क्या प्लेन क्रैश जैसे कोई दुर्घटना नहीं हुई थी, जिसका सम्बन्ध नेताजी की मृत्यु से जोड़ा जाता है?
क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी और साठ के दशक में वह रूस में रह रहे थे? नेताजी से जुड़ी जिन गोपनीय फाइलों को चंद दिनों पहले सार्वजनिक किया गया है, कम से कम उनसे तो ऐसा ही मालूम होता है। इसके मुताबिक, नेताजी 1968 तक रूस में थे और इस दौरान उन्होंने क्रांतिकारी वीरेंद्रनाथ चटोपाध्याय के बेटे निखिल चटोपाध्याय से मुलाकात की थी।
ये फाइलें गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से सार्वजनिक की गईं। दरअसल, इन फाइलों में एक हलफनामा भी है और इसी में इस बात का दावा किया गया है। यह हलफनामा लेखक और पत्रकार नरेंद्रनाथ सिंदकार का है जो 1966 से 1991 के दौरान रूस की राजधानी मॉस्को में रह रहे थे। उनका दावा है कि चटोपाध्याय और उनकी पत्नी रूस के साइबेरियाई क्षेत्र के शहर ओम्स्क में 1968 में मिले थे।
ये फाइलें गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से सार्वजनिक की गईं। दरअसल, इन फाइलों में एक हलफनामा भी है और इसी में इस बात का दावा किया गया है। यह हलफनामा लेखक और पत्रकार नरेंद्रनाथ सिंदकार का है जो 1966 से 1991 के दौरान रूस की राजधानी मॉस्को में रह रहे थे। उनका दावा है कि चटोपाध्याय और उनकी पत्नी रूस के साइबेरियाई क्षेत्र के शहर ओम्स्क में 1968 में मिले थे।
यह हलफनामा साल 2000 में मुखर्जी कमिशन के पास दाखिल किया गया था। इसमें सिंदकार ने चटोपाध्याय के हवाले से कहा कि बोस इस डर से रूस में छिपे हुए थे कि भारत में उन पर बतौर युद्ध अपराधी मुकदमा चलाया जा सकता है। हलफनामे में कहा गया कि 1966 में वीर सावरकर की मौत के ठीक बाद सिंदकार ने मॉस्को में चटोपाध्याय से मुलाकात की थी। चटोपाध्याय का जन्म रूस में हुआ था और स्टालिन की सरकार ने 1937 में उनके पिता की हत्या कर दी थी।
सिंदकार का हलफनामा WI/411/1/2000 - EE नामक फाइल में है और इसमें कहा गया कि हमारी बातचीत के दौरान उन्होंने जवाहर लाल नेहरू पर आरोप लगाया कि वह नेताजी पर रूस में निर्वासन में रहने का दबाव बना रहे हैं। यह निर्वासन था क्योंकि नेताजी को इस बात का डर था कि नेहरू की वजह से भारत में उन्हें युद्ध अपराधी करार दिया जा सकता है। जब वह मंचूरिया के रास्ते तब के सोवियत संघ में आए तो स्टालिन, मोलोतोव बेरिया और बोर्शिलोव ने भारत के बारे में जानकारी रखने वाले स्कॉलरों से संपर्क किया और उन्होंने स्टालिन को सलाह दी कि वे सोवियत दूतावास के जरिए लंदन में कृष्ण मेनन से संपर्क करें। तब कृष्ण मेनन ने साफ तौर पर नेहरू का पक्ष लिया और स्टालिन को सलाह दी कि वह इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं करें।
सिंदकार ने कहा कि जब चटोपाध्याय ने उन्हें इस बारे में बताया तो वह आश्चर्यचकित रह गए। सिंदकार ने बताया कि चटोपाध्याय ने उनसे वादा किया था कि वह किसी 'कॉमरेड चंद्रन' के जरिए नेताजी के बारे में और जानकारियां साझा करेंगे।
{स्त्रोत : http://liveindia.live/netaji-in-russia-till-1968)
Comments
Post a Comment
कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.