ई वे बिल, डिजिटल इंडिया तथा स्वदेशी चिप उत्पादन से समाधान
Note: सभी कार्यकर्ता अपने हर स्तर के अफसरों को कहें कि वे ऐसी वेबसाईट बनाएँ जिसमें देश के किसी भी नेता का नाम डालकर उनके द्वारा समर्थित या विरोध हुआ बिल का पता चले और बिल का पीडीऍफ़ भी दिखे.
मित्रों, जिस तरह से भारत का डिजिटलीकरण तेजी से किया जा रहा है और हर प्रकार के आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संरक्षित रखने के लिए जिस चिप का निर्माण आज तक भारत नहीं कर सका, जिस चिप द्वारा दुनिया भर के सैन्य हथियारों के संचालन को नियंत्रित किया जाता है स चिप के निर्माण एवं नियंत्रण में आज तक भारत आत्मनिर्भर नहीं हो सका, १९९९ में कारगिल युद्ध के दरम्यान हमारे देश के नेवी का कोड भारत के अन्दर ही हैक किया गया था जिसके चलते हम कारगिल युद्ध हार चुके थे, ये बात आपको सेना का कोई आदमी नहीं बतायेगा, उन इलेक्ट्रॉनिक्स चिप से नियंत्रित होने वाले सिस्टम में देश के कोई भी आंकड़े को संरक्षित करना देश के लिए किसी अप्रत्यक्ष खतरे से कम नहीं चाहे वो आपका आधार डेटा क्यों न हो. यदि आप देश के सुधार सम्बन्धी गतिविधि में लिप्त पाए गए तो आपके आधार नंबर को निष्क्रिय कर उससे जुडी आपकी तमाम सुविधाएं ब्लाक की जा सकेंगी.
जब तक हमारा देश चिप निर्माण में आत्मनिर्भर नहीं हो जाता, तब तक इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों के संरक्षण एवं प्रचालन पे विश्वास करना किसी धोखे से कम नहीं.

अमेरिका द्वारा करोड़ों भारतीयों से जुड़े संवेदनशील ब्योरेवार एवं आंतरिक आंकड़ों को गुप्त समाचार के तौर पर इकट्ठे करने का काम अपने चरम पर है. अमेरिकी संसद ने अपने धारा ७०२ में वृद्धि करते हुए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को ये अधिकार दिया हुआ है कि वे भारत एवं इसकी जनता के ऊपर ख़ुफ़िया नजर रखे.
ये संस्था कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए उनके ख़ुफ़िया विभाग के उच्च अधिकारी “सम्पूर्ण जीवन” के सिद्धांत को अपनाते हैं, जिसके तहत चिन्हित व्यक्ति की बायोमेट्रिक डेटा, आवाज की प्रिंट, चरित्र सम्बन्धी एवं सामाजिक एवं व्यक्तिगत इतिहास जुडा होना अत्यावश्यक माना जाता है. इसी के तहत वे आपके फेसबुक आदि अकाउंट को भी आपके आधार नंबर से लिंक करने का आदेश आपके ही नेताओं द्वारा दिलवा रहे हैं, क्योंकि आपको अपने नेताओं पर बहुत विश्वास है. खैर….
जनता को लौलिपोप ये कहकर थमाया जा रहा है कि इससे देश में टैक्स जमा होने में कोई चोरी नहीं हो सकेगी, लेकिन सरकार के लोग ये नहीं बता रहे हैं कि टैक्स चोरी में जिन बड़े लोगों के ऊपर आरोप है और उन काले धन को ही वे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में करते हैं, वापस उन कंपनियों में शेयर-धारक बनकर आपसे ही लाभ कमाकर उसे पुनः विदेशी बैंक्स में जमा करते हैं, लेकिन सभी चोरियों का आरोप सामान्य जनता के ही ऊपर लगता है. क्या ये सही है?
ऐसी तकनिकी खतरनाक स्थिति में देश के अन्दर एक ही दिन में करोड़ों अरबो रुपयों का नुक्सान किया जाता है, यही लक्ष्य है उन चिप निर्माता विदेशी कंपनियों एवं उनमें इन्वेस्ट करने वाले लोगों का, जिसके नियंत्रण में आपके देश की मिडिया भी है और नेता भी, जनता को मूर्ख बनाया जा रहा है कि इससे आपके देश में टैक्स कलेक्शन बढेगा, जबकि ये सब आपके अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लेने के लिए किया जा रहा है.



केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने 1 फरवरी को ट्वीट किया कि ‘शुरुआती तकनीकी दिक्कतों के कारण ई-वे बिल बनाने में कठिनाइयों को देखते हुए, राज्य के बाहर और अंदर दोनों जगह माल को लाने -ले जाने के लिए जरूरी ई-वे बिल तैयार करने के लिए उसकी टेस्टिंग और ज्यादा समय तक होगी ओर अब E-Way Bill अगली अधिसूचना से लागू होगा।’
सूत्र बता रहे हैं कि सभी राज्यों द्वारा अंतरराज्यीय ई-वे बिल बनाने के साथ-साथ 17 राज्यों ने भी राज्य के अंदर माल के परिवहन के लिए इस तरह के परमिट तैयार करना शुरू कर दिया, जिससे पोर्टल पर दबाव बढ़ गया.
लेकिन यह बात सरकार को पहले दिन से मालूम थी कि यदि इस तरह की व्यवस्था लागू की जाती है तो लाखों करोड़ो बिल इस सर्वर से इसी तरह जेनरेट किये जायेंगे लेकिन कोई तैयारी नही की गयी. यह इस देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे लोग सत्ता में बैठे हुए है जिन्हें ग्राउंड रियलिटी का कोई अंदाजा ही नही है. यह ई वे बिल इस तरह की प्रक्रिया है जिसमे अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना ही होगा.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं.

इस तरह की व्यवस्था लागू करने से देश भर के छोटे बड़े व्यापार उद्योग की गति पूरी तरह से बाधित हो सकती है. हम विदेशों में अपना सामान निर्यात कैसे कर पाएंगे? सभी जानते हैं कि निर्यात टाइम बाउंड होता है. यदि आर्डर समय पर पूरे नही होते हैं तो आर्डर केंसल हो जाते हैं. पहले ही भारत मे परिवहन के दौरान ही 40 फीसदी फल और सब्जियां खराब हो जाती हैं. यदि ऐसी व्यवस्था लागू की जा रही है जिसमे इतनी अधिक मुश्किल आ रही है तो आगे क्या होगा यह सवाल मुँह बाये खड़ा है. http://hindi.timesnownews.com/business/article/e-way-bill-implemented-from-today-its-benefits-and-implication-gst/194567
ई वे बिल कैसे उत्पन्न करें- https://www.youtube.com/watch?v=geIRvXLfsYg
GST की वजह से Transport में होने वाले बदलाव | E WAY BILL https://www.youtube.com/watch?v=ggQqvpYkYSA
ई-वे बिल से सम्बंधित सवालों के उत्तर- https://www.youtube.com/watch?v=v5BFe7ppk1o
प्रस्तावित समाधान –
ई वे बिल को कैंसिल करने के लिए प्रधानमन्त्री को ट्वीट करके आदेश इस प्रकार भेजें-
@PmoIndia newindia.in/causes/CancelEwayBillSystemInterState#CancelEwayBillSystemInterState pls cancel eway-bill system completely – intrastate as well as interstate, except for selected goods like petrol. liquor.
मित्रों, देश में हमें पारदर्शी शिकायत प्रणाली की जरूरत है जहाँ नागरिक अपनी शिकायत सार्वजनिक रूप से दर्ज कर सके. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
को भी गजेट में अत्यंत शीघ्र प्रकाशित करने का अत्यधिक दबाव प्रधान-सेवक पर बनाएं.

