क्या २०३० में सत्ययुग आएगा? श्री मदभागवद महापुराण क्या कहता है?


◆सत्ययुग का प्रारंभ कब होता है? क्या २०३० में या इसके आसपास सत्ययुग आएगा, जैसा की कुछ विद्वतजनो का मत है ? सत्ययुग आता कब है? ग्रहों की क्या स्थिति होती है उस समय? कुछ वैज्ञानिक समुदाय ये घोषणा करते हैं, कि प्रलय आने वाला है, क्या ये काल-गणना के हिसाब से वर्तमान कलयुग के लिए सच है? नहीं, बिलकुल नहीं !!

ये वैज्ञानिक लोग झूठ बोल रहे हैं, बल्कि ये कहें कि ये लोग एक समस्त मानव-समुदाय को किसी मशीनी दुर्घटना द्वारा नष्ट कर, एक नयी प्रकाती कि बेमारी एवं अत्यंत नीच राजनीति तथा अर्थ-पिशाचों के मतलब के लिए किये जाने वाले एक सुनियोजित छल है, न कि किसी किस्म का प्रलय आएगा अभी !!.
◆अब देखिये कि सत्ययुग कब आता है? 
जिस समय सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करके एक राशि पर आते हैं, उसी समय सत्ययुग का प्रारंभ होता है.
ये स्थिति नक्षत्र मंडल में बनने के लिए काफी समय लगता है. कोई हजार वर्षों में नहीं होता है. काफी रेयर केस है...
◆अतः जैसा कि दुष्ट एवं स्वार्थी व लुटेरों के रूप में राजनेताओं का भेष धरकर घूमने वाले मनुष्य अपनी पॉलिटिक्स एवं एवं कुछ तकनीकी द्वारा प्रचारित किया जा रहा है, कि अभी सत्ययुग सन २०२५ में या २०३० में आएगा, ये बात बिलकुल झूठ है. 
और जो साधू भी ये कहते पाए जा रहे हैं, उन्हें भी बिकाऊ मीडिया द्वारा ब्रेनवाश हो गया है..
मैंने ग्रहों की उपरोक्त स्थिति श्रीमद भागवत महापुराण के द्वादश स्कंध के द्वितीय अध्याय ले चौबीसवे श्लोक से कही है. कोई साधारण ज्योतिषी, उपरोक्त ग्रहों नक्षत्रों की स्थिति के आने के विषय में गणना कर सकता है. काफी रेयर केस है.
कृष्ण भगवान् के इस धरा से प्रस्थान के साथ ही कलियुग का आगमन हुआ . .
★ जब, सप्तर्षि मघा नक्षत्र में विचरण करते हैं, तब कलियुग का प्रारंभ होता है..
कलियुग कि आयु, देवताओं के समय के हिसाब से , १२०० वर्ष है, मानवीय वर्षों में ४,३२००० वर्ष है. ..
◆कलियुग के चरम पर जाने का समय है- जब सप्तर्षि मघा से पूर्वा-अषाधा नक्षत्र में जा चुके होंगे, तब राजा नन्द का राज्य होगा,तभी से कलियुग कि वृद्धि शुरू होगी. अर्थात वर्तमान समय में कलियुग अभी अपने चरम पर जाने की क्रिया में है, पूरा नहीं पहुंचा है, क्यूंकि इसके लिए मानवों की आयु २०-३० साल और ऊंचाई तीन फीट होना बाकी है..
★नन्द वंश आ कर चला गया, और इसके जैसे अन्य लोभी राजा आ आ कर चे गए, कोई टिक न सका, सब मेरा मेरा करते करते धुल में मिल गए. सब अपने शरीर को राजा मान कर मेरे अधीन किस तरह कोई रहे, इसका बड़ा अभिमान का डींग हांकते रहे , अंत में सब इतिहास रह गए..
जब देवताओं की गणना के १००० वर्ष पूरे हो चुके होंगे, तब कल्कि भगवान की कृपा से मनुष्यों में सात्विकता का संचार होगा, लोग अपने वास्तविक स्वरुप को जान सकेंगे और तब से सत्ययुग का प्रारंभ होगा..
★कलियुग के अंत में भीष्मपितामह के चाचा देवापि एवं इछ्वाकु वंशी मरू जो बहुत बड़े योगबल से युक्त हैं, वे फिर से यहाँ आयेंगे और वर्णाश्रम-धर्म का विस्तार करेंगे.\.
★जैसे सत्ययुग में धर्म के चार चरण हैं- सत्य, दया, ताप, दान; वैसे ही कलियुग में पाप के चार चरण हैं- झूठ, असंतोष, कलह एवं हिंसा. .
