क्या यहाँ कोई हथियार-बंद भारतीय समाज की उपयोगिता को समझने वाला है?

सोचिए, यदि देश में प्रत्येक नागरिक के पास हथियार होते तो देश के हालात कैसे होते? कोई कह सकता हैं कि अपराध अधिक होते। नहीं। यदि सभी के पास हथियार होते तो बलात्कार, चोरी, डकैती, लूटमार, आदि बेहद कम होते क्योंकि हर अपराधी को आम नागरिक के पास रखी पिस्टल का भय रहता। यदि हर माता-बहन के पास हथियार होता तो देश की बेटी‪#‎दामिनि‬ के साथ दिल्ली में दुष्कर्म न हुआ होता। 
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26/11 में ‪#‎कसाब‬ और उसके साथी जब रेलवे स्टेशन और रेस्टोरेंट में अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे तो भारत के सैकड़ो लोग मारे गए, यदि उन लोगो के पास हथियार होते तो कसाब और उसके साथी वहीं पर ढ़ेर कर दिये जाते और देश के बहादुर जवानों को अपनी शहादत न देनी पड़ती। यदि देश के आम ग्रामिणों को हथियार दे दिये जाते तो कर्जदारों के गुंडो से डरकर‪#‎किसान‬ आत्महत्या न करता, कश्मीर के पण्डितों को अपने ही घर छोड़कर भागना न पड़ता।
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‪#‎काँग्रेस_सरकार‬ के समय ऐसी खबरे आम थी कि सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी फौज घुसपैठ करती हैं और आम भारतीय नागरिको को परेशान करती हैं।
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स्वयं से प्रश्न करें कि क्या चीनी फौज तब भी ऐसा कर सकती थी जब भारत के उन ग्रामिणों के पास आत्मरक्षा हेतु हथियार होते?
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अन्त में एक प्रश्न और यदि आपके अथवा मेरे घर में रात के समय कोई चोर अथवा हत्यारा प्रवेश कर जाये तो क्या हम उसके धार-धार हथियारों का सामना कर सकेंगे और क्या हम अपनी आत्मरक्षा कर सकेंगे?
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प्रश्न कई हैं और उनका उत्तर सिर्फ एक कि संकीर्ण मानसिकता छोड़कर हमें ऐसे कानून का समर्थन करना चाहिए जिसके अन्तर्गत आम भारतीय नागरिक को हथियार रखने का अधिकार मिलें।
विचार करें.....
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जब स्वतन्त्र भारत में अंग्रेजों से पूछा गया कि उन्होंने भारत क्यों छोड़ा? तो उनके जिह्वा पर एक ही नाम आया - ‪#‎सुभाष_चन्द्र_बोस‬। ‪#‎नेताजी‬ सुभाष चन्द्र बोस ने भी 19 जनवरी 1933 में लंडन (ब्रिटेन) में प्रसिडेंसी सम्बोधन में कहा था कि 'आज यह कहना सम्भव नहीं है कि हमें हमारा सम्विधान कब मिलेगा, परन्तु जब संविधान मिलेगा तो इसमें सन्देह नहीं है कि देश के नागरिक हथियार रखने की माँग अवश्य करेंगे।' जो नेताजी भारत की स्वतन्त्रता के लिए वर्षों तक संघर्ष करते रहें और करोड़ो भारतीयों को जिन्होंने स्वतन्त्र संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया वह नेताजी यदि भारतीयों के पास हथियार रखने का समर्थन करते थे तो अवश्य ही कुछ सकारात्मक सोच रही होगी उनकी।
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शहीद-ए-आज़म ‪#‎भगत_सिंह‬, अमर शहीद ‪#‎चन्द्रशेखर_आजाद‬‪#‎अश्फाक_उल्लाह‬ खान,‪#‎बिस्मिल_साहब‬ जैसे सैकड़ो क्रान्तिकारी थे जो शस्त्रों का समर्थन करते थे, यहाँ तक कि अपने कुछ भाषणों में महात्मा गाँधी और सरदार पटेल ने भी आम आदमी को हथियार रखने की छूट का समर्थन किया था। खैर, आजादी को 68 वर्ष से अधिक हो गए परन्तु आज भी अंग्रेजो का बनाया लाइसेंसींग ऑफ आर्म्स एक्ट 1857 देश में चल रहा हैं, जिसे हटाने की माँग कोई नहीं करता।
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