रोहिंग्याओं का इतिहास – हत्यारों व आतंकियों को शरण देने का सिलसिला तो पच्चीस साल चल ही रहा है
निहत्थे लोगों को मार डालने का सिलसिला चल निकला है. हत्यारों व आतंकियों को शरण देने का सिलसिला तो पच्चीस साल चल ही रहा है. — रोहिंग्याओं का इतिहास : . सच्चाई यह है कि “रोहिंग्या” शब्द का व्यवहार वास्तव में बर्मा की स्वतन्त्रता के पश्चात 1950 के दशक में ही आरम्भ हुआ जिससे पहले उन्हें प्रवासी बंगाली (बांग्लादेशी) कहा जाता था, जब रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय ने बर्मा की केन्द्रीय सत्ता के विरुद्ध स ्वायत्तशासी क्षेत्र बनाने के लिए सशस्त्र संघर्ष आरम्भ किया | इस सशस्त्र संघर्ष का बीजारोपण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही हुआ था, जब ब्रिटिश शोषण से भड़के हुए बर्मा के बहुमत बौद्ध समुदाय और प्रवासी भारतीय हिन्दुओं ने आजाद हिंद फौज और जापानी सेना को समर्थन दिया तो उसकी काट में अंग्रेजों ने अराकान प्रान्त के प्रवासी बंगाली (बांग्लादेशी) मुस्लिमों को हथियार देना आरम्भ किया | किन्तु 1942 में उन हथियारों का इस्तेमाल रोहिंग्या मुस्लिमों ने जापानियों के विरुद्ध नहीं किया, बल्कि स्थानीय बर्मी बौद्धों और हिन्दुओं पर आक्रमण कर दिया और 20 हज़ार निर्दोष नागरिकों का सामूहिक नरसंहार कर दिया | प्रत्युत्तर में...