आरक्षण व्यवस्था हमारे देश से प्रतिभा पलायन में सहायक है?

क्या आरक्षण व्यवस्था हमारे देश से प्रतिभा पलायन को सहायता कर रही है ? शायद हाँ..
आरक्षण से दुष्परिणाम ये है कि जो देश का प्रतिभावान युवा होता है वो कहीं बहुत पीछे छूट जाता है और आरक्षण की मार में मारा जाता है l ऐसे लोग जो तीक्ष्ण बुद्धि वाले है और जिनके अंदर प्रतिभा कूट कूटकर भरी है उन लोगो की प्रतिभा का फायदा विदेशी कम्पनियां लेती है l आरक्षण समाज में एक ऐसा अभिशाप है जो दिन पे दिन और भी घातक सिद्ध होता जा रहा है l
क्योंकि अमेरिका जर्मनी कनाडा जैसे एवं अन्य शक्तिशाली देश अपने यहाँ विदेशों से आने वाली प्रतिभाओं को कई तरह की आर्थिक सहायता देकर अपने यहाँ कम खर्च में ही अत्याधुनिक शिक्षा उपलब्ध करवाते है.
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उन देशों में पढाई के लिए एडमिशन की तैयारी कर अच्छे मार्क्स लाना कोई आई.ए.एस. प्रिपरेशन जितना क
ठिन कार्य नहीं है, वहां के प्रोफेसर्स भी इतना सहयोगात्मक रवैया अपने छात्रों के प्रति रखते हैं, की भारत के वातावरण में वो सब सोचने का मतलब मरुस्थल में जल ढूँढने जैसा ही है और वहां नौकरी पाना भारत में नौकरी पाने जितना कठिन नहीं है.
हाँ, लेकिन एक अन्य बात जो किसी किसी विद्यार्थी के लिए रोड़ा बनती हैं, वो ये है कि कुछ प्रतिभावान समर्थ लोग भारत छोड़कर इसीलिए नहीं जा पाते क्योंकि उनके साथ परिवार की अन्य अकान्छाएं या मजबूरी जुडी होतीं है, खैर.. .
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UPSC के फाइनल रिजल्ट के बाद से सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है अंकित श्रीवास्तव की |
अंकित श्रीवास्तव और अभी हाल ही में UPSC टॉपर टीना डाबी ने 2015 में परीक्षा दी थी लेकिन अंकित इसमें असफल रहे |
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टीना डाबी के परिणाम के बाद अंकित श्रीवास्तव ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ''टीना का CSP 2015 का स्कोर 96.66 हैं और मेरा 103.5 और इतना ही नही पेपर 2 में मेरे 127.5 अंक है जबकि टीना के 98.7 |" अंकित लिखते हैं मैंने टीना से 35 अंक ज्यादा प्राप्त किये हैं | अंकित आगे लिखते हैं, 'आरक्षण व्यवस्था की महिमा कितनी चमत्कारी है इसका एहसास आज हुआ | याद रहे टीना किसी वंचित तबके से सम्बन्ध नहीं रखती हैं | उनके माता पिता दोनों इंजीरियंग सेवा में अधिकारी रहे हैं और वह हम जैसों की तरह सम्पन्न मध्यम परिवार से आती हैं |'
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अंकित लिखते हैं वो टीना के प्रयासों की प्रशंसा करते हैं परन्तु एक प्रश्न यह भी निसंदेह उतना ही महत्वपूर्ण है की मेरे जैसे सैकड़ो निहायत ही क्षमतावान और समर्पित नौजवान, जो अपनी बड़ी-2 नौकरियां ठुकरा कर अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिनों के रोज 12-14 घंटे सिर्फ पढाई करते हैं, वो आज किसके द्वारा किये गए अन्यायों का दंश झेल रहे हैं? क्या आरक्षण व्यवस्था का पुनरावलोकन करने और उसे वर्तमान जातिगत व्यवस्था से अलग कर 'वास्तविक आर्थिक और सामजिक पिछड़ेपन' से सम्बद्ध करने का राजनैतिक साहस किसी में नहीं है?
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अंकित श्रीवास्तव ने अपनी इस पोस्ट में रोल नम्बर के साथ टीना और अपनी मार्कशीट को संलग्न किया | 17 मई को की गयी इस पोस्ट को अब तक 8000 शेयर और और 5000 लाईक्स मिल चुके हैं और इनकी संख्या लगातार बढती जा रही है |
जनता को सरकार से डिमांड करना चाहिए की आरक्षण का लाभ अधिकतम एक पीढ़ी को ही मिले, इससे अधिक नहीं. ये डिमांड आप अपने नेताओं से पोस्टकार्ड, ईमेल , sms एवं अन्य संचार माध्यमों से कर सकते हैं.
