राजपत्र क्या है? देश की भ्रष्ट परिस्थिति से अपने भविष्य को बचाने के लिए ये क्यों और किस तरह से आवश्यक है?
राजपत्र (गैजेट) क्या है व इसमें कितनी शक्ति है?
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राजपत्र (गैजेट) की शक्ति बहुत अधिक है 8 तारीख को अंधभक्तों के प्रभु मोदी जी 8 बजे एक भाषण देते हैं और सुबह तक देश को सड़क पर ला देते हैं ये हम सबने देखा लेकिन ये अर्धसत्य है क्योंकि कुछ दिन बाद एक भाषण अरुण जेटली झाड़ते हैं कि अब शादी वाले परिवार बैंक से ढाई लाख करारे व नए नोट ले सकते हैं लेकिन इस बात पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने अमल नहीं किया (वो बात अलग है कि अब भी गैर जरूरी शर्तों के कारण शादी वाले परिवार को पैसे नहीं मिल रहे)
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अब प्रश्न ये उठता है कि मोदी जी के भाषण ने तो हंगामा मचा दिया अरुण जेटली के भाषण को किसी ने क्यों नहीं माना?
--- इसका कारण ये है कि मोदी ने भाषण बाद में पढ़ा और राजपत्र (गैजेट) में पहले हस्ताक्षर किये जबकि अरुण जेटली जी केवल जुमला छोड़कर चले गए यदि कल प्रधानमंत्री जी राजपत्र (गैजेट) में ये छाप दें कि सभी भारतियों के खाते में 10000 हज़ार रूपये डाल दें तो प्रशासन सभी भारतीय के खाते में 10000 रूपये डाल देगा उसके लिए प्रधानमंत्री जी को टीवी पर आकर नौटंकी करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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दूसरी और यदि प्रधानमंत्री जी टीवी पर आकर ये बात रोज बोलते रहते है तो भी किसी के बैंक खाते में चवन्नी भी नहीं आएगी राजपत्र (गैजेट) प्रशासन के लिए सीधा भगवान का आदेश होता है जो आपने उपरोक्त उदाहरणों में समझ लिया होगा।
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भारत में राजपत्र (गैजेट) प्रथा सदियों से चल रही है इसका एक उदाहरण BR चोपड़ा की महाभारत के प्रथम भाग में मिलता है जब चक्रवर्ती सम्राट भरत विजय होकर आये तब उन्होंने प्रजातंत्र की नींव रखते हुए एक आदेश प्रकाशित करते हैं की मैं भारद्वाज के पुत्र भुमन्यु को अपना पुत्र मानकर उसे युवराज घोषित करता हूँ।
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मैं सभी कार्यकर्ताओं से निवेदन करूँगा की वे भाषणबाजी पर बिलकुल ध्यान ना दें क्योंकि हमारे नेताओं ने तो इसमे पीएचडी की हुई है व भाषणबाजी में प्रधानमंत्री जी तो एक अच्छे अभिनेता भी हैं वो एक अच्छे ब्रांड एम्बेसडर भी हैं कभी JIO की कभी कैशलेस की ब्रान्डिंग करते नजर आते रहते हैं यदि आप देश में कुछ अच्छे बदलाव चाहते हैं तो ये सोचें कि राजपत्र (गैजेट) में क्या छपवाना है।
अधिकतर अच्छे बदलाव तो राजपत्र (गैजेट) में छपने से ही आ जाएंगे इसके लिए सदन में बहुमत की आवश्यकता नहीं होगी कुछ अच्छे कानूनों के ड्राफ्ट के लिंक नीचे दे रहा हूँ जिनके राजपत्र (गैजेट) में छपने से देश सही दिशा में जाएगा।
कानूनों के ड्राफ्ट https://www.facebook.com/notes/bittoo.jury/88/637686286389672
https://www.facebook.com/bittoo.jury/videos/vb.100004449194200/706783532813280/?type=2&theater&viewas=100001399571208
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राजपत्र (गैजेट) की शक्ति बहुत अधिक है 8 तारीख को अंधभक्तों के प्रभु मोदी जी 8 बजे एक भाषण देते हैं और सुबह तक देश को सड़क पर ला देते हैं ये हम सबने देखा लेकिन ये अर्धसत्य है क्योंकि कुछ दिन बाद एक भाषण अरुण जेटली झाड़ते हैं कि अब शादी वाले परिवार बैंक से ढाई लाख करारे व नए नोट ले सकते हैं लेकिन इस बात पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने अमल नहीं किया (वो बात अलग है कि अब भी गैर जरूरी शर्तों के कारण शादी वाले परिवार को पैसे नहीं मिल रहे)
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अब प्रश्न ये उठता है कि मोदी जी के भाषण ने तो हंगामा मचा दिया अरुण जेटली के भाषण को किसी ने क्यों नहीं माना?
--- इसका कारण ये है कि मोदी ने भाषण बाद में पढ़ा और राजपत्र (गैजेट) में पहले हस्ताक्षर किये जबकि अरुण जेटली जी केवल जुमला छोड़कर चले गए यदि कल प्रधानमंत्री जी राजपत्र (गैजेट) में ये छाप दें कि सभी भारतियों के खाते में 10000 हज़ार रूपये डाल दें तो प्रशासन सभी भारतीय के खाते में 10000 रूपये डाल देगा उसके लिए प्रधानमंत्री जी को टीवी पर आकर नौटंकी करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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दूसरी और यदि प्रधानमंत्री जी टीवी पर आकर ये बात रोज बोलते रहते है तो भी किसी के बैंक खाते में चवन्नी भी नहीं आएगी राजपत्र (गैजेट) प्रशासन के लिए सीधा भगवान का आदेश होता है जो आपने उपरोक्त उदाहरणों में समझ लिया होगा।
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भारत में राजपत्र (गैजेट) प्रथा सदियों से चल रही है इसका एक उदाहरण BR चोपड़ा की महाभारत के प्रथम भाग में मिलता है जब चक्रवर्ती सम्राट भरत विजय होकर आये तब उन्होंने प्रजातंत्र की नींव रखते हुए एक आदेश प्रकाशित करते हैं की मैं भारद्वाज के पुत्र भुमन्यु को अपना पुत्र मानकर उसे युवराज घोषित करता हूँ।
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मैं सभी कार्यकर्ताओं से निवेदन करूँगा की वे भाषणबाजी पर बिलकुल ध्यान ना दें क्योंकि हमारे नेताओं ने तो इसमे पीएचडी की हुई है व भाषणबाजी में प्रधानमंत्री जी तो एक अच्छे अभिनेता भी हैं वो एक अच्छे ब्रांड एम्बेसडर भी हैं कभी JIO की कभी कैशलेस की ब्रान्डिंग करते नजर आते रहते हैं यदि आप देश में कुछ अच्छे बदलाव चाहते हैं तो ये सोचें कि राजपत्र (गैजेट) में क्या छपवाना है।
अधिकतर अच्छे बदलाव तो राजपत्र (गैजेट) में छपने से ही आ जाएंगे इसके लिए सदन में बहुमत की आवश्यकता नहीं होगी कुछ अच्छे कानूनों के ड्राफ्ट के लिंक नीचे दे रहा हूँ जिनके राजपत्र (गैजेट) में छपने से देश सही दिशा में जाएगा।
कानूनों के ड्राफ्ट https://www.facebook.com/notes/bittoo.jury/88/637686286389672
https://www.facebook.com/bittoo.jury/videos/vb.100004449194200/706783532813280/?type=2&theater&viewas=100001399571208
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.