तरह मारकर भगा देते है ?
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नहीं। लेकिन फिर भी सोनिया / मोदी / केजरीवाल जैसे ओह माय गॉड फ़िल्म के प्रशंषको की नजर में ये सभी संत बुरे और फ्रॉड है !!!
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संत आसाराम जी बापू, श्री गुरमीत राम रहीम जी, संत रामपाल जी जैसे संतो ने कभी भी हिंसा को प्रेरित नहीं किया। इन संतो पर कर चोरी या जमीने हड़पने के मामले लगभग नगण्य है। इन्होने कभी भी समाज में शान्ति भंग करने के कृत्य नहीं किये। बावजूद इसके हम देख रहे है कि जज / सोनिया / मोदी / केजरीवाल जैसे नेता और इनके अंध भगत इन संतो के व्यस्थागत ढाँचे को गिराने का समर्थन कर रहे है !!!
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इस पूरी कवायद के नतीजे भयावह होंगे। आज या कल , इन संतो के अनुयायी या तो मिशनरीज / इस्लाम की शरण लेंगे या फिर नक्सली बन जाएंगे। किसी निशस्त्र एवं क़ानून का पालन करने वाले समूह का दमन करना आसान है , लेकिन सिर्फ तब तक जब तक कि वे लोग क़ानून का पालन करते रहने के फैसले पर टिके रहे।
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सिर्फ तब तक जब तक कि वे लोग क़ानून का पालन करते रहने के फैसले पर टिके रहे।
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ओह माय गॉड फिल्म कान्हा vs कान्हा नामक नाटक पर लिखी गयी है। परेश रावल ने इसमें मुख्य भूमिका भी निभायी है और वे इसके सह निर्माता भी है। इस नाटक के फायनेंसर संघ के नेता है और यह नाटक के कई शो देश भर में संघ के कार्यकर्ताओ के लिए आयोजित किये गए है। स्वाभाविक रूप से संघ के कार्यकर्ता इस नाटक और इस पर बनी फिल्म के प्रशंसक है !!
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संघ के कार्यकताओ के बीच एक और स्वामी काफी लोकप्रिय है -- स्वामी सच्चिदानंद। उनके लेखन का केंद्रीय सन्देश यही रहता है कि , "विभिन्न सम्प्रदाय हिन्दुओ का विभाजन करके उन्हें कमजोर कर रहे है" !!! अत: मजबूत होने के लिए हिन्दुओ को "एक" हो जाना चाहिए !! इसके अलावा वे यह भी स्थापित करते है कि सभी गुरु वगैरह हिन्दू धर्म को कमजोर कर रहे है !!!
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यदि आप पंक्तियों एवं शब्दों के बीच छुपे हुए निहितार्थ को पढ़ सकते है तो साफ़ तौर पर समझ सकते है कि वे कहना क्या चाहते है।
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ओह माय गॉड फिल्म भी इसी तरह का सन्देश देती है -- सभी हिन्दू गुरु फ्रॉड और ढकोसले बाज है !! और इसीलिए सभी हिन्दू गुरुओ को ठिकाने लगा देना चाहिए !!!
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लेकिन क्यों ? आखिर ये सभी गुरु / संत फ्रॉड और बुरे क्यों है ? क्या ये लोग कश्मीरी आतंकियों की तरह आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहे है ? क्या ले लोग नक्सलियों की तरह पुलिस वालो को मार रहे है ? क्या ये लोग दाऊद की तरह लोगो को लूट रहे है और उनकी हत्याएं कर रहे है ? क्या ये लोग अपने आस पास रहने वाले लोगो को कश्मीरी पंडितो की तरह मारकर भगा देते है ?
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नहीं। लेकिन फिर भी सोनिया / मोदी / केजरीवाल जैसे ओह माय गॉड फ़िल्म के प्रशंषको की नजर में ये सभी संत बुरे और फ्रॉड है !!!
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संत आसाराम जी बापू, श्री गुरमीत राम रहीम जी, संत रामपाल जी जैसे संतो ने कभी भी हिंसा को प्रेरित नहीं किया। इन संतो पर कर चोरी या जमीने हड़पने के मामले लगभग नगण्य है। इन्होने कभी भी समाज में शान्ति भंग करने के कृत्य नहीं किये। बावजूद इसके हम देख रहे है कि जज / सोनिया / मोदी / केजरीवाल जैसे नेता और इनके अंध भगत इन संतो के व्यस्थागत ढाँचे को गिराने का समर्थन कर रहे है !!!
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इस पूरी कवायद के नतीजे भयावह होंगे। आज या कल , इन संतो के अनुयायी या तो मिशनरीज / इस्लाम की शरण लेंगे या फिर नक्सली बन जाएंगे। किसी निशस्त्र एवं क़ानून का पालन करने वाले समूह का दमन करना आसान है , लेकिन सिर्फ तब तक जब तक कि वे लोग क़ानून का पालन करते रहने के फैसले पर टिके रहे।
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सिर्फ तब तक जब तक कि वे लोग क़ानून का पालन करते रहने के फैसले पर टिके रहे।
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.