इस क़ानून को हटाने के लिए http://www.tinyurl.com/AarakshanGhatao के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने की मांग अपने नेताओं, विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, प्रधामंत्री/ राष्ट्रपति से करें. ये डिमांड एक संविधानिक आदेश है जो प्रत्येक नागरिक को अपने नेताओंसे करनी ही चाहिए.
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हमारी समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए जो भी क़ानून वर्तमान तौर पर मौजूद हैं, उन सभी में ऐसे ऐसे लूप-होल्स हैं, जिनसे वास्तविक पीडीत को लाभ कम मामलों में ही मिल पाता है, सभी जरूरत-मंद लोगों की समस्याओं के स्थायी निराकरण के लिए सम्बद्न्हित क़ानून को बदल कर उनके बदले में सुधारात्मक क़ानून को लाये जाने की जरूरत है, जिसके लिए जनांदोलन चलाये जाने की जरूरत है.
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जनता को ऐसे लोगों को अपने वोटों से चुनकर कुर्सी पर बैठाने का ही अधिकार नहीं, बल्कि भ्रष्ट बयान देने वालों को उनके कुर्सी से निकालने का भी अधिकार होना चाहिए. हमे नेता द्वारा पास किये जा रहे कानूनों पर ध्यान देना चाहिए, यदि वो अच्छे क़ानून बनाता है तो समर्थन करे, और बुरे कानूनों की आलोचना करे । इससे नेता पर अच्छे कानूनों को पास करने का दबाव बना रहता है। मूल विषयों पर ध्यान बनाए रखे
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समस्या के निवारण के लिए यहाँ के नागरिकों को अपने नेताओं/मंत्रियों/संसदीय क्षेत्र के नेता लोगों और संसद में बैठे नेता लोगों को अपना आदेश इस तरह से भेजना चाहिए की
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री/मंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको, ये आदेश देता/ती हूँ कि आरक्षण को कम करके जनता को जाति के आधार पर न बांटकर उन्हें सामान स्तर पर लाने वाले इस क़ानून http://www.tinyurl.com/AarakshanGhatao को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दें, अन्यथा मैं आपको वोट नहीं दूंगा/दूँगी. वोटर संख्या- xyz. "
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अन्य आवश्यक सुधारात्मक ड्राफ्ट्स जिसको लाकर हमारे कोर्ट सिस्टम में न्याय मिलना त्वरित एवं अत्यंत कम खर्चे में हो सकता है, स्पेशल इकनोमिक जोन में मारीशस रूट एवं अन्य कंपनियों को जो फायदे मिल रहे हैं को कैसे समाप्त किया जासकता है, बलात्कार जैसी दुर्घटनाओं को कम कैसे किया जा सकता है, और न्याय कैसे आसान हो सकता है, के लिए हम भारतीय लोग कैसे सुधारात्मक क़ानून का दर्जा दिलवा सकते हैं, इसके लिए कृपया-
https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1022208611205461:0
यह लिंक पढ़ें, और अगर आपको इन कानूनों को लाने में रूचि हो तो उस ड्राफ्ट के लिंक में दिए ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप देने की मांग अपने नेताओं से करें.
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Take the example of Kuldeep Dwivedi. He is a Brahmin by caste and hence can’t be privileged to get age relaxation, more number of attempts, concession in fees and above all low minimum qualifying marks – cut off. But, why should one choose Kuldeep Dwivedi who got 242 All India Rank? Is it fair to compare AIR 1 to AIR 242
The comparison becomes necessary to focus on economic background. Kuldeep’s father is a security guard working with Lucknow University. If you are thinking that he is having a government job then you are wrong. Surya Kant Dwivedi, the father of Kuldeep, is working for SIS Securities which has a contract with Lucknow University and hence he drew salary from SIS. Before joining SIS, he paid Rs. 1200 to the company as a security for dress. Being an upper caste, he can’t claim any social security. He doesn’t hold any ‘red card’ for PDS. He is not considered Below Poverty Line, because this line is factually incorrect and a person earning Rs. 8000 per month can't be under BPL category, but that can be easily gotten by someone belonging to so-called low caste.
Tina's father is General Manager with BSNL. Her mother is also an IES. She had always lived in Delhi without any overt or covert economic issues or even social issues.
Who should be your role model – Kuldeep with 242 rank in 3rd attempt or Tina with 1st Rank in her 1st attempt?
Kuldeep Dwivedi has fetched far much more marks than Tina Dabi in Civil Services Prelims. He had to devote time for Prelims, while Tina started Mains preparation directly.
Tina is just an example. There is no denying that she is an inspiration for all young girls of India. But, she is a way to show how Reservation system is being exploited by top layer of the social strata in a particular category. Children of IAS officers of SC category are easily cracking Civil Services Examination or IIT JEE and CAT, among other prestigious competitive exams. While dalits living in village are unable to cope up with new competition that even they are seeing in their category. It is not about Tina Dabi, it is about other SC candidates who could have ‘rightfully’ used the reservation policy.
जय हिन्द.

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