बिना स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माण में आत्मनिर्भरता मिले, देश की सुरक्षा संभव नहीं.

Note: सभी कार्यकर्ता अपने हर स्तर के अफसरों को कहें कि वे ऐसी वेबसाईट बनाएँ जिसमें देश के किसी  भी नेता का नाम डालकर उनके द्वारा समर्थित या विरोध हुआ बिल का पता चले और बिल का पीडीऍफ़ भी दिखे. 


जो लोग यह मानते है कि हमारी सेना पर्याप्त मजबूत है जबकि सच्चाई ये है की आज भी हमारी सेना के युद्ध उपकरणों के अति महत्त्वपूर्ण उपकरण विदेशो से आयातित होते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक चिप और सॉफ्टवेर
हर प्रकार के आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संरक्षित रखने के लिए जिस चिप का निर्माण आज तक भारत नहीं कर सका, जिस चिप द्वारा दुनिया भर के सैन्य हथियारों के संचालन को नियंत्रित किया जाता है उस चिप के निर्माण एवं नियंत्रण में आज तक भारत आत्मनिर्भर नहीं हो सका, १९९९ में कारगिल युद्ध के दरम्यान हमारे देश के नेवी का कोड भारत के अन्दर ही हैक किया गया था जिसके चलते समुद्र के अन्दर चलने वाले युद्धपोत के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के कॉड से मैच नहीं किया जा सका जिससे प्रोसेस का ऑथेंटिकेशन संभव नहीं हुआ, जिसके चलते हम कारगिल युद्ध हार चुके थे, ये बात आपको सेना का कोई आदमी नहीं बतायेगा, उन इलेक्ट्रॉनिक्स चिप से नियंत्रित होने वाले सिस्टम में देश के कोई भी आंकड़े को संरक्षित करना देश के लिए किसी अप्रत्यक्ष खतरे से कम नहीं चाहे वो आपका आधार डेटा क्यों न हो. यदि आप देश के सुधार सम्बन्धी गतिविधि में लिप्त पाए गए तो आपके आधार नंबर को निष्क्रिय कर उससे जुडी आपकी तमाम सुविधाएं ब्लाक की जा सकेंगी.
जब तक हमारा देश चिप निर्माण में आत्मनिर्भर नहीं हो जाता, तब तक इलेक्ट्रॉनिक  आंकड़ों के संरक्षण एवं प्रचालन पे विश्वास करना किसी धोखे से कम नहीं. https://www.youtube.com/watch?v=OJTQOnsHsKQ
 विदेशी गुप्त निगरानी एक्ट या FISA एक ऐसा एक्ट है जिसके अनुसार अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी अधिकारियों को भारतीय सर्वर्स, मूलभूत संरचना एवं मूलभूत सुविधाओं, विदेशी-सम्प्रेषण आदि पर निगरानी राखी जा सकेगी. इस उद्देश्य के लिए अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को अमेरिकी कंपनियां जैसे कि अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियां जो भारत के अन्दर कार्यरत हैं, ने अधिकार दिया हुआ है.
अमेरिका द्वारा करोड़ों भारतीयों से जुड़े संवेदनशील ब्योरेवार एवं आंतरिक आंकड़ों को गुप्त समाचार के तौर पर इकट्ठे करने का काम अपने चरम पर है. अमेरिकी संसद ने अपने धारा ७०२ में वृद्धि करते हुए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को ये अधिकार दिया हुआ है कि वे भारत एवं इसकी जनता के ऊपर ख़ुफ़िया नजर रखे.
 मित्रों,इसी तरह से सैन्य हथियारों के इलेक्ट्रॉनिक चिप में किल स्विच भी एक उपकरण है, जिसके कॉड मैच न हो सकने की स्थिति में दुश्मन देश के सैन्य हथियार के इग्निशन एवं प्रचालन को ब्लाक किया जाता है. इसके विषय में पोस्ट के अंतिम भाग में पढ़िए. ये कोड यदि आपके भ्रष्ट नेता एवं अधिकारियों के पास न पाया गया तो हथियार निर्माण में कार्य करने वाले इंजिनियर के पास जरूर होता है, जिसे दुश्मन देश इस कोड को खरीद कर ब्लाक करवा देते हैं. अधिकतर युद्ध सामग्री निर्माण कंपनियां बैंकिंग एवं धन पिशाचों की ही हैं, जो ये कभी नहीं चाहेंगे कि आपका देश युद्ध सामग्री निर्माण में आत्मनिर्भर हो. इसीलिए वे लोग प्रशासन में बैठे सर्वोच्च लोगों को खरीदते हैं. रेडियो सिग्नल, कोड एवं सर्वर की मदद से चीजों को नियंत्रित करना आसान है.  अधिकतर देश हथियार निर्यात में निर्यात-ग्रेड के हथियार ही दुसरे देशों को देते हैं, कोई देश निर्यात में अपने डोमेस्टिक अर्थात स्वयं के लिए जरूरी हथियार अन्य देशो को निर्यात में नहीं देता. लेकिन धन-पशुओं के हाथो नियंत्रित मिडिया आपको इस तरह दिखाती है जैसे विदेशो से आयातित हथियार आपके देश की रक्षा के लिए दिए गए हों, किस ग्रेड के हथियार दिए गए, वे यह कभी नहीं बताते.
सभी हथियारों के समय पर रखरखाव भी नहीं होते और समय पड़ने पर इनके स्पेयर पार्ट्स भी उपलब्ध नहीं हो पाते ल्योंकी उनके मुख्य उपकरणों को हमारे देश की कंपनियां नहीं बनातीं.
हमारे देश में इन क्षेत्रों में कोई पर्याप्त अनुसंधान एवं अद्यतन के बिना किसी युद्ध को जीत सकने के बारे में नहीं सोचा जा सकता.
 मैं व मेरा राइट टू रिकॉल ग्रुप लम्बे समय से यह मुद्दा उठा रहे है कि दिनों दिन ये राजनीतिक पार्टियां भारतीय सेना को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है और पेड़ मीडिया के माध्यम से लोगो तक यह जानकारी दबा रहे है कि भारतीय सेना पर्याप्त मजबूत है । अगर कोई सेना के कमजोर होने का मुद्दा उठाता है तो मीडिया व भक्तो के माद्यम से सेना के मनोबल को कमजोर करने वाला बता दिया जाता है साथ मे देशद्रोही या पाकिस्तान चला जाने का तमगा फ्री में दे दिया जाता है ।
आये दिन भारतीय सेना को पाकिस्तान से तो कभी चीन से मुँह की खानी पड़ती है । लेकिन किसी का भी ध्यान सेना को मजबूत करने पर नही जा रहा है । अटल सरकार ने सेना को 25% तक बेचा था तो मनमोहन ने 49% तक ओर मोदी जी तो आते ही 100% तक सेना को इन विदेशियो को बेंच दिया ।
आने वाले समय मे स्थिति और भी भयानक होने वाली है जिस प्रकार से ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय राजाओ को कमजोर करने के लिये उनको किराये 
की सुरक्षा करने का काम किया था उसी प्रकार से जरतरत पड़ने पर हमें भी दूसरे देशो की सेना पर निर्भर होना पड़ेगा , बदले में हमे उनको हमारे आर्थिक , सास्कृतिक , सामाजिक , सामरिक क्षेत्र उनको देना पड़ेगा और इस प्रकार से हम वापस गुलाम बन जाएंगे ।
दुसरे देशों पर अपने देश की निर्भरता के समर्थन में वसुधैव कुटुम्बकम और अहिंसा जैसे फालतू के श्लोक आज बेवजह ही मीडिया एवं विदेशी नियंत्रित नेतागण उछाले हैं, जबकि इन श्लोकों के उपयोग के लिए जगह और माकूल परिप्रेक्ष्य भी नहीं हैं. दानवों एवं देशद्रोहियों के लिए ये दोनों श्लोक कभी भी उपयोग नहीं हुए.

