जी एस टी का क़ानून भारत में आने से किस प्रकार छोटे उद्योग धंधे बंद होंगे?
जीएसटी आने से छोटी इकाइया बाजार से बाहर हो जायेगी और बड़ी कम्पनियो को फायदा होगा। इसीलिए सोनिया-मोदी-केजरीवाल तीनो मिलकर जीएसटी का समर्थन कर रहे है।
.
माना कि उत्पादक M, 1000 रूपये का सामान एक ट्रेडर T1 को बेचता है।
.
ट्रेडर T1 यही सामान ट्रेडर T2 को 1020 में बेचता है।
.
अब ट्रेडर T2 यह सामान ट्रेडर T3 को 1050 रू में बेचता है।
.
माना कि मोदी साहेब के जीएसटी की दर यदि 20% है तो
.
बिलिंग इस प्रकार से होगी
.
M का T1 को बिल
विक्रय मूल्य - 1000 रू
जीएसटी - 200 रू
कुल देय राशि - 1200 रू
अत: M सरकार को जीएसटी के 200 रू चुकाएगा
.
T1 का T2 को बिल
विक्रय मूल्य - 1020 रू
जीएसटी - 204 रू
कुल देय राशि - 1224 रू
इस स्थिति में T1 सरकार को जीएसटी के 204 - 200 = 4 रूपये चुकाने होंगे।
.
T2 का T3 को बिल
विक्रय मूल्य - 1050 रू
जीएसटी - 210 रू
कुल देय राशि - 1260 रू
अत: T2 सरकार को जीएसटी के 210 - 204 = 6 रू चुकाएगा
.
अब मान लीजिये कि M जीएसटी के 200 रूपये सरकार को चुकाता है
.
लेकिन T1 जीएसटी नहीं चुकाता और फरार हो जाता है।
.
तब जीएसटी क़ानून के अनुसार T2 को जीएसटी के पूरे 210 रूपये सरकार को चुकाने होंगे !!! उसे उस राशि में छूट नहीं मिलेगी जो राशि M ने T1 से ली थी।
.
==========
.
कैसे यह क़ानून बड़े उत्पादकों और बड़े ट्रेडर्स को गलत फायदा पहुंचाएगा और छोटे उत्पादको और ट्रेडर्स को बाजार से बाहर कर देगा ?
.
मान लीजिये कि बाजार में 10 बड़े उत्पादक या ट्रेडर्स L1, L2,…… L10 है।
.
और 1000 छोटे ट्रेडर्स S1, S2,…S1000 है।
.
ऐसी स्थिति में L1 से L10 तक कोई भी उत्पादक या ट्रेडर फरार नही होगा, क्योंकि उनके पास काफी फैली हुयी और प्रचुर संपत्तियां होती है। तथा घाटे की स्थिति में वे अकार्यशील सम्पत्तियो के विवरण देकर खुले आम कर चोरी की कानूनी व्यवस्था बना लेते है और भागने की नौबत नहीं आती।
.
लेकिन ज्यादातर संभावना है कि इन 1000 छोटे (S1000) में से 1% ट्रेडर धोखाधड़ी या घाटा खाने के कारण कर चोरी करेंगे और फरार हो जायेगे।
.
ऐसा होने पर शेष 990 ईमानदार छोटे ट्रेडर्स को भी संदेह की नजरो से देखा जाएगा, और जोखिम के चलते व्यापारी उंसके साथ धंधा करने से घबराएंगे।
.
अत: इस क़ानून के चलते सिर्फ 1% बेईमानो के कारण 99% ईमानदार व्यापारी अपना व्यापार खो देंगे !!!
.
==========
.
दूसरे शब्दों में सोनिया-मोदी-केजरीवाल द्वारा प्रस्तावित जीएसटी मास्टर स्ट्रोक है, जो छोटे व्यापारियों का धंधा खींचकर बड़े व्यापारियों को दे देगा।
.
मेरे द्वारा प्रस्तावित समाधान यह है कि जीएसटी/वैट/एक्साइज़/ सर्विस टैक्स को समाप्त किया जाए और संपत्ति कर को लागू किया जाए।
.
संपत्ति कर का प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : tinyurl.com/ SampattiKarBharat
.इस क़ानून को भारत में लाने के लिए आप अपना मात्र एक सन्देश अपने नेताओं, मंत्रियों, विधायकों, प्रधामंत्री, राष्ट्रपति को sms, ट्विटर, पोस्टकार्ड, ईमेल इत्यादि माध्यमों द्वारा भेज सकते हैं, जो पूर्णतया सांवैधानिक है. क्योंकि यह अधिकार भारत के संसदीय गणतंत्र होने से यहाँ के नागरिकों को स्वतः ही प्राप्त है.
