मोदी राज में नेहरु के औद्यौगिक मंदिरों की बिकवाली
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जैसा कि अंदेशा था, MNCs ने देश के खनिज भंडारों का अधिगृहण तेज कर दिया है।
नमो ने भारत सरकार के उपक्रम CIL, ONGC और NHPC की आंशिक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है ।
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कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) - विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कम्पनी है, जो कि भारत के कुल उत्पादन का 81% कोयले का उत्पादन करती है । वर्ष 2012-13 में CIL का मुनाफा 173 बिलियन रहा, UPA ने 2010 में इसकी 10% हिस्सेदारी बेचीं थी, अब भारत सरकार के पास CIL की 90% शेयरहोल्डिंग है ।
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ऑयल एंड नेचुरल गैस लिमिटेड (ONGC) - भारत की सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी । ONGC देश के कुल तेल व गैस के उत्पादन का क्रमश: 70% तथा 62% उत्पादन करता है । ऊर्जा क्षेत्र में विश्व में स्थान 22 वां ।2010-11 में मुनाफा 220 बिलियन । कोंग्रेस सरकार ने 1994 में ONGC की 20% हिस्सेदारी बेच दी थी, वर्तमान हिस्सेदारी 69% ।
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नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर लिमिटेड (NHPC) - हाइड्रो पॉवर के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कंपनी, कुल उत्पादन 5000 MW, निर्माणधीन 6000 MW । सरकारी हिस्सेदारी 86% । मुनाफा 485 मिलियन डॉलर, वर्ष 2010 ।
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जवाहर लाल ग़ाज़ी ने इन्हें कभी औद्योगिक भारत के आधुनिक मंदिर कहा था, जिनकी आज नीलामी की जा रही है । बिकवाली अगले महीने तय की गयी है, और नमो को इस विनिवेश* से लगभग 45000-55000 हज़ार करोड़ की पूँजी मिलने की संभावना है।
*विनिवेश - नीलामी के स्थान पर गढ़ा गया एक शब्द है, ताकि नागरिक समझें कि, सरकार कुछ ऊँची चीज़ कर रही है,जबकि बिकवाली शब्द से भगदड़ मचने का अंदेशा रहता है ।
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नमो के इशारे पर पेड मिडिया और पेड स्तंभकारो द्वारा इस बेचान के पक्ष में निम्नलिखित भ्रामक दलीले दी जा रही है :
1. इसकी शुरुआत कोंग्रेस ने की थी, हम सिर्फ इसे आगे बढ़ा रहे है ।
अच्छी बात है, बढ़ाइए ।
2. ये संस्थाएं कुप्रबंधन का शिकार है ।
झूठी बात है, बजाय इन कीमती संस्थाओं को बेचने के इनके प्रबंधन को सुधारने के लिए CIL, ONGC और NHPC चेयरमेन को प्रजा अधीन किया जाना चाहिए, राईट टू रिकाल चेयरमेन और स्टाफ पर ज्यूरी ट्रायल के क़ानून लगा कर इन PSU को कार्यकुशल बनाया जा सकता है ।
3. हमें सड़कें बनाने के लिए पैसा चाहिए ।
बकवास तर्क है, सड़कें बनाने के लिए पैसा संपत्ति कर, विरासत कर लगा कर जुटाया जा सकता है । इसके अलावा SEZ और MNCs को दी जा रही कर राहतें समाप्त की जा सकती है ।
तेल, गैस, कोयल जैसे कीमती खजाने को विदेशियों के हाथों में देना बदतरीन विकल्प है ।
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जबकि हमारी स्वदेशी इकाईयां क़र्ज़ में डूबी हुयी है, इन संस्थाओं के अंश आज नही तो कल MNCs के कब्ज़े में चले जाने वाले है । सड़कों के लिए पैसा जुटाने के लिए करारोपण उचित तरीका है, न कि हमारे मिनरल्स विदेशी हाथो में बेचना । जिस प्रकार 2010 में नागरिको को अचानक जानकारी दी गयी थी कि, ICICI और HDFC बैंको को विदेशियों द्वारा खरीद लिया गया है, उसी तरह हमारे इन PSUs के बारे में भी हमें यही जानकारी मिलने वाली है । उल्लेखनीय है कि तीनो संस्थाएं ऊर्जा से सबंधित खनन करती है, जो कि देश के विकास की रीढ़ है । मतलब नमो देश के सबसे कीमती संसाधनों की नीलामी कर रहे है, जिनके अभाव में देश हमेशा के लिए परजीवी हो जाएगा ।
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यह FDI के साईड इफेक्ट्स है, जहां भी MNCs जाती है, यही चरण सामने आते है । पहले निजी क्षेत्र की कम्पनियों का अधिग्रहण, गणित और विज्ञान का बेस तोड़ने वाले कानूनों का निर्माण, अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण, फिर खनिजो पर कब्ज़ा और अंत में धर्मांतरण ।
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भारत की सभी राजनेतिक पार्टियाँ प्रचार के लिए पेड मिडिया पर बुरी तरह से निर्भर है, इसलिए कोई भी दल इस नीलामी का विरोध नही कर रहा है ।
जहां तक RSS, स्वदेशी जागरण मंच और बाबा रामदेव का प्रश्न है, इन संघठनो ने इस कुकृत्य को मौन समर्थन दे रखा है, ताकि इनके हितो को चोट नही पहुंचे ।
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समाधान : अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा ऑर्डर भेजे कि पीएम तथा वित्त मंत्री को प्रजा अधीन करने का कानूनी ड्राफ्ट गेजेट में छापा जाए ।
