शिवसहस्त्र नाम स्तोत्र
******* शिवसहस्त्र नाम स्तोत्र ********* ========================== एको हि रुद्रो न द्वितीयाय तस्थु- र्य इमाॅंल्लोकानीशत ईशनीभि:। प्रत्यड्. जनांस्तिष्ठति संचुकोचान्तकाले संसृज्य विश्वा भुवनानि गोपा :। वह रुद्र एक ही हैं उसके अतिरिक्त दूसरा कुछ नहीं है,वह अपनी ब्रह्मादि शक्तियों के द्वारा सम्पूर्ण लोकों पर शासन करता है,वह ब्रह्म शक्ति से उत्पति, विष्णु शक्ति से पालन, रुद्र शक्ति से संहार करता है। वह परमेश्वर समस्त जीवों के भीतर स्थित हो रहा है,यह ब्रह्म, विष्णु, महेश्वर एक ही परमेश्वर की तीन शक्तियां हैं। आजके समयमे कही ऐसे लोग अज्ञानवश देवो की तुलना करते है । ब्रह्मा , विष्णु , महेश , गणपति , सूर्य या शक्ति इनमें बड़ा कौन ? वैदिक काल के ऋषियोने निराकार ब्रह्म शिव के पंच तत्व ओर उन तत्व के देवताओ की पुर्ण समज वेद उपनिषदों में प्रकाशित की है । किंतु पुराणोक्त काल के ऋषियो ने जिस जिस देवता का महात्यम चरित्र प्रकाशित किया तब उन देवताके उपासक भ्रमित न हो इसलिए सारे देवी देवताओ को उस द...