★कलियुग में धर्म के चारों चरणों का चतुर्थांश ही बचा रहता है, अंत में वो भी विलुप्त हो जाता है. 
कलियुग में लोग लोभी, दुराचारी, कठोर होते हैं, झूठ मूठ एक दुसरे से वैर गांठते हैं. लालसा-तृष्णा में बहते हैं. .
★इसी तरह समय भी तीन तरह का होता है-सात्विक, राजसिक एवं तामसिक, 
जिस समय , मन-बुद्धि, इन्द्रियां सत्वगुण में स्थित होकर अपना काम करने लगतीं हैं, मनुष्य को ज्ञान एवं तपस्या से अधिक प्रेम होता है, उस समय को सात्विक समझना चाहिए, उस समय को सत्ययुग समझा जाना चाहिए.
वैसे ही, राजसिक समय में मनुष्य के समय का उपयोग एवं रूचि, धर्म, अर्थ, लौकिक-पारलौकिक सुख के भोगों की होती है, उस समय को राजसिक समझना चाहिए. उस समय को त्रेतायुग समझा जाना चाहिए.
जिस समय, लोभ, असंतोष, अभिमान, दंभ, मत्सर का बोलबाला हो एवं मानव बड़े उत्साह से सकाम कर्मो में लगा रहे,
उसे द्वापर युग समझना चाहिए..
★जिस समय, झूठ, कपट, तन्द्रा, निद्रा, हिंसा--विषाद, शोक-मोह-भय-दीनता अत्यादी कि प्रबलता हो, उसे कलियुग समझना चाहिए.
इस समय में, लोगों की दृष्टी एवं सोच छोटी हो जाती है, लोग निर्धन होंगे लेकिन भोजन बहुत करेंगे, भाग्य-मंद लेकिन चित्त में कामनाएं बड़ी-बड़ी, स्त्रियाँ दुष्ट एवं कुलटापन में काफी आगे होंगी, .
★सारे देशों में, गांवों में लुटेरों की प्रधानता एवं प्रचुरता रहेगी. पाखंडी नए नए मत चलाते हैं, वेदों का अर्थ मनमाने निकाले जाते हैं. और उन्हें कलंकित करते हैं..
★राजा कहलाने वाले सारे लोग, प्रजा की सारी कमाई हड़प लेंगे.
ब्राह्म्चारी लोग, ब्रन्ह्म्चर्य से रहित, अपवित्र रहने लगते हैं.गृहस्थ भीख मांगते हैं, सन्यासी अर्थ-पिशाच होते हैं.
★लोगों में भूख बड़ी होगी, स्त्रियों में साहस काफी बढ़ जाएगा.
व्यापारी लोग कौड़ि-कौड़ी से लिपटने वाले होंगे, उनकी दृष्टि छोटी होगी, विचार क्षुद्र होंगे.कपटी-चोरी काफी अधिक होगी.
★निम्न श्रेणी के व्यापार, अच्छे समझे जायेंगे और निम्न स्तर के कार्यों में व्यापार भी होगा. वो तोहुम देख भी रहे हैं कि निम्न स्तर के व्यापार, जैसे कि मानव-तस्करी एवं वेश्यावृत्ति कि व्यापार स्वयं सरकारें ही बढ़ा रहीं हैं..
★ इस समय में पिता भी अपने पुत्रों को अलग करने वाला होगा, तथा संतानें भी माता-पिता के सेवा न करने वाली होंगी.
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★★★
आज कल लोग प्रलय इत्यादि कि बात करते रहते हैं और सबको डराते हैं कि अमुक अमुक गृह नक्षत्र धरती से टकरा जाएगा, समुद्र में बाढ़ आ जाएगा, तो श्रिष्टी खत्म हो जायेगी, ये सब बात या घटना जो है, वो पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा, एवं उनके अर्थ-पिशाचों द्वारा मानव की एक सभ्यता को खत्म करने, उनमे महा-मारी फैलाने के लिए होने वाली उनकी जालसाजी हैं, ना कि कोई प्रलय आने वाला है. 
इनकी खरीदी हुई मीडिया हमसे झूठ बोलती है. .
★ इसी प्रकार, प्रलय भी चार प्रकार के हैं, अभी के कलियुग की समाप्ति होने पर, इनमे से कोई प्रलय आने नहीं वाला. .
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जय श्रीकृष्ण

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