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
------->
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको संपत्ति कर का प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : tinyurl.com/ SampattiKarBharat में दिए गए ड्राफ्ट को क़ानून का रूप देने के लिए राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित करें, और इसे क़ानून के रूप में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz | और कृपयाsmstoneta.com जैसे पब्लिक एस.एम.एस. सर्वर बनाएँ ताकि नागरिकों की एस.एम्.एस राय उनके वोटर आई.डी. के साथ सभी को दिखे "
.<---------
.
जय हिन्द.
.
माना कि उत्पादक M, 1000 रूपये का सामान एक ट्रेडर T1 को बेचता है।
.
ट्रेडर T1 यही सामान ट्रेडर T2 को 1020 में बेचता है।
.
अब ट्रेडर T2 यह सामान ट्रेडर T3 को 1050 रू में बेचता है।
.
माना कि मोदी साहेब के जीएसटी की दर यदि 20% है तो
.
बिलिंग इस प्रकार से होगी
.
M का T1 को बिल
विक्रय मूल्य - 1000 रू
जीएसटी - 200 रू
कुल देय राशि - 1200 रू
अत: M सरकार को जीएसटी के 200 रू चुकाएगा
.
T1 का T2 को बिल
विक्रय मूल्य - 1020 रू
जीएसटी - 204 रू
कुल देय राशि - 1224 रू
इस स्थिति में T1 सरकार को जीएसटी के 204 - 200 = 4 रूपये चुकाने होंगे।
.
T2 का T3 को बिल
विक्रय मूल्य - 1050 रू
जीएसटी - 210 रू
कुल देय राशि - 1260 रू
अत: T2 सरकार को जीएसटी के 210 - 204 = 6 रू चुकाएगा
.
अब मान लीजिये कि M जीएसटी के 200 रूपये सरकार को चुकाता है
.
लेकिन T1 जीएसटी नहीं चुकाता और फरार हो जाता है।
.
तब जीएसटी क़ानून के अनुसार T2 को जीएसटी के पूरे 210 रूपये सरकार को चुकाने होंगे !!! उसे उस राशि में छूट नहीं मिलेगी जो राशि M ने T1 से ली थी।
.
==========
.
कैसे यह क़ानून बड़े उत्पादकों और बड़े ट्रेडर्स को गलत फायदा पहुंचाएगा और छोटे उत्पादको और ट्रेडर्स को बाजार से बाहर कर देगा ?
.
मान लीजिये कि बाजार में 10 बड़े उत्पादक या ट्रेडर्स L1, L2,…… L10 है।
.
और 1000 छोटे ट्रेडर्स S1, S2,…S1000 है।
.
ऐसी स्थिति में L1 से L10 तक कोई भी उत्पादक या ट्रेडर फरार नही होगा, क्योंकि उनके पास काफी फैली हुयी और प्रचुर संपत्तियां होती है। तथा घाटे की स्थिति में वे अकार्यशील सम्पत्तियो के विवरण देकर खुले आम कर चोरी की कानूनी व्यवस्था बना लेते है और भागने की नौबत नहीं आती।
.
लेकिन ज्यादातर संभावना है कि इन 1000 छोटे (S1000) में से 1% ट्रेडर धोखाधड़ी या घाटा खाने के कारण कर चोरी करेंगे और फरार हो जायेगे।
.
ऐसा होने पर शेष 990 ईमानदार छोटे ट्रेडर्स को भी संदेह की नजरो से देखा जाएगा, और जोखिम के चलते व्यापारी उंसके साथ धंधा करने से घबराएंगे।
.
अत: इस क़ानून के चलते सिर्फ 1% बेईमानो के कारण 99% ईमानदार व्यापारी अपना व्यापार खो देंगे !!!
.
==========
.
दूसरे शब्दों में सोनिया-मोदी-केजरीवाल द्वारा प्रस्तावित जीएसटी मास्टर स्ट्रोक है, जो छोटे व्यापारियों का धंधा खींचकर बड़े व्यापारियों को दे देगा।
.
मेरे द्वारा प्रस्तावित समाधान यह है कि जीएसटी/वैट/एक्साइज़/
.
संपत्ति कर का प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : tinyurl.com/
.इस क़ानून को भारत में लाने के लिए आप अपना मात्र एक सन्देश अपने नेताओं, मंत्रियों, विधायकों, प्रधामंत्री, राष्ट्रपति को sms, ट्विटर, पोस्टकार्ड, ईमेल इत्यादि माध्यमों द्वारा भेज सकते हैं, जो पूर्णतया सांवैधानिक है. क्योंकि यह अधिकार भारत के संसदीय गणतंत्र होने से यहाँ के नागरिकों को स्वतः ही प्राप्त है.
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
------->
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको संपत्ति कर का प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : tinyurl.com/
.<---------
.
जय हिन्द.
Comments
Post a Comment
कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.