.
” माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि‘ “पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz ”
इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
मित्रों इसी तरह की मांग स्वदेशी उत्पादन के ड्राफ्ट के लिए भी कर सकते हैं जिससे देश सभी मामलों में स्वदेशी औद्योगीकरण की तरफ बढे-
- भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475760442516940
- सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475758839183767

ट्वीट करने का तरीका: होम में जाकर तीन टैब दिखेगा, उसमे एक खाली बॉक्स दिखेगा जिसमे लिखा होगा कि “whats happening” जैसा की फेसबुक में लॉग इन करने पर पुछा जाता है कि आपके मन में क्या चल रहा है- तो अपने ट्विटर अकाउंट के उस खाली बॉक्स में लिखें ” @PMO India I order you to print draft “TCP DRAFT: fb.com/notes/1475756632517321 in gazette notification asap” . इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
बस इतना लिखने से पी एम् को पता चल जाएगा, सब लोग इस प्रकार ट्विटर पर पी एम् को आदेश करें.

मित्रो, जी एस टी के बारे में जानने के लिए देखें- https://www.facebook.com/righttorecallC/photos/a.595403070552686.1073741827.595366263889700/1373432266083092/?type=3&theater

करोड़ों का नुकसान
ई-वे बिल में आई तकनीकी खामी से कई राज्यों में माल ढुलाई का काम घंटों ठप रहा और इससे करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। इससे करीब एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबारी नुकसान होने का अनुमान है।
ई-वे बिल में आई तकनीकी खामी से कई राज्यों में माल ढुलाई का काम घंटों ठप रहा और इससे करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। इससे करीब एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबारी नुकसान होने का अनुमान है।
17 जनवरी से चल रहा था परीक्षण
ई-वे बिल लागू करने को लेकर गत 17 जनवरी से ही परीक्षण चल रहा था। इस दौरान पोर्टल पर 2.84 लाख परमिट जारी किए गए, जिसके बाद एक फरवरी से इसे कई राज्यों में लागू करने की हरी झंडी दे दी गई, लेकिन खामियों की वजह से यह अनिवार्य नहीं हो पाई।
ई-वे बिल लागू करने को लेकर गत 17 जनवरी से ही परीक्षण चल रहा था। इस दौरान पोर्टल पर 2.84 लाख परमिट जारी किए गए, जिसके बाद एक फरवरी से इसे कई राज्यों में लागू करने की हरी झंडी दे दी गई, लेकिन खामियों की वजह से यह अनिवार्य नहीं हो पाई।
क्या है ई-वे बिल
अगर 50 हजार कीमत से ज्यादा के सामान की एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर ही 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक ढुलाई की जाती है तो इसके लिए ई-वे बिल जरूरी होगा। यह उन वस्तुओं के लिए भी बनवाना होगा, जिस पर जीएसटी लागू नहीं होता। अगर ढुलाई की दूरी 100 किलोमीटर तक है तो बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैध होगा, लेकिन 100 से 300 किलोमीटर के बीच यह 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर की दूरी के लिए 15 दिन तक मान्य होगा।
अगर 50 हजार कीमत से ज्यादा के सामान की एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर ही 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक ढुलाई की जाती है तो इसके लिए ई-वे बिल जरूरी होगा। यह उन वस्तुओं के लिए भी बनवाना होगा, जिस पर जीएसटी लागू नहीं होता। अगर ढुलाई की दूरी 100 किलोमीटर तक है तो बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैध होगा, लेकिन 100 से 300 किलोमीटर के बीच यह 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर की दूरी के लिए 15 दिन तक मान्य होगा।
राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470
e Waybill Generation Process in Hindi, explained every option https://www.youtube.com/watch?v=geIRvXLfsYg
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जय हिन्द, जय भारत, वन्देमातरम ||
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.