मेक इन इण्डिया तो पिछले 25 सालो से चल रहा है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय कम्पनियां पिछड़ी हुयी है क्यों?
मेक इन इण्डिया तो पिछले 25 सालो से चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद भारतीय कम्पनियां पिछड़ी हुयी है, और न ही तकनीक हस्तांतरण के समझौतों के बावजूद उन्हें आधुनिक तकनीक हस्तांतरित हुयी है।
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१. भारत सरकार ने 1982 में 'मारुती उद्योग' नामक कम्पनी खोली थी। तकनीकी सहयोग लेने के लिए इस कम्पनी का गठबंधन जापान की सुजुकी से हुआ। नयी कम्पनी 'मारुती सुजुकी' में सुजुकी का हिस्सा तब 26% था। 1987 में यह बढ़कर 40%, 1991 में बढ़कर 56% हुआ। 2008 में भारत सरकार ने अपना पूरा हिस्सा बेच दिया। आज मारुती सुजुकी पर पूर्ण रूप से सुजुकी का नियंत्रण है। सुजुकी से टाई-अप तकनीक लेने की लिए किया गया था। लेकिन जिस मारुती को सुजुकी से तकनीक लेनी थी सुजुकी उस मारुती को ही निगल गयी।
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सुजुकी भारत में पिछले 40 साल से काम कर रही है। लेकिन अब तक अन्य कोई भी भारतीय कम्पनी सुजुकी को टक्कर देने वाले प्रोडक्ट क्यों नहीं बना पायी है। भारत की कम्पनियों को सुजुकी की तकनीक हस्तांतरित क्यों नहीं हो पायी ?
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2. कुछ 25 साल पहले हीरो का गठबंधन होंडा के साथ और टीवीएस का गठबंधन सुजुकी के साथ हुआ था। गठबंधन की शर्तों में तकनीकी हस्तांतरण को भी शामिल किया गया था।
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जब करार की अवधि खत्म हो गयी तो कुछ साल पहले होंडा हीरो से और सुजुकी टीवीएस से अलग हो गये। जब तक ये कम्पनियां साथ काम कर रही थी, तब तक हौंडा और सुजुकी ने हीरो व टीवीएस के साथ मिलकर सिर्फ मोटर साइकिले ही बनायी। लेकिन जैसे ही ये कम्पनियां भारतीय कम्पनियो से अलग हुयी इन्होने 'मोपेड स्कूटर' लॉन्च किये। होंडा ने एक्टिवा और सुजुकी ने एक्सेस बाजार में उतारा।
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हीरो और टीवीएस लगभग दशक बीतने के बावजूद अब तक इनकी टक्कर में कोई मोपेड-स्कूटर क्यों नहीं उतार सके है ?
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ऑटोमोबाइल बाजार इतना बढ़ने के बावजूद भारत की अन्य ऑटोमोबाइल कम्पनियां क्यों ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विकास नहीं कर पायी ?
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१. भारत सरकार ने 1982 में 'मारुती उद्योग' नामक कम्पनी खोली थी। तकनीकी सहयोग लेने के लिए इस कम्पनी का गठबंधन जापान की सुजुकी से हुआ। नयी कम्पनी 'मारुती सुजुकी' में सुजुकी का हिस्सा तब 26% था। 1987 में यह बढ़कर 40%, 1991 में बढ़कर 56% हुआ। 2008 में भारत सरकार ने अपना पूरा हिस्सा बेच दिया। आज मारुती सुजुकी पर पूर्ण रूप से सुजुकी का नियंत्रण है। सुजुकी से टाई-अप तकनीक लेने की लिए किया गया था। लेकिन जिस मारुती को सुजुकी से तकनीक लेनी थी सुजुकी उस मारुती को ही निगल गयी।
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सुजुकी भारत में पिछले 40 साल से काम कर रही है। लेकिन अब तक अन्य कोई भी भारतीय कम्पनी सुजुकी को टक्कर देने वाले प्रोडक्ट क्यों नहीं बना पायी है। भारत की कम्पनियों को सुजुकी की तकनीक हस्तांतरित क्यों नहीं हो पायी ?
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2. कुछ 25 साल पहले हीरो का गठबंधन होंडा के साथ और टीवीएस का गठबंधन सुजुकी के साथ हुआ था। गठबंधन की शर्तों में तकनीकी हस्तांतरण को भी शामिल किया गया था।
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जब करार की अवधि खत्म हो गयी तो कुछ साल पहले होंडा हीरो से और सुजुकी टीवीएस से अलग हो गये। जब तक ये कम्पनियां साथ काम कर रही थी, तब तक हौंडा और सुजुकी ने हीरो व टीवीएस के साथ मिलकर सिर्फ मोटर साइकिले ही बनायी। लेकिन जैसे ही ये कम्पनियां भारतीय कम्पनियो से अलग हुयी इन्होने 'मोपेड स्कूटर' लॉन्च किये। होंडा ने एक्टिवा और सुजुकी ने एक्सेस बाजार में उतारा।
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हीरो और टीवीएस लगभग दशक बीतने के बावजूद अब तक इनकी टक्कर में कोई मोपेड-स्कूटर क्यों नहीं उतार सके है ?
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ऑटोमोबाइल बाजार इतना बढ़ने के बावजूद भारत की अन्य ऑटोमोबाइल कम्पनियां क्यों ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विकास नहीं कर पायी ?
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.