58 प्रकार के पाप
58 प्रकार के पाप - इसी महादु:खदायी दक्षिण मार्ग में वैतरणी नदी है, उसमें जो पापी पुरुष जाते हैं, उन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ – 1.जो ब्राह्मणों की हत्या करने वाले, 2. सुरापान करने वाले, 3.गोघाती, 4.बाल हत्यारे, 5.स्त्री की हत्या करने वाले, 6.गर्भपात करने वाले और 7.गुप्तरूप से पाप ( पराई नार का संसर्ग ) करने वाले हैं, 8.जो गुरु के धन को हरण करने वाले, 9.देवता, संत अथवा ब्राह्मण का धन हरण करने वाले, स्त्रीद्रव्यहारी, 10.बालद्रव्यहारी हैं, 11.जो ऋण लेकर उसे न लौटानेवाले, 12.धरोहर का अपहरण करने वाले, 13. विश्वासघात करने वाले, 14.विषान्न देकर मार डालने वाले, 15. दूसरे के दोष को ग्रहण करने वाले, 16.गुणों की प्रशंसा ना करने वाले, 17.गुणवानों के साथ डाह रखने वाले, 18.नीचों के साथ अनुराग रखने वाले, 19. मूढ़, 20.सत्संगति से दूर रहने वाले हैं, 21.जो तीर्थों, सज्जनों, सत्कर्मों, गुरुजनों और देवताओं की निन्दा करने वाले हैं, 22. पुराण, वेद, मीमांसा, न्याय और वेदान्त को दूषित करने वाले हैं ( अपना सांप्रदायिक मत सौंप देते है मिक्स करके ) 23. दु:खी व्यक्ति को देखकर प्रसन्न होने वाले, 24. प्रसन्न को