 समाधान :- हमारी सेना को मजबूत बनाने के लिए हमे नेता भक्ति छोड़ का आवश्यक कानून की मांग करनी चाहिए जैसे राइट टू रिकॉल pm/ रक्षा मंत्री, ज्यूरी सिस्टम, टीसीपी, ddmrcm .….आदि ।

मित्रों इसी तरह की मांग स्वदेशी उत्पादन के ड्राफ्ट के लिए भी कर सकते हैं जिससे देश सभी मामलों में स्वदेशी औद्योगीकरण की तरफ बढे-
  • भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475760442516940
  • सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475758839183767
  • राईट टू रिकॉल मंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1476084522484532
  • राईट टू रिकॉल प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1476078685818449
  • खनिज रॉयल्टी सीधे नागरिकों के खाते में भेजे जाने के लिए प्रस्तावित कानून (DDMRCM) का ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475763712516613
  • पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
  • ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475753109184340
इन ड्राफ्ट को देश के गजेट नोटिफिकेशन में अत्यंत शीघ्र प्रकाशित करने का अत्यधिक दबाव प्रधान-सेवक पर बनाएं.
 सांसद व विधायक के नंबर यहाँ से देखें nocorruption.in/
🚩 अपने सांसदों/विधायकों को उपरोक्त क़ानून को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून लागू करवाने के लिए उन पर जनतांत्रिक दबाव डालिए, इस तरह से उन्हें मोबाइल सन्देश या ट्विटर आदेश भेजकर कि:-
.
” माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि‘ “पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz ”
 
इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
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आप ये आदेश ट्विटर से भी भेज सकते हैं. twitter.com पर अपना अकाउंट बनाएं और प्रधामंत्री को ट्वीट करें अर्थात ओपन सन्देश भेजें.
ट्वीट करने का तरीका: होम में जाकर तीन टैब दिखेगा, उसमे एक खाली बॉक्स दिखेगा जिसमे लिखा होगा कि “whats happening” जैसा की फेसबुक में लॉग इन करने पर पुछा जाता है कि आपके मन में क्या चल रहा है- तो अपने ट्विटर अकाउंट के उस खाली बॉक्स में लिखें  ” @PMO India I order you to print draft “TCP DRAFT: fb.com/notes/1475756632517321 in gazette notification asap” . इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
बस इतना लिखने से पी एम् को पता चल जाएगा, सब लोग इस प्रकार ट्विटर पर पी एम् को आदेश करें.
याद रखिये कि इस तरह की सभी मांगों के लिए सौ-पांच सौ की संख्या में एकत्रित होकर ही आदेश भेजिए, इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.
🚩राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470
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किल स्विच

There are two different concepts to address here: one is an authentication system, which disables the weapon in some fashion (presumably by disabling the ignition/trigger system) if the user is not able to supply the proper authentication signal or code. This is easy to implement in integrated microprocessor-controlled weapons using something akin to an RSA SecurID or YubiKey token. If the user does not have the token, or if the token is programmed to time out after a certain period and requires refresh, the weapon is rendered non-functional until being supplied the proper encrypted authentication. Modern encryption methods of this sort are so strong that they are for all practical purposes unbreakable, and the computational capability required to generate and compare hashes of this nature can be implemented with technology less powerful than a cheap cell phone. As for routing around the computer, if the ignition system is designed such as to require a coded high frequency, high voltage pulse (as is done with existing and proposed purely electrical SAFE/ARM and ARM/FIRE devices used on weapons and launch vehicles) and tightly integrated into the authentication system such that attempting to disassemble it will be destructive to the unit, there will be no practical way to bypass the authentication system without essentially replacing the entire ignition assembly. So, yes, this is feasible with just a modest amount of additional design effort, although it probably means that any failure of the authentication or ignition system will be non-reparable (certainly not in the field, by design) and will require replacement of the entire integrated unit. 
A "kill signal" than can be transmitted to a friendly weapon in enemy hands is somewhat more complicated. This would require also having an authentication system (as you wouldn't want an opponent to be able to disable your weapons by sending the same signal) as well as some kind of robust receiver that cannot be shielded or bypassed without rendering the weapon unusable. It would be plausible to produce such a system, and in fact some versions of the BGM-109 'Tomahawk' have such a system on it allowing the operated to 'recall' (self-destruct) the system after launch. Sounding rockets and uncrewed space launch vehicles have flight termination systems (FTS) that will initiate self-destruct mechanisms if contact with the range is lost for more than a certain period until they are inhibited (usually late in their trajectory) or if the range sends the appropriate 'tones' (coded signal). However, because these are 'fail-deadly' systems on mission critical vehicles, there is considerable effort put into assuring that the possibility of a false positive is very, very low. Implementing this on a tactical system, while technically feasible, would be extremely expensive.
There are ways to disable weapons without having to actively broadcast a signal via a 'kill switch.' Just wait for them to become old. Without going into details too much. . .
Some systems require maintenance; i.e. batteries need to be changed out/recharged. Launchers need to be replaced. Guidance systems need software updates. Radars need re-tuning by a Private with a piano tuning fork. You get the idea. . .
Many systems have known choke points for maintenance, repair, or replacement. As many of these systems (especially legacy ones) age, if they ain't brought in for MXS or upgrade, they just won't work properly, if at all. Think of your car--eventually if you don't change the oil, it's gonna eventually grind to a halt.
Besides, if someone fires a Stinger at you, you won't have time to call Battalion to flip the switch.
reference-
  1.  http://www.nytimes.com/2009/10/27/science/27trojan.html
  2. https://www.theregister.co.uk/2007/11/22/israel_air_raid_syria_hack_network_vuln_intrusion/
  3. https://tech.slashdot.org/story/09/10/28/1211228/trojan-kill-switches-in-military-technology
  4. https://www.wired.com/2008/05/kill-switch-urb/
  5. https://www.bleepingcomputer.com/news/government/germany-preparing-law-for-backdoors-in-any-type-of-modern-device/


जय हिन्द, जय भारत, वन्देमातरम ||

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