https://righttorecallc.wordpress.com/2017/09/29/self-defence-arms/
जैसा कि अंदेशा था, MNCs ने देश के खनिज भंडारों का अधिगृहण तेज कर दिया है।
नमो ने भारत सरकार के उपक्रम CIL, ONGC और NHPC की आंशिक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है ।
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कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) - विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कम्पनी है, जो कि भारत के कुल उत्पादन का 81% कोयले का उत्पादन करती है । वर्ष 2012-13 में CIL का मुनाफा 173 बिलियन रहा, UPA ने 2010 में इसकी 10% हिस्सेदारी बेचीं थी, अब भारत सरकार के पास CIL की 90% शेयरहोल्डिंग है ।
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ऑयल एंड नेचुरल गैस लिमिटेड (ONGC) - भारत की सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी । ONGC देश के कुल तेल व गैस के उत्पादन का क्रमश: 70% तथा 62% उत्पादन करता है । ऊर्जा क्षेत्र में विश्व में स्थान 22 वां ।2010-11 में मुनाफा 220 बिलियन । कोंग्रेस सरकार ने 1994 में ONGC की 20% हिस्सेदारी बेच दी थी, वर्तमान हिस्सेदारी 69% ।
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नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर लिमिटेड (NHPC) - हाइड्रो पॉवर के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कंपनी, कुल उत्पादन 5000 MW, निर्माणधीन 6000 MW । सरकारी हिस्सेदारी 86% । मुनाफा 485 मिलियन डॉलर, वर्ष 2010 ।
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जवाहर लाल ग़ाज़ी ने इन्हें कभी औद्योगिक भारत के आधुनिक मंदिर कहा था, जिनकी आज नीलामी की जा रही है । बिकवाली अगले महीने तय की गयी है, और नमो को इस विनिवेश* से लगभग 45000-55000 हज़ार करोड़ की पूँजी मिलने की संभावना है।
*विनिवेश - नीलामी के स्थान पर गढ़ा गया एक शब्द है, ताकि नागरिक समझें कि, सरकार कुछ ऊँची चीज़ कर रही है,जबकि बिकवाली शब्द से भगदड़ मचने का अंदेशा रहता है ।
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नमो के इशारे पर पेड मिडिया और पेड स्तंभकारो द्वारा इस बेचान के पक्ष में निम्नलिखित भ्रामक दलीले दी जा रही है :
1. इसकी शुरुआत कोंग्रेस ने की थी, हम सिर्फ इसे आगे बढ़ा रहे है ।
अच्छी बात है, बढ़ाइए ।
2. ये संस्थाएं कुप्रबंधन का शिकार है ।
झूठी बात है, बजाय इन कीमती संस्थाओं को बेचने के इनके प्रबंधन को सुधारने के लिए CIL, ONGC और NHPC चेयरमेन को प्रजा अधीन किया जाना चाहिए, राईट टू रिकाल चेयरमेन और स्टाफ पर ज्यूरी ट्रायल के क़ानून लगा कर इन PSU को कार्यकुशल बनाया जा सकता है ।
3. हमें सड़कें बनाने के लिए पैसा चाहिए ।
बकवास तर्क है, सड़कें बनाने के लिए पैसा संपत्ति कर, विरासत कर लगा कर जुटाया जा सकता है । इसके अलावा SEZ और MNCs को दी जा रही कर राहतें समाप्त की जा सकती है ।
तेल, गैस, कोयल जैसे कीमती खजाने को विदेशियों के हाथों में देना बदतरीन विकल्प है ।
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जबकि हमारी स्वदेशी इकाईयां क़र्ज़ में डूबी हुयी है, इन संस्थाओं के अंश आज नही तो कल MNCs के कब्ज़े में चले जाने वाले है । सड़कों के लिए पैसा जुटाने के लिए करारोपण उचित तरीका है, न कि हमारे मिनरल्स विदेशी हाथो में बेचना । जिस प्रकार 2010 में नागरिको को अचानक जानकारी दी गयी थी कि, ICICI और HDFC बैंको को विदेशियों द्वारा खरीद लिया गया है, उसी तरह हमारे इन PSUs के बारे में भी हमें यही जानकारी मिलने वाली है । उल्लेखनीय है कि तीनो संस्थाएं ऊर्जा से सबंधित खनन करती है, जो कि देश के विकास की रीढ़ है । मतलब नमो देश के सबसे कीमती संसाधनों की नीलामी कर रहे है, जिनके अभाव में देश हमेशा के लिए परजीवी हो जाएगा ।
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यह FDI के साईड इफेक्ट्स है, जहां भी MNCs जाती है, यही चरण सामने आते है । पहले निजी क्षेत्र की कम्पनियों का अधिग्रहण, गणित और विज्ञान का बेस तोड़ने वाले कानूनों का निर्माण, अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण, फिर खनिजो पर कब्ज़ा और अंत में धर्मांतरण ।
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भारत की सभी राजनेतिक पार्टियाँ प्रचार के लिए पेड मिडिया पर बुरी तरह से निर्भर है, इसलिए कोई भी दल इस नीलामी का विरोध नही कर रहा है ।
जहां तक RSS, स्वदेशी जागरण मंच और बाबा रामदेव का प्रश्न है, इन संघठनो ने इस कुकृत्य को मौन समर्थन दे रखा है, ताकि इनके हितो को चोट नही पहुंचे ।
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समाधान : अपने क्षेत्र के सांसद को SMS द्वारा ऑर्डर भेजे कि पीएम तथा वित्त मंत्री को प्रजा अधीन करने का कानूनी ड्राफ्ट गेजेट में छापा जाए ।
https://righttorecallc.wordpress.com/2017/09/29/self-defence-arms/
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.