क्या द्रौपदी ने सच में दुर्योधन का अपमान किया था? क्या उसने उसे अन्धपुत्र इत्यादि कहा था? क्या है सच ?
लोग महाभारत के लिए द्रौपदी को ही मुख्य कारण मानते हैं,
उसके द्वारा हुए दुर्योधन के अपमान का और ये भी समझते हैं कि द्रौपदी द्वारा हुई इस भूल के कारण उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी, जबकि सच ये नहीं है.
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महाभारत का मूल कारण था, दुर्योधन एवं उसके पक्ष के सभी राजाओं की हड़प नीति, उनका पूंजीवादी व्यवस्था को दिया जाने वाला समर्थन !!.
महाभारत का मूल कारण था, दुर्योधन एवं उसके पक्ष के सभी राजाओं की हड़प नीति, उनका पूंजीवादी व्यवस्था को दिया जाने वाला समर्थन !!.
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लेकिन आज के इस घोर संदेह की कालिमा वाले समय में, इन ग्रंथों को हम युवा वर्ग द्वारा पढना, समाज में किसी पिछड़ेपन की निशानी से कम नहीं मानी जाती, और भी बात तब जब आप किसी प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हों तो आपका रहन सहन अलग ही होना चाहिए, समाज-परिवार की नजर में हमें इन ग्रंथों का अध्ययन न कर, कोई कामुक मूवी,इससे जुड़े पुस्तकों को पढना चाहिए, जैसे कि ये कामुक चीज़ें आज के समय में मन को शुद्धि प्रदान करने वाली, आत्मा को मुक्त करने वाली चीज़ हो, लेकिन पुराणों का अध्ययन करना, पाप-कर्म है. !!
लेकिन आज के इस घोर संदेह की कालिमा वाले समय में, इन ग्रंथों को हम युवा वर्ग द्वारा पढना, समाज में किसी पिछड़ेपन की निशानी से कम नहीं मानी जाती, और भी बात तब जब आप किसी प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हों तो आपका रहन सहन अलग ही होना चाहिए, समाज-परिवार की नजर में हमें इन ग्रंथों का अध्ययन न कर, कोई कामुक मूवी,इससे जुड़े पुस्तकों को पढना चाहिए, जैसे कि ये कामुक चीज़ें आज के समय में मन को शुद्धि प्रदान करने वाली, आत्मा को मुक्त करने वाली चीज़ हो, लेकिन पुराणों का अध्ययन करना, पाप-कर्म है. !!
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खैर....आगे देखिये, द्रौपदी ने नहीं बल्कि सभी राजाओं, रानियों, दास-दासियों ने दुर्योधन का अपमान किया था, लेकिन आज सारा दोष द्रौपदी के सर पर मढ़ दिया जाता है, इससे तो यही पता चलता है कि पुरुष अपनी कमजोरी एक स्त्री की हंसी के रूप में देखता है, और अपनी अहंकार की विजय, उसका अपमान करने में समझता है !!.
खैर....आगे देखिये, द्रौपदी ने नहीं बल्कि सभी राजाओं, रानियों, दास-दासियों ने दुर्योधन का अपमान किया था, लेकिन आज सारा दोष द्रौपदी के सर पर मढ़ दिया जाता है, इससे तो यही पता चलता है कि पुरुष अपनी कमजोरी एक स्त्री की हंसी के रूप में देखता है, और अपनी अहंकार की विजय, उसका अपमान करने में समझता है !!.
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श्रीमद भागवत महापुराण के दशम स्कंध के ७५ अध्याय में साफ़ साफ़ दिया गया है कि, महाराज युधिष्ठिर ने जब राजसूय यज्ञ संपन्न किया, इसके बाद सभी अतिथियों की भोजन समाप्ति के पश्चात, सभी आगंतुकों को मय-दानव द्वारा बनाए गये युधिष्ठिर के महल को दिखाने के लिए स्वयं भगवान्म श्रीकृष्ण के साथ साथ, सभी दास दासी, पांचो पांडव एवं सबकी रानियाँ भी थीं.
श्रीमद भागवत महापुराण के दशम स्कंध के ७५ अध्याय में साफ़ साफ़ दिया गया है कि, महाराज युधिष्ठिर ने जब राजसूय यज्ञ संपन्न किया, इसके बाद सभी अतिथियों की भोजन समाप्ति के पश्चात, सभी आगंतुकों को मय-दानव द्वारा बनाए गये युधिष्ठिर के महल को दिखाने के लिए स्वयं भगवान्म श्रीकृष्ण के साथ साथ, सभी दास दासी, पांचो पांडव एवं सबकी रानियाँ भी थीं.
दुर्योधन में शुरू से ही पांडवों के प्रति मन में काफी ईर्ष्या-घृणा इत्यादि प्रकट था, जो राजसूय यज्ञ में पांडवों द्वारा प्रकट हुए, ऐश्वर्य से और भी कई गुना बढ़ चुका था..
तभी महल भ्रमण के दौरान उस मायावी महल में कृष्ण के इशारे से ठोस जमीन पानी से सींचे हुए जमीन के रूप में दुर्योधन को दिखलाई दिया, जिससे उसने अपना धोती एवं लम्बा लटकता हुआ गमछा समेट लिए, .
अब दुर्योधन द्वारा जो मायावी जल वहां देखा गया था, उससे सभी पांडव-दास-दासी-रानियाँ इत्यादि अनजान थे, जिसके कारण सबके सब हस पड़े, लेकिन कृष्ण ने उन सबको शांत हो जाने का इशारा किया था..
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यहाँ तक है, कि दुर्योधन का अपमान वाली बात श्रीमद भागवद महापुराण के दशम स्कंध के पछात्तरवे अध्याय में..
यहाँ तक है, कि दुर्योधन का अपमान वाली बात श्रीमद भागवद महापुराण के दशम स्कंध के पछात्तरवे अध्याय में..
अब टीवी में जो दिखलाते हैं,ये सीरियल में या जहाँ कहीं भी, कि केवल द्रौपदी ही हंसी थी, और उसने उसे अंधे का पुत्र कहकर सप्मानित किया था..
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इन सीरियल का उद्धरण देने वाले , धर्मग्रंथों को ना पढने वाले, लोग अपना इतिहास न समझ सक रहे हैं, और एक स्त्री को दोष दे रहे हैं..
इन सीरियल का उद्धरण देने वाले , धर्मग्रंथों को ना पढने वाले, लोग अपना इतिहास न समझ सक रहे हैं, और एक स्त्री को दोष दे रहे हैं..
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ये समाज पूर्ण रूप से दानवीय हो चुका है, जो अपनी मर्यादाएं भूल कर स्त्रीयों को पग पग पर अपमानित कर, पुरुषों के कायरता पूर्ण आचरण को वीरता के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. !!
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ये समाज पूर्ण रूप से दानवीय हो चुका है, जो अपनी मर्यादाएं भूल कर स्त्रीयों को पग पग पर अपमानित कर, पुरुषों के कायरता पूर्ण आचरण को वीरता के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. !!
पुरुष की संज्ञा है जो कमजोरों की असहायों की रक्षा करे, आज के अधिकतर लोग तो कापुरुष हैं !!
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.