जोशीमठ के भूस्खलन-धंसाव व घरों मकानों पर दरार


जोशीमठ के भू स्खलन  भू धंसाव व घरों मकानों पर पड़ रही दरारों को लेकर सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों की कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है । रिपोर्ट में बहुत से कारकों को इसके लिए जिम्मेदार बताया है जिनमें नदी के कटाव, पानी निकासी, सीवेज की व्यवस्थित निकासी न होने, अत्यधिक निर्माण के चलते भूमि पर दबाब आदि को चिन्हित किया है । 
किन्तु विऐज्ञानिकों विशेषज्ञों की इस कमेटी ने जोशीमठ के ठीक नीचे से गुजर रही तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग को इन कारकों में चिन्हित नहीं किया है । जबकि इससे पूर्व हमारे आग्रह पर स्वतंत्र वैज्ञानिकों की एक टीम ने एनटीपीसी की इस सुरंग को भी भूस्खलन के कारण के रूप में चिन्हित किया था । 
रोचक तथ्य है कि सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों की कमेटी के अध्यक्ष व प्रमुख भूगर्भ वैज्ञानिक आपदा प्रबन्धन विभाग के निदेशक डॉ पियुष रौतेला व अन्य भूगर्भ शास्त्री डॉ एम पी एस बिष्ट के साइंस जनरल में छपे शोध पत्र में एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही विद्युत परियोजना की इस सुरंग से जोशीमठ में भू स्खलन होने की संभावना व्यक्त की गई है । 12 वर्ष पूर्व छपे शोधपत्र में जिस सुरंग को डॉ पियुष रौतेला ने जोशीमठ नगर के पेयजल स्रोतों के लिए व भू स्खलन के लिए जिम्मेदार माना है, साथ ही कहा है कि इस नाजुक क्षेत्र में , भूस्खलन  व अन्य दृष्टियों से संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की सुरंगों का निर्माण   करना समझदारी  नहीं है ।वे लिख रहे हैं कि ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसा उत्खनन कम्पनी की तरफ से घनघोर लापरवाही का उदाहरण है ।
2010 -11 में जिस सुरंग पर पूरा शोध पत्र लिख कर उसे इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा बताया 12 साल बाद उन्हीं वैज्ञानिक ने अपनी रिपोर्ट में उसका उल्लेख करना तक गवारा न किया । क्या कोई दबाब के कारण या इस बीच सुरंग का चरित्र व्यवहार बदल गया ?  
क्योंकि यदि आप किसी समस्या की सही वजह चिन्हित नहीं करेंगे तो उसके सही सटीक समाधान भी नहीं दे पाएंगे । आप समस्या की वजह ही छुपा देंगे तो समाधान को भी छुपाना पड़ेगा । यदि समस्या बताने में ईमानदारी नहीं बरतेंगे तो आपसे ईमानदार समाधान की भी उम्मीद नहीं कि जा सकती । आप ही अपने शोध पत्र में, जो कि एक प्रतिष्ठित जनरल में छपा है, वर्षों पूर्व विभिन्न तथ्यों की रौशनी में एक शोधपरक बात कह रहे हैं । उसकी कोई मान्यता होगी । और अब जब आपके लगाए अनुमान सही साबित हो रहे हैं तो आपने उन पूर्वानुमान का जिक्र करना तो दूर उन अनुमान के आधार का जिक्र करना भी उचित नहीं समझा । 
सरकार द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट में इस तथ्य की अनदेखी इस रिपोर्ट पर गम्भीर सवाल खड़े करती है ।

आपदा निवारण एवं प्रबंधन से जुड़े स्वतंत्र वैज्ञानिकों के समूह "रिस्क प्रिवेंशन  मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट  फोरम" की ताजा रिपोर्ट में भी सुरंग निर्माण को भूस्खलन के लिए जिम्मेदार एक कारक के तौर पर चिन्हित किया है ।

Comments

Popular posts from this blog

चक्रवर्ती योग :--

जोधाबाई के काल्पनिक होने का पारसी प्रमाण:

द्वापर युग में महिलाएं सेनापति तक का दायित्त्व सभाल सकती थीं. जिसकी कल्पना करना आज करोड़ों प्रश्न उत्पन्न करता है. .

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

ब्राह्मण का पतन और उत्थान

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में पुरुष का अर्थ

महारानी पद्मावती की ऐतिहासिकता के प्रमाण

श्रीराधातत्त्वविमर्श

प्रायोजित दंगे, देश का बंटाधार युक्त भविष्य और समाधान

भविष्य पुराण में महा-मद नाम के व्यक्ति के बारे में कुछ बताया है !! पैशाचिक धर्म की स्थापना या धर्म की स्थापना?